जानिए क्यों की सीएम योगी को बीजेपी ने गोरखपुर से दिया टिकट, ये है खास वजह

योगी आदित्यनाथ का गढ़ माना जाता है गोरखपुर, 33 सालों से रहा है कब्ज़ा

लखनऊ: विधानसभा चुनाव की तारीखें आने के बाद चुनावी पार्टियों के बीच हलचल तेज हो गई है. सभी पार्टियां अपने नेताओं कोई तिक्त देना भी शुरू कर दिया है. ऐसे में बीजेपी के यूपी विधानसभा के पहले चरणों में 107 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर दी है. इस लिस्ट में सबसे बड़ा नाम किसी उम्मीदवार का है तो वह सीएम योगी आदित्यनाथ का है. भाजपा ने उन्हें गोरखपुर के सदर सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है. वहीं बीजेपी के इस फैसले के पीछे जानकार कई बड़ी वजहें बताते हैं.

गोरखपुर सदर विधानसभा सीट पर पिछले 33 वर्षों से भाजपा का ही कब्जा है. सीएम योगी खुद साल 1998 से लेकर 2017 तक गोरखपुर संसदीय सीट से लगातार जीतते रहे हैं. गोरखपुर क्षेत्र की एक-एक विधानसभा सीट पर सीएम योगी की अच्छी पकड़ मानी जाती है. ऐसे में उनके लिए यहां से जीतना काफी आसान है.

योगी आदित्यनाथ गोरखपुर सदर सीट से बतौर बीजेपी उम्मीदवार गोरखपुर-बस्ती मंडल की 41 सीटों पर भी सीधी नजर रख सकेंगे. साल 2017 के विधानसभा चुनाव में इन 41 सीटों में से ज्यादातर पर भाजपा का ही पकड़ है. लखनऊ की गद्दी पर सीएम योगी को बैठाने में इन सीटों का बड़ा योगदान था. ऐसे में बीजेपी और सीएम योगी आगामी चुनाव में भी ये सारी सीटें अपने कब्जे में रखने की पूरी कोशिश में हैं.

योगी का गढ़ माना जाता है गोरखपुर

यूपी में हुए पिछले दो विधानसभा चुनाव के नतीजों के देखें तो गोरखपुर सदर सीट पर कुल पड़े वोट का 50 प्रतिशत हिस्सा बीजेपी के हिस्से में गया था. साल 2017 में भी बीजेपी के राधामोहन दास अग्रवाल को 1,22,221 वोट यानी 55.85% प्रतिशत वोट मिले. वहीं साल 2012 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के राधामोहन दास अग्रवाल को 49.19% वोट हासिल हुए थे.

गोरखपुर सदर सीट का जानिए जातीय समीकरण

गोरखपुर सदर सीट पर इस समय 4,53,662 रजिस्टर्ड वोटर्स हैं, जिनमें 2,43,013 पुरुष और 2,10,574 महिलाएं हैं. इस सीट पर लगभग 60 हजार ब्राह्मण, जबकि 45 हजार से ज्यादा कायस्थ वोटर्स हैं. इतना ही नहीं इसके अलावा 15 हजार क्षत्रीय और लगभग 30 हजार मुस्लिम वोटर्स है. इसके अलावा वैश्य, यादव, निषाद और दलित वोर्टस भी अच्छी खासे हैं.

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