क्या बच्चों को स्कूल भेजना सुरक्षित है?
देशभर में स्कूल खुलने के बाद 600 से अधिक स्टूडेंट्स कोरोना से इन्फेक्ट हुए; इसके बाद भी एक्सपर्ट क्यों चाहते हैं आप बच्चों को स्कूल भेजें
16 महीनों तक बंद रहने के बाद अब देश के ज्यादातर राज्यों में स्कूल खुल गए हैं या खुल रहे हैं। ज्यादातर राज्यों ने तय किया कि सीनियर क्लासेस को पहले खोला जाए, बाद में छोटी कक्षाओं को खोला जाएगा। स्टूडेंट्स के लिए कोविड प्रोटोकॉल का पालन भी अनिवार्य बनाया गया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पिछले दो हफ्तों में पूरे देशभर में 600 से अधिक बच्चे कोविड-19 से इन्फेक्ट हुए हैं। पिछले हफ्ते ही पंजाब, हिमाचल प्रदेश और छत्तीसगढ़ में 100 से अधिक बच्चे इन्फेक्ट मिले हैं। इससे पहले महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, गुजरात समेत अन्य राज्यों में भी बच्चों के इन्फेक्ट होने की खबरें आ रही थीं। हिमाचल प्रदेश में तो स्कूलों को 22 अगस्त तक बंद कर दिया गया है। पंजाब सरकार ने भी रोज 10 हजार स्टूडेंट्स का RT-PCR टेस्ट कराने का फैसला किया है।
कोरोना से डरें या पढ़ाई का नुकसान होने दें, यह दुविधा पेरेंट्स को सता रही है। बच्चों को स्कूल भेजने पर इन्फेक्शन का खतरा है और न भेजने पर पढ़ाई के नुकसान का डर।
आइए जानते हैं किन राज्यों में स्कूल खुल चुके हैं? कहां स्टूडेंट्स के कोरोना से संक्रमित होने के मामले सामने आए हैं? क्या बच्चों को स्कूल भेजना सुरक्षित है? और बच्चों को स्कूल भेजने को लेकर एक्सपर्ट्स का क्या कहना है?
कहां-कहां स्कूल खुल चुके हैं?
देश के करीब आधे राज्यों में स्कूल खुल चुके हैं। ज्यादातर राज्यों में केवल 9वीं से 12वीं तक के स्टूडेंट्स को ही कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए स्कूल बुलाया जा रहा है। पंजाब में ही सभी क्लासेस के लिए स्कूल खुले हैं। 1 सितंबर से तेलंगाना, असम, राजस्थान और तमिलनाडु में भी स्कूल खोले जाने की तैयारी है।
बड़े राज्यों ने कब और कैसे खोले स्कूल?
राजस्थानः राज्य सरकार ने 1 सितंबर से स्कूल, कॉलेज और कोचिंग सेंटर खोलने की इजाजत दी है। 9वीं से 12वीं तक स्कूल, कॉलेज और कोचिंग सेंटर 50% क्षमता के साथ ऑफलाइन क्लास शुरू कर सकेंगे। कक्षा 1 से 8 तक के बच्चों की ऑनलाइन क्लास जारी रहेंगी। इस दौरान ऑनलाइन पढ़ाई भी जारी रहेगी और कोरोना संक्रमित मिलने पर 10 दिन क्लासेस बंद रखना होगी।
मध्यप्रदेशः राज्य सरकार ने 5 अगस्त से 9वीं और 10वीं के स्टूडेंट्स के लिए स्कूल खोले हैं। फिलहाल हफ्ते में केवल 2 दिन ही बच्चों को स्कूल जाना होगा। 26 जुलाई से 11वीं और 12वीं क्लास के स्टूडेंट्स के लिए स्कूल खुले थे। 11वीं और 12वीं के स्टूडेंट्स को 2 बैच में बांटकर हर बैच को अलग-अलग दिन स्कूल बुलाया जा रहा है।
