जानिए, क्या होता है Fungus, अगर आप खा लें तो?
कोरोना संक्रमण के बीच ही भारत में ब्लैक फंगस बीमारी भी तेजी से फैल रही है. शुरुआत में ही इलाज न मिलने पर संक्रमितों के लिए काफी घातक साबित हो रहा ये रोग अकेला नहीं, बल्कि जगह-जगह से वाइट फंगस के मामले भी सुनाई दे रहे हैं. हाल ही में यलो फंगस टर्म भी सामने आई. इसके साथ ही लोगों में फंगस को लेकर काफी खौफ पैदा हो चुका है. हालांकि दिलचस्प बात ये है कि हम अक्सर ही कई तरह के फंगस की प्रजातियों को काफी शौक से खाते हैं.
समझें, क्या है फंगस
फंगस जितना खतरनाक है, उतना ही फायदेमंद भी हो सकता है, लेकिन इसे समझने के लिए पहले फंगस यानी फफूंद को समझना जरूरी है ताकि हम चुन सकें कि कौन-सा फंगस खाने में सुरक्षित है और किससे बीमारियां हो सकती हैं.
इनमें बाकी पौधों से अलग क्लोरोफिल नहीं होता
दुनियाभर में फफूंद की ढेरों प्रजातियां हैं, कुछ जमीन पर तो कुछ पानी में भी पनपती हैं. हालांकि दूसरे पौधों से इनमें ये अंतर है कि इनमें क्लोरोफिल नहीं होता. बता दें कि सभी तरह की वनस्पतियों में ये होता है और इससे ही वे अपने लिए भोजन बनाकर हरी-भरी दिखती हैं.
चूंकि फफूंद में क्लोरोफिल नहीं होता, लिहाजा वे जिंदा रहने के लिए अक्सर सहजीविता के सिद्धांत पर भरोसा करता है. इस तरह से इकोसिस्टम यानी जैवविविधता में इनका बड़ा योगदान है. कुछ ऐसे भी फंगस हैं, जो हमें बहुत ज्यादा बीमार कर सकते हैं, जबकि कुछ खाने के काम आते हैं.
मशरूम एक तरह का फंगस है
इसकी लगभग 10,000 किस्में हैं. इनमें से कुछ ही मशरूम खाने के काम आते हैं और काफी स्वादिष्ट और पौष्टिक होते हैं. यूनिवर्सिटी ऑफ केंटुकी के मुताबिक ऑयस्टर और शितेक जैसे मशरूम में इलाज की क्षमता भी होती है.
सुरक्षित मशरूम के लिए भी कईयों में एलर्जी
वहीं जंगली मशरूम काफी जहरीले होते हैं. केवल अमेरिका में ही इसकी 100 से ज्यादा किस्में पता लगीं, जो घातक हैं. इसलिए सुरक्षित यही है कि हम पहचानने की क्षमता न रखने के कारण वही मशरूम खाएं जो दुकानों में मिलते हैं. वैसे कई बार बच्चों और कमजोर इम्युनिटी वालों को सुरक्षित मशरूम खाने से भी समस्या हो जाती है इसलिए कोशिश करें कि इन लोगों को मशरूम न परोसा जाए.
क्या आप जानते हैं, यीस्ट या खमीर भी एक तरह का फंगस है?
जी हां, बेकिंग और अल्कोहल बनाने के अलावा रसोई में जमकर इस्तेमाल होने वाला खमीर इसी प्रजाति का है. लेकिन इसकी कई स्पीशीज खाने लायक नहीं होतीं और उनका इस्तेमाल काफी बीमार कर सकता है. स्विमर्स ईयर, कैंडिडा और एथलीट फूट जैसी बीमारियां इसके कारण ही होती हैं.
खराब परत हटाने पर भी फफूंद का असर रहता है
मोल्ड और मिल्ड्यू यानी एक तरह की फफूंदी भी इसी प्रजाति से है. गलती से इन्हें खाना बीमार कर सकता है और संक्रमित को डायरिया, उल्टी होना जैसी समस्याएं हो सकती हैं. ये फफूंदी बचे हुए और नमीयुक्त या फिर अधपके खाने पर उगने लगती है, जैसे ब्रेड, चीज़. साथ ही इनमें खतरनाक बैक्टीरिया भी पनपने लगते हैं. कई बार लोग फफूंद वाली परत हटाकर किसी चीज को खाने लायक मान लेते हैं, लेकिन ऐसा नहीं करें. इनकी जड़ें काफी गहरी होती हैं और परत हटाए जाने के बाद भी इनका असर रहता है.