जानिए क्या है रूस का वो संगठित क्राइम, जिसने परेशान कर रखा है पूरी दुनिया को
शीत युद्ध को खत्म हुए 30 साल से ज्यादा हो चुके हैं. तब से अब तक जासूसी गतिविधियों के तौर तरीकों के साथ दुश्मन देशों को नुकसान पहुचांने के तरीके बदल चुके हैं. अपराधों के भी इस दौरान नए स्वरूप बन गए हैं. इसमें साइबर क्राइम (Cyber Crime) तेजी से बढ़ रहा है. देखा जा रहा है कि अब दुनिया के कई देशों, खासकर अमेरिका के कुछ तंत्रों को, जो कम्प्यूटर पर निर्भर करते हैं, साइबर हमले किए जा रहे हैं. इनके जरिए एक तंत्र को ठप्प किया जाता है और उसे बहाल करने के एवज में मोटी रकम मांगी जाती है. इस तरह की घटनाएं संगठित अपराध (Organized Crime) का रूप ले चुकी हैं. बताया जा रहा है कि रूस (Russia) के इस संगठित अपराध ने पूरी दुनिया को परेशान कर रखा है.
क्या होता है इस तरह के अपराध में
इस तरह केसाइबर अपराध में पहले व्यक्ति के कम्प्यूटर की स्क्रीन गायब हो जाती है. इसके बाद एक अजीब सा दिखने वाला एक संदेश आता है जिसमें बताया जाता है कि उस व्यक्ति के कम्प्यूटर की सारी फाइल और आंकड़े एनक्रिप्टेड या कूटबद्ध हो गए हैं और उन्हें वापस हासिल करने के लिए रकम मांगी जाती हैं.
फिरौती देना ज्यादा सस्ता
समस्या यह है कि इस तरह के मामलों में कम्प्यूटर सुधरवाना से ज्यादा सस्ता और आसान यही होता है कि फिरौती की रकम चुका दी जाए जबकि ऐसी गड़बड़ियां किसी एंटीवायरस, या अन्य सॉफ्टवेयर से ठीक नहीं होती और अक्सर पूरे कम्प्यूटर सिस्टम को ही फिर से बनाना होता है जो बहुत महंगा होता है. इसके अलावा लोग किसी समस्या या शर्मिंदगी से बचने के लिए पुलिस को भी नहीं बताते हैं.
इस तरह के हमले खास तरह के होते हैं जिन्हें रैनसमवेयर कहा जाता है. यह अहम एक कम्प्यूटर खराब करने, अस्पताल या स्कूल से लेकर बड़े शहरों के प्रमुख तंत्र तक को खराब कर सकता है. इसमें स्पूफ ईमेल जैसे सरल तरीके से लेकर हैकर बहुत सी तकनीकों का उपयोग कर पूरे कम्प्यूटर सिस्टम पर कब्जा कर लेते हैं और व्यक्तिगत आंकड़ों को पासवर्ड से कूटबद्ध कर देते हैं. इसके बाद फिरौती की मांग की जाती है.
बहुत बड़ी और अहम है समस्या
पिछले 20-25 सालों में रैनसमवेयर एक प्रमुख साइबर हमले के रूप में उभरा है. इसकी गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि दो महीने पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और रूसी राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन की मुलाकात हुए थी तब यह एक प्रमुख मुद्दा था. अमेरिकी सरकार के साथ समस्या यह है कि कानून बनाना तो जरूरी है, लेकिन उतना ही जरूरी यह भी है कि पीड़ित लोग घटना की शिकायत दर्ज करें.
फिरौती की बढ़ती रकम
पहले फिरौती की रकम कम हुआ करती थी. अब ज्यादा होने लगी है जो एक बहुत बड़े संगठित अपराध के होने का संकेत देता है इस साल मई में अमेरिका में पैट्रोल सप्लाई की व्यवस्था ठप कर फिरौती मांगी गई थी जिसमें पेट्रोल पंप बंद हो गए थे. न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक डार्कसाइड रैनसमवेयर गैंग ने इसके जरिए इसमें 50 लाख डॉलर की मांग की गई थी और उसे चुकाया भी गया था.
इसी तरह से जेबीएस ने जून में 1.1करोड़ रूसी आरएविल गैंग को दिए थे. इसकेबाद तो हजारों कंपनियों के सिस्टम को फ्रीज कर दिए गए थे और उनसे 7 करोड़ डॉलर तक की मांग की गई थी. इस तरह के हमले सरकारी तंत्र, बड़े बिसनेसमैन, तक पर किए जा रहे हैं तो वहीं अपराधी भी मिलजुल कर संगठित हो कर बड़े हमले कर सरकारों तक से नहीं डर रहे हैं. कई शहरों के स्थानीय तंत्र अपने कम्प्यूटरों, सर्वरों के पास पर्याप्त सुरक्षा नहीं है और वे उस खर्चे का वहन भी नहीं कर सकते.
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका को साल 2020 में करीब 2.91 करोड़ डॉलर का नुकसान हुआ है. आंकड़े इससे बहुत ज्यादा भी हो सकता है. इसमें ज्यादातर वकील, एकाउंटेंट, सलाहकार आदि शिकार हुए हैं. लेकिन हमला रूस के अलावा और देशों से भी हो सकता है. इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि इन्हें किसी देश की सरकार की शह है. ऐसा संदेह इस वजह से और होता है कि ये अपराध रूस और उसके आसपास के देशों में बिलकुल नहीं हो रहे हैं. अपराध का स्वरूप राजनैतिक नहीं हैं. अमेरिका चाहता है कि रूस ऐसे गिरोहों पर कार्यवाई करे.