जानें क्यों अखिलेश यादव नहीं कर रहे हैं समाजवादी पार्टी की हार की समीक्षा
अखिलेश यादव चुनाव आयोग के आधिकारिक आंकड़ों का इंतजार कर रहे हैं
लखनऊ. उत्तर प्रदेश चुनाव के बाद सभी राजनीतिक दल अपने-अपने तरीके से चुनाव नतीजों की समीक्षा कर रहे हैं। यहां तक की दोबारा सत्ता में आने के बाद भाजपा भी विधानसभा चुनावों की समीक्षा कर रही है। राष्ट्रीय लोकदल के जयंत चौधरी ने हार की समीक्षा की और पूरे संगठन को भंग करके नई कार्यकारिणी बनाना शुरू कर दिया। ऐसा ही हाल शिवपाल सिंह यादव की प्रसपा, ओमप्रकाश राजभर की सुभासपा और मायावती की पार्टी बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस का रहा, सभी ने संगठन में बड़े स्तर पर बदलाव करना शुरू कर दिया है।
बता दे कि इन सबके बीच मुख्य विपक्षी दल सपा ने अभी तक चुनाव नतीजों की कोई समीक्षा तक नहीं की है। सपा के नेताओं का मानना है कि अखिलेश यादव चुनाव आयोग के आधिकारिक आंकड़ों का इंतजार कर रहे हैं। मगर सियासी हलकों में इस बात को लेकर अलग अलग चर्चा है कि चुनाव के नतीजों के बाद से ही सपा के सियासी कुनबे में अन्तर्विरोध देखने को मिलने लगा और बगावती स्वर मुखर होने लगे इसलिए समाजवादी पार्टी समीक्षा से दामन चुरा रही है. सारे सहयोगी दल एक एक करके सपा से किनारा करने में लगे हैं।
2024 के लोकसभा चुनाव के लिए सक्रिय
हालांकि भाजपा बहुत मजबूत स्थिति में सरकार बना चुकी है बावजूद इसके उसकी आंतिरक रिपोर्ट में कुछ चौंकाने वाले तथ्य निकल कर सामने आएं हैं। जैसे पिछड़े वोटों में सपा की सेंधमारी, मायावती का जाटव वोटबैंक भाजपा की तरफ खिसकना. इन सब बातों को ध्यान में रखकर भाजपा संगठन अभी से 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए सक्रिय हो गया है।
अन्य नेता को प्रचार का कोई मौका नहीं मिला
अखिलेश यादव ने बिना समीक्षा किए सिर्फ पोस्टल बैलेट के आधार पर सपा को 300 सीटों पर जीत की बात कह कर अपने कार्यकर्ताओं का मनोबल बढाया था। इस बार सपा का वोट प्रतिशत भी पिछले चुनाव के मुकाबले ढाई प्रतिशत बढ़ा हैं। यूपी की राजनीति के जानकार मानते हैं कि पार्टी की समीक्षा होने पर हार के कारण खोजें जाएगें और फिर जिम्मेदारी तय की जाएगी कि किन वजहों से हार हुई। चूंकि पूरा चुनाव अखिलेश यादव के इर्द गिर्द था, किसी भी अन्य नेता को प्रचार का कोई मौका तक नहीं दिया गया तो ऐसे में पार्टी के नेता किसे दोष देंगे।