अपना दल से होगा सपा का गठबंधन:प्रतापगढ़ सदर सीट पर चुनाव लड़ सकती हैं कृष्णा पटेल,
बेटी अनुप्रिया मोदी सरकार में मंत्री
सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपना दल (कृष्णा गुट) के साथ गठबंधन करने पर सहमति जता दी है। अपना दल की अध्यक्ष कृष्णा पटेल प्रतापगढ़ सदर सीट से चुनाव लड़ सकती हैं। इस गठबंधन पर कृष्णा पटेल ने कहा कि समय आने दीजिए, सब स्पष्ट कर दूंगी। जातीय जनगणना सुनिश्चित की जानी चाहिए। पुरानी पेंशन नीति लागू करने और एक समान शिक्षा नीति बनाने का मुद्दा अहम है।
2 माह से चल रही गठबंधन पर बात
बीते 2 महीने पहले कृष्णा पटेल की बेटी पल्लवी पटेल ने अखिलेश यादव के मुलाकात की थी। तभी से यूपी में गठबंधन की बात चल रही है। पल्लवी की बहन अनुप्रिया पटेल एनडीए के साथ हैं। वे केंद्र में मंत्री भी हैं। फिलहाल, यूपी में करीब 10 प्रतिशत कुर्मी वोटरों की रहनुमाई को लेकर दोनों ही बहनों का दावा है।
पूर्वांचल समेत 12 जिलों में है कुर्मी समुदाय का प्रभाव
अपना दल का वाराणसी-मिर्जापुर-प्रतापगढ़-रॉबर्ट्सगंज में सीधा प्रभाव है। सोनेलाल पटेल कुर्मी समुदाय के बड़े नेता थे। राज्य की कुल पिछड़ा आबादी में करीब 24 प्रतिशत कुर्मी समुदाय के लोग हैं। विंध्याचल, बुंदेलखंड और पूर्वांचल के कुछ इलाकों में इनकी राजनीतिक अहमियत बहुत हो जाती है।
कुर्मी से ज्यादा पिछड़ा वर्ग में सिर्फ यादव आबादी है। जो कुल पिछड़ा आबादी का करीब 40 प्रतिशत है। यही वजह रही कि कृष्णा पटेल के नेतृत्व वाले अपना दल को कांग्रेस ने 2019 के लोकसभा चुनाव में पीलीभीत और गोंडा की दो सीटें दी थीं।
कृष्णा पटेल और उनकी बेटी अनुप्रिया और पल्लवी।
दो धड़ों में बंटी पार्टी फिर एक न हुई
अपना दल का गठन सोनेलाल पटेल ने किया था। जिसकी कमान उनके निधन के बाद अनुप्रिया पटेल ने संभाली। 2012 में अनुप्रिया पटेल पहली बार विधायक चुनी गईं। 2014 में भाजपा से गठबंधन करके सांसद बनी। इसके बाद अनुप्रिया पटेल और उनकी मां कृष्णा पटेल के बीच सियासी वर्चस्व की जंग छिड़ गई। अपना दल की अध्यक्ष कृष्णा पटेल ने पल्लवी पटेल को अपनी जगह पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाने का फैसला किया था। जिसका अनुप्रिया पटेल ने विरोध किया। इसके बाद में अनुप्रिया ने खुद को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित कर दिया था। जिसपर उनकी मां ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया था।
फिर अपना दल दो हिस्सों में बंट गई। एक की कमान अनुप्रिया पटेल ने अपने हाथों में ले ली। तो दूसरी की कमान उनकी मां कृष्णा पटेल और बहन पल्लवी पटेल के हाथों में है। अनुप्रिया पटेल खुद को सोनेलाल पटेल के वारिस के तौर पर साबित करने में सफल रही हैं। जबकि कृष्णा पटेल अभी कोशिशें कर रही हैं। ऐसे में अनुप्रिया के गुट के नेताओं को मानना है कि पल्लवी पटेल के चलते परिवार में सुलह-समझौता का फॉर्मूला नहीं बन पा रहा है।
कृष्णा पटेल ठुकरा चुकी हैं बेटी अनुप्रिया का ऑफर
कृष्णा पटेल की तरफ से बाकायदा एक बयान जारी किया गया। जिसमें उन्होंने साफ कर दिया है कि किसी भी कीमत पर अनुप्रिया पटेल के साथ नहीं जाएंगी। उन्होंने कहा कि डॉ. सोनलाल पटेल के आंदोलन की अहमियत का इन्हें अंदाजा ही नहीं है। यह नहीं जानते कि डॉक्टर पटेल मंत्री बनाने और एमएलसी बनाने के लिए नहीं लड़ रहे थे। वह लड़ रहे थे किसानों के लिए, जो लोग इनसे समझौता करके बैठे हैं। वह बहुत छोटी राजनीति कर रहे हैं।
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