Kirloskar Oil Engines ने SEBI के आदेश के खिलाफ SAT में अपील की
SEBI ने कंपनी को 11 सितंबर 2009 को किर्लोस्कर परिवार द्वारा किए गए पारिवारिक समझौते (Deed of Family Settlement - DFS) का खुलासा करने का निर्देश दिया था।
किर्लोस्कर इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के एक आदेश को चुनौती देते हुए प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (SAT) में अपील दाखिल की है। SEBI ने कंपनी को 11 सितंबर 2009 को किर्लोस्कर परिवार द्वारा किए गए पारिवारिक समझौते (Deed of Family Settlement – DFS) का खुलासा करने का निर्देश दिया था। कंपनी ने इस आदेश को SEBI विनियमों के तहत अनावश्यक मानते हुए इसे चुनौती देने का निर्णय लिया है।
SEBI का आदेश और विवाद
SEBI ने 30 दिसंबर 2024 को एक पत्र जारी कर किर्लोस्कर इंडस्ट्रीज को पारिवारिक समझौते के दस्तावेज़ को सार्वजनिक करने का निर्देश दिया। यह निर्देश SEBI (LODR) विनियम, 2015 के विनियमन 30A के तहत दिया गया, जिसके अंतर्गत कंपनियों को उन महत्वपूर्ण समझौतों का खुलासा करना होता है, जिनका उनके प्रबंधन या शेयरधारकों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है।
SEBI का मानना है कि पारिवारिक समझौते में किए गए प्रावधान कंपनी के संचालन और शेयरधारकों के हितों को प्रभावित कर सकते हैं, इसलिए इसका खुलासा जरूरी है।
किर्लोस्कर इंडस्ट्रीज का तर्क
कंपनी ने अपने बयान में कहा कि उसने SEBI के आदेश के खिलाफ SAT में अपील दायर की है, क्योंकि वह इस आदेश को अनुचित मानती है। कंपनी का दावा है कि पारिवारिक समझौते का कंपनी के व्यवसायिक संचालन पर प्रत्यक्ष प्रभाव नहीं पड़ता, इसलिए इसका खुलासा करने की आवश्यकता नहीं है।
किर्लोस्कर परिवार के सदस्यों के बीच यह समझौता वर्ष 2009 में हुआ था, जिसका उद्देश्य पारिवारिक विवादों का समाधान करना था। कंपनी का कहना है कि यह समझौता व्यक्तिगत प्रकृति का है और इसे SEBI के विनियमों के तहत सार्वजनिक करने का आदेश देना सही नहीं है।
पारिवारिक विवाद का पृष्ठभूमि
किर्लोस्कर परिवार का पारिवारिक विवाद कई वर्षों से चर्चा में रहा है। यह विवाद मुख्य रूप से कंपनी के नियंत्रण और प्रबंधन को लेकर है। वर्ष 2009 में पारिवारिक सदस्यों के बीच एक समझौता हुआ था, जिससे इस विवाद को सुलझाने का प्रयास किया गया। हालांकि, इस समझौते से संबंधित जानकारी अब तक सार्वजनिक नहीं की गई है।
SEBI LODR विनियम 30A का महत्व
S.E.B.I के लिस्टिंग दायित्व और प्रकटीकरण आवश्यकताएं (LODR) विनियम 30A के तहत सूचीबद्ध कंपनियों को उन समझौतों का खुलासा करना आवश्यक होता है, जिनका उनके प्रबंधन या शेयरधारकों पर प्रभाव पड़ सकता है। SEBI का मानना है कि पारदर्शिता बनाए रखने के लिए ऐसे समझौतों का खुलासा जरूरी है, ताकि निवेशकों को सही जानकारी मिल सके।
SAT में अपील का संभावित परिणाम
SAT में दाखिल अपील पर सुनवाई के बाद ही यह स्पष्ट हो सकेगा कि SEBI का आदेश बरकरार रहेगा या नहीं। यदि SAT SEBI के आदेश को सही ठहराता है, तो किर्लोस्कर इंडस्ट्रीज को DFS का खुलासा करना होगा। दूसरी ओर, यदि SAT कंपनी के पक्ष में निर्णय देता है, तो SEBI का आदेश रद्द हो सकता है।
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किर्लोस्कर इंडस्ट्रीज और S.E.B.I के बीच यह विवाद पारदर्शिता और गोपनीयता के मुद्दे पर केंद्रित है। यह मामला न केवल कंपनी के लिए बल्कि पूरे कॉरपोरेट जगत के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसका प्रभाव अन्य कंपनियों की प्रकटीकरण नीतियों पर भी पड़ सकता है। अब सभी की नजरें SAT के निर्णय पर टिकी हैं, जो इस विवाद का अंतिम समाधान करेगा।