“Chhath पूजा से मिलने वाली सीख – महिमा बा राउर अपार ” ,जानें
Chhath महापर्व की शुरुआत हो चुकी है, और यह चार दिनों तक मनाया जाने वाला त्योहार 8 नवंबर 2024 को सूर्य देव को अर्घ्य देकर समाप्त होगा। खासकर बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के लोगों के बीच यह पर्व अत्यधिक महत्वपूर्ण है
5 नवंबर 2024 से Chhath महापर्व की शुरुआत हो चुकी है, और यह चार दिनों तक मनाया जाने वाला त्योहार 8 नवंबर 2024 को सूर्य देव को अर्घ्य देकर समाप्त होगा। खासकर बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के लोगों के बीच यह पर्व अत्यधिक महत्वपूर्ण है, और इन क्षेत्रों में इसे बेहद धूमधाम से मनाया जाता है। लेकिन Chhath महापर्व सिर्फ एक धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह समाज और प्रकृति को जोड़ने वाला महत्वपूर्ण त्योहार भी है।
समाज और आस्था का मिलाजुला पर्व
लोकगायिका अंकिता पंडित के अनुसार, Chhath पर्व सिर्फ एक पारंपरिक त्योहार नहीं है, बल्कि यह हमारे समाज के भेदभाव को समाप्त करने और सामूहिक एकता को बढ़ावा देने वाला है। उनका कहना है कि Chhath महापर्व इस आधुनिक दुनिया में सुदर्शन चक्र की तरह काम करता है। इस भागदौड़ भरी जिंदगी में छठ पर्व हमें परंपराओं को मजबूत करने के लिए एक अटूट धागा प्रदान करता है, जो हमारे समाज को जोड़ता है।
समाज के भेदभाव को समाप्त करता Chhath
इस पर्व में समाज के सभी वर्गों के बीच एकजुटता देखने को मिलती है। छठ पूजा के दौरान, न कोई बड़ा होता है, न कोई छोटा। यह पर्व जाति, धर्म, और सामाजिक स्थिति के भेद को मिटा देता है। सभी लोग एक साथ मिलकर सूर्य देवता की पूजा करते हैं, और इस पूजा की विधि में कोई भेदभाव नहीं होता। इस तरह से छठ महापर्व समाज के सभी तबकों को एक समान दर्जा देता है।
आस्था और प्रकृति का संगम
Chhath पूजा का विशेष रूप से सूर्य देव की पूजा से जुड़ा हुआ है, जो प्रकृति के प्रति हमारे आभार को प्रकट करता है। इस पर्व के दौरान, श्रद्धालु नदियों और तालाबों के किनारे सूर्य देवता को अर्घ्य देते हैं, जिससे एक तरफ आस्था को बल मिलता है और दूसरी ओर प्राकृतिक संसाधनों के प्रति सम्मान का प्रतीक बनता है।
आर्थिक प्रभाव और रोजगार का अवसर
Chhath महापर्व का आर्थिक महत्व भी बहुत बड़ा है। इस पर्व से जुड़े कई व्यवसायों को जीवन मिलता है, विशेष रूप से बांसफोड़ जाति के लोगों के लिए यह एक रोजगार का अहम अवसर होता है। बांस की चूड़ियां, सूप और अन्य पूजा सामग्री की मांग बढ़ जाती है, जो इस समुदाय के लोगों के लिए आय का एक प्रमुख स्रोत बनता है। इस तरह, छठ पूजा न सिर्फ धार्मिक और सामाजिक एकता का प्रतीक है, बल्कि यह आर्थिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।
Chhath Puja : पटना हुआ Paris और Dubai से महंगा…
Chhath महापर्व केवल एक धार्मिक त्योहार नहीं है, बल्कि यह एक गहरी सामाजिक और सांस्कृतिक परंपरा है, जो लोगों को प्राकृतिक संसाधनों की कद्र करने और समाज में समानता स्थापित करने की सीख देती है। इस पर्व के माध्यम से हम एकता, आस्था और प्रकृति के बीच संतुलन बनाए रखते हुए अपने सामाजिक और व्यक्तिगत जीवन को और बेहतर बना सकते हैं।