जानिए क्यों मुकुल रॉय ने फिर कहा- बंगाल के उपचुनाव में BJP की होगी जीत
कोलकाता. तृणमूल कांग्रेस (Trinamool Congress) के नेता मुकुल रॉय (Mukul Roy) ने एक बार फिर से कहा है कि पश्चिम बंगाल के कृष्णानगर विधनसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में बीजेपी की जीत होगी. ये एक हफ्ते में दूसरा मौका है जब उन्होंने बीजेपी के लिए जीत की बात कही है. बता दें कि रॉय को इस बार भाजपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव में जीत मिली थी. जीत के कुछ ही दिनों बाद वो तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए थे. रॉय ने कहा कि इस सीट पर बीजेपी की जीत होगी. हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि टीएमसी त्रिपुरा में 2023 के विधानसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करेगी. इस बीच, भाजपा ने लोक लेखा समिति (पीएसी) के अध्यक्ष के रूप में मुकुल रॉय की विवादास्पद नियुक्ति को चुनौती देने के लिए अदालत का रुख किया है.
ये पूछे जाने पर कि क्या वो कृष्णानगर से फिर से जीतेंगे? मुकुल रॉय ने कहा, ‘हां, भाजपा से चुनाव लड़ने पर जीतेंगे. टीएमसी से मुझे नहीं पता.’ ये पूछे जाने पर कि उन्हें पीएसी में कैसे मनोनीत किया गया, उन्होंने कहा, ‘मैं भाजपा से पीएसी अध्यक्ष हूं. आप सवाल पूछें मैं बीजेपी के रूप में जवाब दूंगा.’ इसके बाद उन्होंने तुरंत कहा कि वो टीएमसी में हैं.
मुकुल रॉय के बयान से राजनीतिक गलियारों में खलबली मच गई है. उनके बयान का वीडियो वायरल हो गया है. 6 अगस्त को मुकुल रॉय ने नदिया जिले में अपने कृष्णानगर निर्वाचन क्षेत्र का दौरा किया था. टीएमसी के उपचुनाव के लिए चुनाव आयोग पहुंचने पर उनकी प्रतिक्रिया पूछे जाने पर उन्होंने अचानक कहा, ‘उपचुनाव में मैं भाजपा की ओर से कह सकता हूं कि टीएमसी हार जाएगी.’ जिस वक्त वो ये बयान दे रहे थे उनका निजी सहायक इसे ठीक करने की कोशिश कर रहा था.
बेटे ने बयान पर दी सफाई
अपनी ग़लतियों को महसूस करते हुए रॉय ने खुद को सही करते हुए कहा था कि उनका मतलब वास्तव में टीएमसी से था. बाद में रॉय के बेटे सुभ्रांशु ने भी अपने पिता के बयान पर सफाई दी और कहा कि वो पत्नी की मौत के बाद से डिप्रेशन में हैं और इस दौरान उनके शरीर में केमिकल का संतुलन कुछ बिगड़ गया है. उन्होंने कहा, ‘मेरे पिता के शरीर में अत्यधिक सोडियम पोटेशियम असंतुलन है, जिससे बहुत सारी समस्याएं हो रही हैं. वो सब कुछ भूल रहे हैं. इसकी शुरुआत मेरी मां की मौत से हुई है. हम वास्तव में उनके स्वास्थ्य को लेकर चिंतित हैं. लिहाजा उनके बयान का कोई मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए.’
क्या कहते हैं राजनीतिक पंडित?
बंगाल के सियासी गलियारों में ये चर्चा चल रही है कि क्या रॉय की जुबान फिसल गई या फिर ये उनकी रणनीति का हिस्सा है. राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक ये रॉय की भाजपा से निपटने की रणनीति हो सकती है. दरअसल वो अपने पीएसी नामांकन और विधायक पद को लेकर खुद को मुश्किल में देख रहे हैं. भाजपा उनकी पीएसी अध्यक्षता के खिलाफ अदालत में गई है और एक विधायक के रूप में उनकी योग्यता पर विधानसभा में सुनवाई चल रही है, जिसका बीजेपी भी विरोध कर रही है. क्या तकनीकी रूप से ये दिखाने की रॉय की रणनीति है कि वो भाजपा में हैं? विश्लेषकों ने अनुमान लगाया कि उन्होंने स्पष्ट रूप से उत्तर दिया कि उन्हें भाजपा से पीएसी अध्यक्ष पद के लिए नामांकित किया गया है.
टीएमसी के वरिष्ठ नेता तापस रॉय ने रॉय की गलती पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, जबकि भाजपा ने कहा कि लोग इस तरह के बयानों पर खुद फैसला करेंगे. मुकुल रॉय ने 2017 में ममता बनर्जी की पार्टी को छोड़ दिया था और वो बीजेपी में शामिल हो गए थे. इस साल 2 मई को विधानसभा चुनाव के परिणाम घोषित होने के लगभग एक महीने बाद वो टीएमसी में लौट आए. हालांकि आधिकारिक तौर पर वो अभी भी कृष्णानगर उत्तर के भाजपा विधायक हैं. उन्हें निर्वाचन क्षेत्र और राज्य विधानसभा की लोक लेखा समिति (पीएसी) का अध्यक्ष बनाया गया है.
त्रिपुरा जाने को तैयार
रॉय ने शुक्रवार को कहा कि पार्टी के कहने पर वो तृणमूल कांग्रेस के लिए काम करने के लिए त्रिपुरा जाने को तैयार हैं. उन्होंने कहा, ‘पार्टी जो कहेगी, मैं करूंगा. त्रिपुरा में भाजपा सही काम नहीं कर रही है. हमारी पार्टी वहां अगले चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करेगी.’ भाजपा विधायक और विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने कहा कि रॉय जब भाजपा के टिकट पर जीतकर शामिल होने के लिए टीएमसी कार्यालय पहुंचे तो उनका बहुत धूमधाम से स्वागत किया गया. ‘अब अगर वो इस तरह के बयान देते हैं, तो ये राज्य के लोगों को तय करना करना है. उन्हें राज्य सरकार द्वारा उच्च सुरक्षा प्रदान की गई थी, उन्हें पीएसी अध्यक्ष बनाया गया था. अब देखिए टीएमसी क्या करती है.’
नियुक्ति को चुनौती
भाजपा ने मुकुल रॉय को को दलबदल विरोधी कानून के तहत विधानसभा के सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित करने और पीएसी अध्यक्ष के पद से हटाने की मांग की है. टीएमसी नेतृत्व कह रहा है कि रॉय भाजपा विधायक हैं और इसलिए पीएसी अध्यक्ष के रूप में उनकी नियुक्ति से तकनीकी आधार पर कोई समस्या नहीं होगी.