जाने क्या है प्रधानमंत्री की कुंडली में , पूरा विश्लेषण
साल 2019 में हिंदुत्व, देश की रक्षा, गरीब कल्याण जैसे मामलों पर प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आये पीएम मोदी ने पहली ही बॉल पर चौका मारकर अपनी पारी की शानदार शुरुआत की थी।
आजादी के 70 सालों के बाद भी जिस धारा 370 और 35 A को लेकर कोई चर्चा तक करने को तैयार नहीं था उसे खत्म करके पीएम मोदी ने करोड़ों देशवासियों और अपने चाहने वालों को एक सन्देश दे दिया की वो अपने मुद्दों से भटके नहीं है और दूसरे कार्यकाल में वो पहले कार्यकाल से भी अधिक ऊर्जा से काम करने वाले है।
जिस राम मंदिर पर हमेशा बीजेपी वाले उपहास के पात्र बनते थे की बताइये कब मंदिर बनेगा ! उसी राम मंदिर की सुनवाई भी दूसरे कार्यकाल के शुरू के महीनों में पूरी हुई और करोड़ों हिंदुओं के आस्था के केंद्र अयोध्या में राम मंदिर का रास्ता बनाने का मार्ग प्रशस्त हुआ लेकिन नागरिकता कानून पर जो बवाल हुआ उसके बाद पीएम मोदी के पक्ष में कुछ भी नहीं जाता हुआ दिखाई दे रहा है।
साल 2019 के अंत तक जिस तरह उस कानून के खिलाफ प्रदर्शन हुआ और शाहीन बाग़ में जिस तरह से लोगों का जमावड़ा हुआ उससे सरकार की छवि को जबरदस्त नुकसान हुआ। उसके बाद दिल्ली के दंगे और कोरोना का कहर ! देश पहली लहर से बाहर निकलता उससे पहले ही कोरोना की दूसरी लहर से ऐसा कोहराम मचाया जो आजादी के बाद देश ने नहीं देखा।
लोग सड़कों पर मर रहे थे, खुलेआम दवाइयों और इंजेक्शन की कालाबाजारी हो रही थी। देश की पुलिस और ख़ुफ़िया विभाग कभी ये पता लगा ही नहीं पाए की ये कैसे हो रहा है और ना ही किसी को सजा मिल पाई।
देश ने लाखों जाने गँवा दी, एक तरफ देश के लोग कोरोना से लड़ रहे थे दूसरी तरफ बीजेपी बंगाल में ममता से लड़ रही थी।
तमाम कोशिशें करने के बाद भी बीजेपी बंगाल हार गई वहीं दूसरी और कोरोना के प्रसार को रोकने में नाकाम रही सरकार देश में नहीं विदेश में भी छवि बचाने में अपनी नाकामयाब रहीं।
तमाम विदेशी अखबारों में पीएम मोदी को लेकर लेख लिखे गए, उनसे सवाल पूछे गए और उनके ऊपर कार्टून तक बनाए गए।
पीएम की छवि इतनी बिगड़ रही थी की विदेश मंत्रालय तक को काम पर लगना पड़ा। पीएम मोदी निश्चित तौर पर बड़े लीडर है लेकिन दो साल से वो जादू गायब है।
अब क्यों ऐसा हो रहा है इसका जवाब उनकी जन्मपत्री से जानने की कोशिश करते है। पीएम मोदी की कुंडली वृश्चिक लग्न की है।
इस राशि पर आठवें भाव का प्रभाव है यानी की जो भी छिपा हुआ जो लोगों को दिखाई नहीं दे, लग्नेश मंगल लग्न में है लेकिन उसकी मूल त्रिकोण राशि मेष छटे भाव में है इसलिए उनके जीवन पर छठे भाव का प्रभाव अधिक दिखाई देता है यानी की व्यक्ति अपनी मेहनत और संघर्ष से आगे बढ़ता है।
नीच का चंद्रमा छठे भाव के स्वामी के साथ बैठकर विपरीत राजयोग बना रहा है। अगर भाग्य का स्वामी छठे भाव के स्वामी के साथ लग्न में आ जाए तो ऐसा व्यक्ति शत्रुहंता जो जाता है।
छठे भाव से शत्रु देखे जाते है और उसका लग्न में बैठना इस बात का संकेत है की आस पास के लोग ही कठिनाई पैदा करे लेकिन भाग्येश के साथ आने से वो अपने शत्रुओं का समूल नाश करने की ताकत भी रखते है।
