जानिए भारत में कब तक चलेगा लॉकडाउन ? रिसर्च में हुआ बड़ा खुलासा
- लॉकडाउन 1.0 25 मार्च से 14 अप्रैल तक
- लॉकडाउन 2.0 15 अप्रैल से 3 मई तक
- लॉकडाउन 3.0 4 मई से 17 मई तक
- और अब लॉकडाउन 4.0 18 मई से 31 मई तक
लेकिन अब सवाल ये उठता है कि 31 मई के बाद क्या ? 31 मई के बाद क्या लॉकडाउन खत्म हो जाएगा ? क्या 31 मई के बाद भारत खुल जाएगा ? सड़को पर गाड़िया दोड़ने लगेंगी? मेट्रो चलने लगेंगी ? स्कूल कॉलेज खुल जाएंगे ? मज़दूरों रोज़ी रोटी चलने लगेगी। पार्को की सिनेमाघरों की,मॉल्स की रोनक लौट आएगी। बाज़ार फिर से दमकने लगेंगें। लोग बेझिझक एक दूसरे से मिलने लगेंगे। आखिर 31 मई के बाद क्या होगा। इस सवाल का जवाब का इंतज़ार हर देशवासी कर रहा हैं। लेकिन इन सवालों के जवाब इतने आसान नही हैं। खासतौर पर तब जब लगातार देश के कई हिस्सों में कोरोना संक्रमण के मामले आते जा रहे हैं। तो ऐसे में 31 मई के बाद क्या होगा। फिलहाल तो चीन के अलावा किसी भी देश को आसानी से लॉकडाउन से छुटकारा मिलता नज़र नही आ रहा हैं।
अमेरिका की बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप यानी बीसीजी ने जॉन हॉप्किंस यूनिवर्सिटी से मिले डेटा के आधार पर दुनिया के 20 देशों का ये कोराना चार्ट तैयार किया है। इसके मुताबिक चीन को छोड़कर किसी भी देश में जुलाई से पहले लॉकडाउन हटने वाला नहीं है। और अगर हटता है तो हालात बिगड़ सकते हैं। रही बात चीन की तो जिस हुबेई प्रांत में कोरोना का सबसे ज़्यादा असर हुआ और जिस प्रांत में कोरोना का एपिसेंटर वुहान है। वो इसी सूबे में पड़ता है। यहां 8 अप्रैल को लॉकडाउन खुलने का अनुमान लगाया गया था और हुआ भी यही। चीन ने हुबेई में वुहान को छोड़कर 8 अप्रैल को लॉकडाउन हटा दिया। क्योंकि यहां उसके बाद कोरोना के मामले ही आने बंद हो गए थे। लेकिन अगर अभी के हालात देखे तो चीन में कोरोना ने रिवर्स बैंक किया है।
फिलहाल बीसीजी ऐसी संभावना जता रही है कि भारत में ये लॉकडाउन जून के आखिरी हफ्ते से लेकर सितंबर के दूसरे हफ्ते तक चल सकता है और इसके बाद भी भारत में लॉकडाउन का भविष्य देश में कोरोना मरीज़ो के आकड़े पर ही निर्भर करेंगें। साथ ही अगर लापरवाही बरती गई तो कोरोना संक्रमण से आने वाली तुफान को रोक पाना मुश्किल होगा और भारत की स्वास्थ्य सेवाओ को देखते हुए हालात बद से बदतर हो सकते है।
ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर भारत के साथ साथ दुनिया को कोरोना जैसे महासंकट से छुटकारा कब मिलेगा। इस सवाल का जवाब कुछ हद तक बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप यानी बीसीजी के चार्ट में मिलता हैं। इस चार्ट में किस देश में कब लॉक डाउन किया गया। कब वहां कोरोना के मामले पीक पर पहुंचे। कब वहां आंशिक तौर पर लॉकडाउन को हटाना शुरु किया गया और कब कहां लॉकडाउन को पूरी तरह से हटाना सुरक्षित माना गया। इन सभी बातों का जिक्र हैं। इस चार्ट में इटली को लेकर जो अनुमान लगाया गया था वो अनुमान भी काफी हद ठीक साबित हुआ। इटली में कोरोना के तांडव से हर कोई वाकिफ हैं। वही यूएस, स्पेन, फ्रांस, जर्मनी और यूके में कोरोना वायरस ने जो मंजर दिखाया जिसकी कभी कल्पना भी इन देशों ने नही की होगी। बीसीजी के मुताबिक भारत कोरोना को जवाब देने के लिए भारत ने लॉकडान का जो समय चुना वो बिल्कुल सही था और इसी टाइमिंग कि वजह से भारत में कोरोना के संक्रमण की तेज़ी दूसरे देशो के मुकाबले काफी हद कम हैं।लेकिन फिर भी भारत में कोरोना के मामले पीक पर ज़रूर पहुंचेंगे।
बीसीजी की रिपोर्ट की माने तो जून के तीसरे हफ्ते तक भारत में कोरोना के मामले अपनी पीक पर होंगे और जून के आखिरी हफ्ते तक ही भारत लॉकडाउन हटाने की स्थिति में होगा। लेकिन वो भी सिर्फ आंशिक तौर पर। जबकि भारत में पूरी तरह से लॉकडाउन हटाना सितंबर के दूसरे हफ्ते के बाद ही मुमकिन हो पाएगा। हालांकि भारत को कोरोना से पूरी तरह से आज़ादी पाने में ये पूरा साल भी गुज़र सकता है। लेकिन अगर वक्त रहते वैक्सीन आ गई तो ये बहुत बड़ी कामयाबी होगी। साथ ही अगर आप बीसीजी की रिपोर्ट पर गौर करे तो आपको कुछ लाल पीले और हरे रंग के निशान दिखाई देंगे। इसमें पहली लाइन में प्रति एक लाख मरीज़ों पर किस देश में कितने बेड हैं। ये दिखाया गया है। भारत के आगे इस लाल निशान को देखेंगे तो पता चलेगा कि इस मामले में भारत की हालत बेहद खराब है। वहीं रेस्पिरेट्री डिसीज़ के मामले में भारत अच्छे तरीके से हालात को संभाल रहा है। मगर देश में इस एपिडेमिक को संभालने की सलाहियत बाकी देशों के मुकाबला ज़्यादा अच्छी नहीं है। चूकि बीसीजी रिपोर्ट कई मामलों में काफी सटीक साबित हुई है। ऐसे में दुनिया के सभी एक्सपर्ट बीसीजी के अनुमान को नज़र अंदाज़ नही कर रहे हैं।