गुजरातः राज्य में 15 जुलाई से 12वीं के स्टूडेंट्स के लिए ऑफलाइन क्लासेस शुरू हुई थी। 26 जुलाई से 9वीं से 11वीं तक के स्टूडेंट्स के लिए भी स्कूल खुले हैं। फिलहाल केवल 50% स्टूडेंट्स ऑफलाइन क्लासेस अटैंड कर सकते हैं। कॉलेज और टेक्निकल इंस्टीट्यूट्स भी 50% कैपेसिटी के साथ शुरू हो चुके हैं।
महाराष्ट्रः राज्य में 17 अगस्त से 5वीं से 12वीं तक के स्कूलों को खोलने की घोषणा राज्य सरकार ने की थी, लेकिन एक्सपर्ट कमेटी की सलाह के बाद फैसला टाल दिया गया है। महाराष्ट्र में 15 जुलाई से 8वीं से 12वीं तक के करीब 5,900 स्कूलों में ऑफलाइन क्लासेस शुरू कर दी गई हैं। ये सभी स्कूल ग्रामीण इलाकों में हैं जहां कोरोना के नए केस नहीं आ रहे हैं।
हरियाणाः देश में सबसे पहले हरियाणा में ही स्कूल खुले हैं। हरियाणा में 16 जुलाई से 9वीं से 12वीं तक के स्कूल खोल दिए गए हैं। सरकार ने 5वीं तक के स्कूलों को खोलने के लिए अधिकारियों को एक रिपोर्ट तैयार करने को कहा है। इस रिपोर्ट के आधार पर ही बची हुई क्लासेस को खोलने का फैसला लिया जाएगा।
पंजाबः 26 जुलाई से पंजाब में 10वीं और 12वीं के स्टूडेंट्स के लिए स्कूल खुले थे। 2 अगस्त से सरकार ने दायरा बढ़ाते हुए सभी स्टूडेंट्स के लिए ऑफलाइन क्लासेस शुरू कर दी है। बच्चों के स्कूल आने के लिए पेरेंट्स की सहमति जरूरी है। जो बच्चे स्कूल नहीं आना चाहते उनके लिए ऑनलाइन क्लासेस भी चलती रहेंगी।
हिमाचल प्रदेशः राज्य में 2 अगस्त से 9वीं से 12वीं तक के स्कूल खोले थे। कोरोना के केस बढ़ने लगे तो 22 अगस्त तक स्कूलों को दोबारा बंद कर दिया गया। 22 अगस्त के बाद तय होगा कि किन बच्चों को कब स्कूल आना है।
बिहारः राज्य में 16 अगस्त से कक्षा 1 से 8 तक को 50% कैपेसिटी के साथ शुरू किया है। 7 अगस्त से 9वीं से 12वीं क्लासेस भी ऑफलाइन चल रही हैं। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जा रहा है। बच्चों को घर का बना लंच बॉक्स ही लाना होगा। बसों में एसी बंद रहेंगे, और वेंटिलेशन के लिए खिड़कियां खुली रहेंगी। रोज 2 बार बसों का सैनिटाइजेशन होगा।
उत्तर प्रदेशः 16 अगस्त से राज्य में 9वीं से 12वीं तक के स्कूल खुल गए हैं। 23 अगस्त से 6ठी से 8वीं और 1 सितंबर से पहली से पांचवीं तक के स्कूलों को खोले जाने की तैयारी है। स्कूलों से कहा गया है कि 18 साल से ज्यादा उम्र के स्टूडेंट्स को वैक्सीनेट करें। स्कूलों में वैक्सीनेशन कैंप भी लगेंगे।
दिल्लीः दिल्ली सरकार ने 10वीं और 12वीं के स्टूडेंट्स को बोर्ड परीक्षाओं की काउंसलिंग और प्रैक्टिकल के लिए स्कूलों में जाने की अनुमति दी है। हालांकि, पेरेंट्स की लिखित सहमति जरूरी है। स्टूडेंट्स को किताबें और स्टेशनरी किसी के साथ शेयर नहीं करना है। साथ ही स्कूलों में सैनिटाइजेशन और थर्मल स्कैनिंग करना भी जरूरी है।
छत्तीसगढ़ः राज्य में 2 अगस्त से 10वीं और 12वीं के स्टूडेंट्स के लिए स्कूल खुल गए हैं। फिलहाल केवल 50% कैपेसिटी के साथ ही स्कूल खुले हैं। आधे-आधे स्टूडेंट्स को एक-एक दिन छोड़कर स्कूल आना होगा।
बाकी राज्यों की क्या स्थिति है?
