जानिए बंगाल में क्या करेंगे राहुल गांधी? लेफ्ट से मिलाएंगे हाथ या ममता बनर्जी से बनेगी बात!
नई दिल्ली. हाल के दिनों में राहुल गांधी ने उन राज्यों का दौरा किया है जहां इस साल विधान सभा के चुनाव होने वाले हैं. इस दौरान वो दो बार तमिलनाडु के दौरे पर गए हैं. इसके अलावा उन्होंने असम और केरल का भी दौरा किया है लेकिन अभी तक वो एक बार भी पश्चिम बंगाल नहीं गए हैं. ऐसा लग रहा है कि राहुल गांधी इस राज्य को लेकर पशोपेश में हैं.
दो नाव पर सवार हो कर चलना कभी भी आसान नहीं होता है. लेकिन राजनीति में ऐसा करना पड़ता है. ये एक तरह की कला है. केरल में कांग्रेस और लेफ्ट के बीच एक दूसरे को हराने के लिए जबरदस्त लड़ाई चलती है तो बंगाल में हालात थोड़े अलग हैं. बंगाल कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि उनकी पार्टी के लिए यहां लेफ्ट से गठबंधन करना मुश्किल चुनौती होगी. बता दें कि वाम दलों ने राहुल और प्रियंका गांधी को 28 फरवरी को बंगाल में होने वाली रैली के लिए आमंत्रित किया है.
लेफ्ट की रैली में किसे भेजा जाए इसको लेकर कांग्रेस के नेता फंस गए हैं. इसका समाधान कुछ इस तरह तलाशा जा रहा है कि प्रियंका गांधी को वहां कुछ दौरे के लिए भेज दिया जाए. जबकि राहुल गांधी का किफायती से इस्तेमाल किया जाए. बंगाल कांग्रेस को लगता है कि राहुल गांधी के लिए केरल की जीत महत्वपूर्ण है. अगर अमेठी हारने के बाद, कांग्रेस केरल में हार जाती है, तो ये राहुल गांधी की प्रतिष्ठा के लिए ठीक नहीं होगा. इससे बीजेपी और तीख हमला का मौका मिल सकता है.
बंगाल में कांग्रेस के लिए दूसरी चिंता ये है कि ज्यादा आक्रमक हो कर चुनाव प्रचार करने से बीजेपी को फायदा मिल सकता है. इसके अलावा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की जीत की संभावनाओं को भी ठेस पहुंच सकता है. राज्य में TMC और कांग्रेस के बीच नजदीकियां अभी खत्म नहीं हुई है. कांग्रेस को लगता है कि अगर ममता बनर्जी हार जाती हैं तो 2024 में भाजपा के खिलाफ विपक्ष की लड़ाई कमजोर पड़ सकती है.
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ऐसे में माना जा रहा है कि राहुल गांधी बंगाल में अपने चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी पर ज्यादा हमले करेंगे और टीएमसी पर कम. अभी हाल ही में, जब दिनेश त्रिवेदी ने राज्यसभा से इस्तीफा दिया, तो चौधरी ने नेटवर्क 18 को बताया कि ‘ये टीएमसी के लिए कोई नुकसान नहीं है. दिनेश त्रिवेदी का कोई ठिकाना नहीं है. वो कहीं भी जा सकते हैं’. टीएमसी ने इसे एक स्वागत योग्य वक्तव्य के रूप में देखा और उम्मीद है कि जैसे-जैसे चुनाव प्रचार होगा कांग्रेस नरम हो जाएगी और वोट बटने नहीं देगी.
हाल ही में टीएमसी के सौगतो रॉय ने भी सुझाव दिया था कि भाजपा को दूर रखने के लिए कांग्रेस और लेफ्ट जैसी सभी विपक्षी पार्टियों को बंगाल में एक साथ आना होगा. लेकिन उस वक्त कांग्रेस ने इसे खारिज कर दिया था. लेकिन इस पर फिर से विचार हो सकता है.
बिहार में कांग्रेस अधिकतम सीटों पर लड़ना चाहती थी. राजद को इसका नुकसान हुआ. ऐसे में इस बार कांग्रेस लगभग सभी सीटों पर चुनाव लड़ने पर जोर नहीं देगी. आखिरकार राहुल गांधी और कांग्रेस के लिए सबसे बड़ा दुश्मन भाजपा ही है.