जानें तालिबान को कहां से मिलता है जंग लड़ने के लिए पैसा, कौन देता है इन्हें हथियार
नई दिल्ली. 20 साल के बाद तालिबान ने एक बार फिर से अफगानिस्तान (Taliban Capture Afghanistan) पर कब्जा कर लिया है. 15 अगस्त 2021 को तालिबान के लड़ाकों ने अफगानिस्तान के आखिरी किले काबुल को भी ढाह दिया. तालिबान की इस कामयाबी ने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया है. नवंबर 2001 में अमेरिका की सेना ने तालिबान को काबुल से खदेड़ दिया था. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर कैसे तालिबान ने दुनिया की सबसे ताकवर सेना के खिलाफ 20 सालों तक अपना संघर्ष जारी रखा.
अफगानिस्तान की सत्ता पर तालिबान का कब्जा इससे पहले सिर्फ 5 सालों का था. साल 2001 के बाद जब अमेरिका ने तालिबान के बड़े-बड़े नेताओं का सफाया कर दिया तो लोगों को लगा कि तालिबान की वापसी अब संभव नहीं है. लेकिन तालिबान ने 20 साल के लंबे इतज़ार के बाद अफगानिस्तान को पटखनी दे दी. वो देश जिसे अमेरिका जंग के कई मोर्चे पर लगातार मदद कर रहा था. चाहे वो आधुनिक हथियार हो या फिर वर्ल्ड क्लास की मिलिट्री ट्रेनिंग. कहा जा रहा है कि अमेरिका ने अफगानिस्तान में ट्रेनिंग और हथियार के नाम पर 80 बिलियन डॉर्ल खर्च किए. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर कैसे तालिबन जंग के मैदान में डटा रहा? उन्हें कहां से फंड मिले. आईए इन तमाम सवालों के जवाब पर नज़र डालते हैं…
ड्रग्स की सौदेबाजी से पैसा
>>मई 2020 की एक रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने अनुमान लगाया कि तालिबान को सालाना 300 मिलियन डॉलर से लेकर 1.5 बिलियन का फंड इकट्ठा होता है. जबकि 2019 में ये आंकड़े कम थे. इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि तालिबान नकदी संकट के दौर में काफी सावधानी से खर्चा कर रहा है.
मेथामफेटामाइन का धंधा: तालिबान की असली कमाई नशीली दवाओं के व्यापार से होती है. अफगानिस्तान से दुनिया के कई देशों में गैरकानूनी तरीके से ड्रग्स की खेप पहुंचाई जाती है. यहां अफीम की खेती होती है. इसके अलावा उन्हें हेरोइन बेच कर कमाई होती ही. लेकिन हाल के सालों में तालिबान मेथामफेटामाइन नाम का ड्रग्स की सप्लाई करने लगा है. जानकारों के मुताबिक इसमें मोटी कमाई होती है. इसमें अफीम और हेरोइन के मुकाबले कम लागत आती है. ड्रग्स की सप्लाई पाकिस्तान के बॉर्डर के जरिए की जाती है.
अफीम का उत्पादन: पिछले साल प्रकाशित एक रिपोर्ट में, यूएनओडीसी ने कहा था कि अफगानिस्तान वो देश है जहां सबसे अधिक अफीम का उत्पादन होता है. पिछले पांच वर्षों में दुनिया की 84 फीसदी अफीम का उत्पादन यहीं पर हुआ. पड़ोसी देशों और यूरोप के बाजारों में इसकी सप्लाई की जाती है. इसके अलावा पूर्व, दक्षिण एशिया और अफ्रीका और कुछ हद तक उत्तरी अमेरिका (विशेषकर कनाडा) और ओशिनिया भमें भी ड्रग्स की सप्लाई की जाती है.
खनन, टैक्स और दान से कमाई
>>अवैध नशीली दवाओं के व्यापार के अलावा – तालिबान के संस्थापक मुल्ला मुहम्मद उमर के बेटे मुल्ला मुहम्मद याकूब की देखरेख में अवैध खनन और निर्यात का भी धंधा चलता है.
>>लौह अयस्क, संगमरमर, तांबा, सोना, जस्ता और दुर्लभ धातुओं के अवैध खनन से 450 मिलिय डॉलर से अधिक की कमाई होती है.
>>जबरन वसूली और करों से 160 मिलियन डॉलर.
>> तालिबान को बड़े पैमाने पर फारस की खाड़ी के देशों से भी 240 मिलियन डॉरल का दान मिला.
>>रिपोर्ट में कहा गया है कि तालिबान के पास अफगानिस्तान और पाकिस्तान में भी 80 मिलियन डॉलर की संपत्ति है.
पाकिस्तान और लूट से मिले हथियार
>>ऐसा लगता है कि तालिबान के पास अफगान और अमेरिकी सेना से लड़ने के लिए हथियारों की कोई कमी नहीं थी. पाकिस्तान से तालिबान को हमेशा समर्थन मिलता रहा है. लेकिन तालिबान हथियारों और गोला-बारूद के किसी एक स्रोत पर निर्भर नहीं था.
>>ग्रेचेन पीटर्स और स्टीव कोल जैसे कई पत्रकारों ने बार-बार तालिबान को आईएसआई और पाकिस्तान सेना के समर्थन की ओर इशारा किया है.
>>तालिबान को सीधे हक्कानी नेटवर्क, पाकिस्तान के कबायली क्षेत्रों और अफगानिस्तान में स्थित एक विशाल इस्लामी माफिया से पैसे मिले हैं.
>> पाकिस्तान के चरमपंथी ग्रुप, धार्मिक स्कूल, खाड़ी देश और अरब देशों से पैसे मिले हैं. अमेरिकी नेताओं और जनरलों ने खुले तौर पर पाकिस्तान पर तालिबान के फंड को इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है जो उसे कट्टरपंथी आंदोलन के खिलाफ लड़ने के लिए मिला था.
>सितंबर 2017 में, तत्कालीन अफगान सेना प्रमुख जनरल शरीफ याफ्ताली ने बीबीसी को बताया था कि उनके पास ये साबित करने के लिए दस्तावेज हैं कि ईरान पश्चिमी अफगानिस्तान में तालिबान को हथियार और सैन्य उपकरण की आपूर्ति कर रहा है.
>>यूएस डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी की नवंबर 2019 की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 2007 के बाद से ईरान ने तालिबान को अफगानिस्तान में अमेरिका और पश्चिमी प्रभाव का मुकाबला करने के लिए हथियार, प्रशिक्षण और फंडिंग की
>>अमेरिका ने रूस पर तालिबान का समर्थन करने का भी आरोप लगाया है, लेकिन इसके बहुत कम सबूत हैं.
तालिबान के पास अमेरिकी सैन्य संपत्ति
>>तालिबान के हाथों में किस तरह की अमेरिकी सैन्य संपत्ति और कितनी संख्या में हथियार है इसका कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है.
>>अमेरिका ने 2017 में एक रिपोर्ट में कहा था कि 2003 और 2016 के बीच अमेरिका ने अफगान की सेना के लिए 75,898 वाहनों, 5,99,690 हथियारों, 208 विमानों और खुफिया, निगरानी के लिए कई इक्विपमेंट दिए थे. पिछले कुछ वर्षों में, अफगान बलों को 7,000 मशीनगन, 4,700 हुमवे और 20,000 से अधिक हथगोले दिए गए हैं. कहा जा रहा है कि अब इनमें से कई हथियार पर तालिबान का कब्जा हो गया होगा.