पीएम मोदी की कुंडली में चौथे भाव का स्वामी गुरु उन्हें अपने परिवार और मां का लाड़ला बना रहा है। मां के कारक भाव में गुरु का आना और कारक चंद्र का लग्न में बैठना इस बात का संकेत है की उन्हें अपनी माँ से एक अदृश्य शक्ति प्राप्त हुई है।
जनता का कारक शनि दशम भाव में खुद मित्र शुक्र के साथ बैठा है और उस पर गुरु का प्रभाव है जिसके कारण उन्हें जनता का असीम प्रेम प्राप्त हुआ है।
फलित का एक नियम है की शनि जब भी दशम में बैठता है उस व्यक्ति को जीवन भर अत्यधिक मेहनत करनी होती है और यही कारण है की उन्होंने कभी सीएम रहते छुट्टी नहीं ली।
हालांकि स्त्री के कारक शुक्र का मारकेश होकर शनि के साथ आना और मंगल केतु के सप्तम पर प्रभाव के कारण उन्हें पत्नी का साथ नहीं मिला।
लाभ स्थान में उच्च के बुध का सूर्य के साथ होना उन्हें शानदार वक्ता बना रहा है। बुध वाणी का कारक है और बुध आदित्य योग के कारण वो और अच्छा फल दे रहा है।
हालांकि उस पर केतु राहु का प्रभाव कभी 2 उनसे कुछ ऐसा भी कहलवा देता है जिसके कारण उनकी बड़ी आलोचना होती है।
चन्द्रमा मन का और बुध हास्य का कारक है और दोनों ग्रहों के बलवान होने के कारण हमने देखा है की पीएम मोदी हास्य विनोद भी खूब करते है। दशम भाव पर गुरु, शनि और मंगल का प्रभाव होने के कारण वो पीएम बने।
अगर वर्तमान में ग्रहों का गोचर देखे तो वो पीएम मोदी के लिए विपरीत हो रहे है। साल 2020 की शुरुआत होते ही शनि का गोचर उनके तीसरे स्थान से हो रहा है जिसे की पराक्रम भाव माना गया है।
वहीं 23 सितंबर 2020 से राहु का गोचर उनके मारक स्थान में हो रहा है। सप्तम स्थान सहयोगी पार्टियों का है।
राहु अपनी नवम दृष्टि से शनि को देखकर उसे और उग्र बना रहे है। लग्न पर राहु का प्रभाव व्यक्ति को कई ऐसे गलत निर्णय करवा देता है जिसका उसे अंदाजा नहीं होता है।
राहु के गोचर के कारण उनके सहयोगी उनसे नाराज हुए और उनकी छवि को नुकसान हुआ। लग्न में केतु के गोचर के कारण और शनि केतु के संयुक्त पंचम पर प्रभाव के कारक उनकी छवि बिगाड़ने की कोशिश की गई।
शनि राहु का प्रभाव अभी कम होता उससे पहले नीच के गुरु के गोचर ने बड़ी हानि की। फलित ज्योतिष में गुरु सिंहासन का कारक है और उसके नीच राशि में शनि के साथ गोचर करने के कारण जनता और राजा के बीच दुरी बन गई और किसान आंदोलन पनप गया।
किसान आंदोलन जब शुरु हुआ उस समय नीच का गुरु शनि के साथ था और उसे राहु पीड़ित कर रहा था। राहु भ्रम का कारक है शनि जनता का कारक है।
अभी पीएम मोदी को किसी भी मोर्चे पर राहत मिलने की उम्मीद नहीं दिखाई दे रही है। नवंबर के बाद उनकी मंगल की महादशा शुरू होगी जो की शत्रुहंता राजयोग बना रहा है।
इसके अलावा शनि और राहु का गोचर उन्हें अप्रैल 2022 तक राहत नहीं लेने देगा लेकिन उसके बाद जैसे ही शनि कुंभ में, गुरु मीन में और राहु मेष में आएंगे और मंगल की महादशा उन्हें सहयोग देगी उसके बाद उनकी लोकप्रियता उसी तरह बढ़ेगी जैसी साल 2020 से पहले थी।
ये कुछ साल पीएम मोदी के लिए बेहद कठिन रहे है और जीवन के सबसे बड़े और गंभीर आरोप उन्होंने इसी समय में झेले है लेकिन आने वाले समय में वो और चमककर उभरेंगे ऐसा उनकी कुंडली कह रही है