जानें अखिलेश और शिवपाल के लिए कितना महत्वपूर्ण है नंबर 22
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कानपुर से और उनके चाचा शिवपाल यादव ने मथुरा वृंदावन से चुनावी बिगुल फूंक दिया है, लेकिन दोनों अलग-अलग रास्तों पर हैं. सवाल ये है कि क्या चाचा भतीजे का रथ 22 नवंबर को पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के यहां रुकेगा? इस सवाल पर पीएसपी नेता दीपक मिश्रा कहते हैं कि प्रसपा नेता शिवपाल सिंह यादव जानते हैं कि सांप्रदायिक पार्टी भाजपा को केवल समाजवादी लोग ही रोक सकते हैं और उन्हें रोकने के लिए समाजवादियों को एक करने की कोशिश वह लगातार करते रहे हैं और करते रहेंगे.
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश मे एक वक्त ऐसा भी था जहां समाजवादी पार्टी से लेकर सरकार तक में शिवपाल यादव की हनक दिखाई देती थी. वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश से दूरियां बढ़ गई और उसके बाद उन्होंने अपने नए दल का गठन किया. हालांकि उनके करीबी रहे तमाम नेता एसपी में या तो हाशिए पर चले गए या उन्होंने नए दल की सदस्यता ले ली. माना जा रहा है कि शिवपाल के साथ आने के बाद तमाम छोटे राजनीतिक दल भी एसपी के साथ समझौते में शामिल होकर एक साथ 2022 में चुनाव लड़ सकते हैं.
चर्चा है कि शिवपाल सिंह यादव के गुट के नेताओं को किस तरह से एसपी संगठन में जगह दी जाए इस पर मंथन शुरू हो गया है. वहीं 22 नवंबर को मुलायम सिंह यादव के जन्मदिन पर एक बड़ा समारोह करने की तैयारी भी चल रही है, जिसमें शिवपाल यादव के भी पहुंचने की चर्चा है और इस मौके पर मुलायम सिंह यादव सूत्रधार की भूमिका निभा सकते हैं.
वैसे शिवपाल यादव ने बेटे आदित्य को जसवंत नगर सीट से उतारने का प्लान बनाया गया है. जसवंत नगर से पूर्व में मुलायम और शिवपाल दोनों नेता चुनाव लड़ चुके हैं. हालांकि इस बार शिवपाल खुद संभल की किसी विधानसभा सीट से लड़ने की तैयारी में हैं। हाल ही मे 2017 के आसपास अलग हो चुके कई नेताओं की घर वापसी हो चुकी है.