क्लासरूम में सहज नहीं हो पा रहे, सही परवरिश के लिए पुराने माहौल में लौटना जरूरी
कोरोना की पाबंदियों के चलते मेलजोल भूले बच्चे:
स्कूल खुलने पर टीचर्स के सामने नई चुनौतियां आ रही आ रही हैं।
ऑनलाइन लर्निंग के दौरान टीचर्स ने बच्चों को जितना हो सकता था, बेहतर तरीके से पढ़ाया। इसके बावजूद वे आपसी मेल-जोल का वह माहौल नहीं दे सके, जाे लंच टाइम में या खेलकूद के समय बच्चों को मिलता था। जाहिर तौर पर ऑनलाइन क्लास के दौरान यह संभव भी नहीं था। इसके चलते अब जबकि करीब डेढ़ साल बाद स्कूल खुलने लगे हैं, तो खास तौर पर छोटे बच्चों को साथियों से मेल-जोल बढ़ाने में दिक्कत आ रही है।
लिहाजा, टीसर्च के सामने चुनौती ये है कि बच्चों को मेलजोल के पुराने माहौल में कैसे वापस लाया जाए? इससे निपटने का एक सुझाव लेखिका जुडिथ वॉर्नर देती हैं। उन्होंने ‘एंड दैन दे स्टॉप्ड टॉकिंग टु मी: मेकिंग सेंस ऑफ मिडिल स्कूल’ नाम से एक किताब भी लिखी है। इसको लिखने के लिए उन्होंने भारत सहित कई देशों के समान हालात का अध्ययन किया है। एक न्यूज चैनल से बातचीत में उन्होंने अध्ययन के निष्कर्षों को साझा किया।
बीते डेढ़ साल ने बच्चों को थका दिया
जुडिथ कहती हैं, ‘बच्चे दो तरह के मनोभाव से गुजर रहे हैं। एक तरफ उन्हें पुराने दिनों के लौटने की खुशी है। दूसरी तरफ, नए माहौल से तालमेल बिठाने में दिक्कत हो रही है। बीते डेढ़ साल ने उन्हें थका दिया है। ऐसे में, उनको पहले जैसे मेल-जोल वाले माहौल के हिसाब से ढालना मुश्किल है। इसके बावजूद उन्हें यह करना होगा। नहीं करेंगे तो उनका अकादमिक विकास भी रुक सकता है।’
जुडिथ सलाह देती हैं कि माता-पिता, शिक्षकों को बच्चों की पसंद-नापसंद पर गौर करना चाहिए। उन्हें ऐसी चीजें करने के लिए न कहें, जिनके साथ वे सहज महसूस नहीं करते। बच्चों को अहसास कराएं कि कोई उनके साथ है। उनकी समस्या का समाधान सुझा सकता है।’ बकौल जुडिथ बच्चे जब भी खुद को कमजोर महसूस करते हैं, मतलबी से हो जाते हैं।
इससे उनका व्यक्तित्व विकास बाधित होता है। खासतौर पर नर्सरी से आठवीं तक के बच्चों के लिए यह स्थिति खतरनाक हो सकती है। यही उनके विकास का सबसे अहम चरण होता है। ऐसे बच्चों के लिए स्कूल खासतौर पर घर जैसा माहौल देकर उन्हें सहज परिस्थिति उपलब्ध करा सकते हैं।
बच्चे हमेशा उसी के साथ खुश होते हैं जिनसे वे जुड़ना चाहते हैं: जुडिथ
जुडिथ ने कहा, बच्चे हमेशा उन लोगों से मिल-जुलकर खुश होते हैं, स्वतंत्र महसूस करते हैं, जिनके साथ वे जुड़ना चाहते हैं। किशोर अवस्था के ठीक पहले के दौर में दिमाग का तेजी से विकास होता है। बच्चों की याददाश्त की क्षमता तेज होती है। उन्हें आसपास की चीजें प्रभावित करती हैं। जैसे- कौन उनके बारे में क्या सोचता है, क्या कहता है, कैसी प्रतिक्रिया देता है, आदि। यह सब उनकी प्रगति को प्रभावित करता है। इसलिए उनका आपसी मेलजोल जरूरी है।’
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