तेलंगाना, असम और तमिलनाडु में 1 सितंबर से सीनियर क्लासेस के लिए स्कूल खोले जा सकते हैं। 8वीं से 12वीं तक के स्कूल खोले जा सकते हैं।कर्नाटक ने कहा है कि 9वीं से 12वीं तक के स्टूडेंट्स के लिए जल्द ही स्कूल खोले जाएंगे। फिलहाल उन जिलों में स्कूल खुलेंगे, जहां पॉजिटिविटी रेट 2% से कम है।पश्चिम बंगाल में स्कूल फिलहाल बंद ही रहेंगे। दुर्गापूजा की छुट्टियों के बाद स्कूल खोले जा सकते हैं।केरल ने बढ़ते केसेस की वजह से स्कूलों को लेकर कोई फैसला नहीं लिया है।आंध्रप्रदेश में 16 अगस्त से 12वीं क्लास के लिए स्कूल खुल चुके हैं।
क्या बच्चों को स्कूल भेजना सुरक्षित है?
अमेरिका की मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) ने एक स्टडी में बताया है कि स्कूल और कॉलेज में हीट, वेंटिलेशन और एयर कंडिशनिंग (HVAC) सिस्टम से इन्फेक्शन का खतरा कम हो सकता है। क्लासरूम में वेंटिलेशन, हीटिंग और एयर कंडीशनिंग पर ध्यान दिया जाए तो हवा में मौजूद एयरोसोल में वायरस ज्यादा देर तक नहीं टिक सकते। इन एयरोसोल की वजह से इन्फेक्शन का खतरा अधिक हो जाता है। क्लासरूम में अच्छा वेंटिलेशन होने से इस खतरे को कम किया जा सकता है।4 अगस्त को द लैंसेट चाइल्ड एंड अडोलेसेंट हेल्थ जर्नल में छपी एक रिपोर्ट कहती है कि कोविड-19 से इन्फेक्टेड बच्चे 6 दिन में रिकवर कर जाते हैं। उन्हें लॉन्ग कोविड होने का खतरा भी बेहद कम है। 20 में से सिर्फ 1 बच्चे में 4 हफ्ते से अधिक समय तक लक्षण दिखे हैं। पर अच्छी बात यह है कि बच्चे 8 हफ्ते में पूरी तरह ठीक हो रहे हैं। 5 से 17 साल तक के 2.5 लाख बच्चों पर यह स्टडी की गई है।
महामारी विशेषज्ञ डॉक्टर चंद्रकांत लहारिया के मुताबिक…
तीसरी लहर बच्चों के लिए खतरनाक होगी, इस बात का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। पहली और दूसरी लहर में भी बच्चे कम संक्रमित हुए हैं। कुल गंभीर मरीजों में केवल 10 से 11% लोग ही 18 साल से कम उम्र के हैं।कोरोना वायरस फेफड़ों में मौजूद एसीई-2 नाम के रिसेप्टर्स से जुड़ता है। बच्चों में ये रिसेप्टर्स अंडर-डेवलप होते हैं। इसी वजह से बच्चों में इन्फेक्शन होने के बाद भी गंभीर लक्षण नहीं होते।जिन देशों में तीसरी या चौथी लहर आई है, वहां भी बच्चे अधिक प्रभावित नहीं हुए हैं। नए वैरिएंट्स भी बच्चों को अधिक प्रभावित नहीं कर रहे। यानी तुलनात्मक रूप से देखें तो बच्चों को कोई रिस्क नहीं है।