कुंभ 2025 की भगदड़, मौन मीडिया और शिशिर सिंह.. इसलिए हुआ योगी के सबसे करीबी IAS का ट्रांसफर

उत्तर प्रदेश में 33 IAS अधिकारियों के तबादले, इस वक्त सबसे बड़ी राजनैतिक चर्चा का विषय बने हुए है। लेकिन सबसे ज्यादा जिस नाम की चर्चा हो रही है, वो नाम है शिशिर सिंह। इस बड़े फेरबदल के पीछे एक रणनीति है, जो भाजपा सरकार के लिए गंभीर सवाल खड़े करती है। क्या शिशिर सिंह का प्रो योगी होना उन्हें भारी पड़ गया ?
आखिर कौन हैं IAS शिशिर सिंह ?
शिशिर सिंह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सबसे ख़ासमखास अधिकारी हैं। उनका संबंध योगी आदित्यनाथ से नया नहीं बल्कि तब से है, जब वो एडीएम गोरखपुर हुआ करते थे। लेकिन सबसे ज्यादा इनकी चर्चा तब हुई जब कुंभ 2025 में हुए हादसे को शिशिर सिंह ने बिलकुल सीएम योगी के अनुकूल मैनेज कर लिया।
कुंभ 2025 में हादसा.. शिशिर सिंह का मैनेजमेंट
दरअसल, कुंभ 2025 में एक दुखद हादसा हुआ था। जानकारी के अनुसार, घाट पर बने एक गेट पर भीड़ अचानक बेकाबू हो गई और पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था न होने के चलते कुछ ही मिनटों में ज़मीन पर लाशों का ढेर लग गया। अधिकारिक आँकड़े तो सीमित रखे गए, लेकिन ज़मीनी सूत्रों की मानें तो जान गंवाने वालों की संख्या कहीं अधिक थी।
सबसे बड़ा सवाल..
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि इस बड़े हादसे की खबर मुख्यधारा मीडिया की सुर्खियों से कैसे गायब हो गई? असल में योगी के करीबी अफसर, जो राज्य सरकार की मीडिया और प्रचार रणनीतियों को संभल रहे थे, उन्होंने इस हादसे के बाद मीडिया की दिशा को चुपचाप और बेहद रणनीतिक तरीके से मोड़ दिया।
इसी दौरान एक तरफ सोशल मीडिया पर स्थानीय पत्रकार और लोग सवाल उठा रहे थे, वहीं दूसरी ओर राष्ट्रीय चैनलों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और बॉलीवुड सितारों की कुंभ यात्रा की तस्वीरें छाई हुई थीं।
दूसरी ओर, इतना बड़ा हादसा हुआ लेकिन कोई डिबेट नहीं हुई, कोई हेडलाइन नहीं, कोई मीडिया ट्रायल भी नहीं चला। दरअसल, यह चुप्पी स्वतः नहीं आई थी। यह एक प्रशिक्षित अफसर की उस शैली का परिणाम थी, जो जानता है कि खबरों को किस दिशा में मोड़ना है।
सूत्रों की मानें तो शिशिर सिंह ने न सिर्फ मीडिया टीम को पूरी तरह एक्टिव रखा, बल्कि चैनल हाउसों और संपादकों से सीधे संवाद कर यह सुनिश्चित किया कि भगदड़ की खबर “विवाद” में न बदल जाए। उनकी रणनीति थी — “माहौल को काबू में रखना, राज्य सरकार की छवि को बचाना।”
फिर क्यों हटाए गए शिशिर सिंह?
यह सवाल ही इस कहानी का सबसे बड़ा खुलासा है।
शिशिर सिंह, जो योगी आदित्यनाथ के सबसे भरोसेमंद अफसरों में गिने जाते थे, जिन्होंने इतने बड़े हादसे से धूमिल होने वाली योगी की छवि को बचा लिया, उन्हें अचानक सूचना निदेशक के पद से हटा दिया गया।
यही नहीं बल्कि, उनकी जगह विशाल सिंह, जो पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से ताल्लुक रखते हैं और PMO के बेहद करीबी माने जाते हैं — को नियुक्त कर दिया गया।
जाहिर है कि यह ट्रांसफर किसी “स्वास्थ्य कारण” का परिणाम नहीं था, बल्कि दिल्ली की इच्छा और लखनऊ की मजबूरी का मिलाजुला खेल था।
योगी और मोदी के बीच की दीवार: ट्रांसफर के पीछे की राजनीति
शिशिर सिंह का तबादला केवल प्रशासनिक फेरबदल नहीं, बल्कि एक राजनीतिक संदेश था। वे योगी आदित्यनाथ के साथ तब से जुड़े थे जब वह गोरखपुर में ADM हुआ करते थे। वे योगी के साथ हर बड़ी रणनीति, मीडिया मैनेजमेंट, और सरकार की छवि-निर्माण में सबसे आगे थे। भगदड़ की खबर को मैनेज करना, इसे “विवाद” बनने से रोकना, और सरकार की छवि को साफ-सुथरा बनाए रखना — इन सभी मामलों में उनकी भूमिका अहम रही।
लेकिन शायद यही “कुशलता” PMO के लिए खटकने लगी। क्योंकि अब पार्टी की रणनीति 2029 की ओर देख रही है — और दिल्ली अब लखनऊ को आंख मूंदकर भरोसा नहीं कर रही। यह स्पष्ट करता है कि अब योगी के करीबी अफसरों को हटाकर, दिल्ली के वफादार अफसर लगाए जा रहे हैं।