जानिए छह साल में कितना हुआ शहद निर्यात, किसानों को मिला इतना लाभ
नयी दिल्ली देश में एकीकृत कृषि प्रणाली के तहत मधुमक्खी पालन से न केवल शहद का उत्पादन बढ़ रहा है बल्कि पिछले छह साल के दौरान इसका निर्यात दोगुना हो गया है ।
वर्ष 2013..14 के दौरान देश में 76,150 टन शहद उत्पादन होता था जो वर्ष 2019..20 में बढ़कर 1,20,000 टन हो गया है जो 57.58 प्रतिशत की वृद्धि है। पहले शहद का निर्यात 28,378.42 टन था जो वर्ष 2019..20 में बढ़कर 59,536.74 टन हो गया है । इस प्रकार से शहद निर्यात में 109.80 प्रतिशत की वृद्धि हुयी है।
कृषि मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार कृषि में मधुमक्खी पालन के महत्व को ध्यान में रखते हुए सरकार ने तीन साल (2020-21 से 2022-23) के लिए राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन एवं शहद मिशन (एनबीएचएम) को 500 करोड़ रुपये आवंटन को स्वीकृति दी है। इस मिशन की घोषणा आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत की गई थी। एनबीएचएम का उद्देश्य ‘मीठी क्रांति’ के लक्ष्य को हासिल करने के लिए देश में वैज्ञानिक आधार पर मधुमक्खी पालन का व्यापक संवर्धन और विकास है जिसे राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड (एनबीबी) के माध्यम से लागू किया जा रहा है।
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एनबीएचएम का मुख्य उद्देश्य कृषि और गैर कृषि परिवारों के लिए आमदनी और रोजगार संवर्धन के उद्देश्य से मधुमक्खी पालन उद्योग के समग्र विकास को प्रोत्साहन देना, कृषि और बागवानी उत्पादन को बढ़ावा देना , अवसंरचना सुविधाओं के विकास के साथ ही एकीकृत मधुमक्खी विकास केन्द्र (आईबीडीसी) ,शहद परीक्षण प्रयोगशालाओं , मधुमक्खी रोग नैदानिकी प्रयोगशालाएं, परम्परागत भर्ती केन्द्रों, एपि थेरेपी केन्द्रों , न्यूक्लियस स्टॉक, बी ब्रीडर्स आदि की स्थापना और मधुमक्खी पालन के माध्यम से महिलाओं का सशक्तिकरण है।
इसके अलावा, योजना का उद्देश्य मिनी मिशन-एक के तहत वैज्ञानिक पद्धति से मधुमक्खी पालन, मधुमक्खी पालन के प्रबंधन , मधुमक्खी उत्पादों के बारे में जागरूकता का प्रसार करना है । मिनी मिशन-दो के तहत शहद संग्रहण , प्रसंस्करण , भंडारण , विपणन , मूल्य संवर्धन है जबकि मिनी मिशन-तीन में मधुमक्खी पालन में शोध एवं प्रौद्योगिकी उत्पादन हैं । वर्ष 2020-21 के लिए एनबीएचएम को 150 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है।