खुदा हाफिज: दो मारा पर सॉलिड मारा
– ए॰ एम॰ कुणाल
विद्युत जामवाल की फ़िल्म खुदा हाफिज डिज्नी हॉटस्टार पर रिलीज हो गई है। फारुक कबीर द्वारा लिखी और निर्देशित खुदा हाफिज सच्ची घटनाओं से प्रेरित है। तिग्मांशु धूलिया निर्देशित “यारा” के दो हफ़्ते बाद विद्युत की दूसरी फिल्म “खुदा हाफिज” रिलीज़ हुई है । तिग्मांशु की फ़िल्म से काफ़ी उम्मीद थी पर फारुक कबीर बाज़ी मारने में सफल रहे है। विद्युत ने अपनी शानदार ऐक्टिंग से “कमांडो“ को “खुदा हाफिज” कर दिया है।
इस फ़िल्म में विद्युत जामवाल ने एक बेबस आम आदमी का किरदार निभाया है, जो अपनी पत्नी को बचाने के लिए हर मुमकिन कोशिश करता है। इस फ़िल्म में एक्शन कम, इमोशन ज़्यादा है। विद्युत जामवाल को देखकर यकीन कर पाना मुश्किल हैं कि एक एक्शन स्टार ने इमोशमनल सीन को किस ख़ूबसूरती से निभाया है। ख़ासकर जब समीर चौधरी उर्फ़ विद्युत जामवाल नोमान में पहली बार अपनी पत्नी तक पहुँचता है और उसे कहा जाता है कि दस मिनट वेट करो, वह दूसरे ग्राहक के साथ है। उस वक्त विद्युत जिस तरह से अपने इमोशन को कंट्रोल करते है, वह देखने लायक़ है। विद्युत का वह सीन फ़िल्म का बेस्ट पार्ट है।
ह्यूमन ट्रैफिकिंग पर बनी इस फ़िल्म को उज्बेकिस्तान के खूबसूरत लोकेशंस पर शूट किया गया है। खुदा हाफिज में ऐक्शन सीन कम है पर जो है, वह लाजवाब है। अमर अकबर एंथोनी फ़िल्म का अमिताभ बच्चन साहब के डायलॉग के अन्दाज़ में बोलें तो विद्युत दो मारा, पर सॉलिड मारा।
फ़िल्म की कहानी- खुदा हाफिज में लखनऊ में रहने वाला नवविवाहित जोड़ा समीर चौधरी (विद्युत जामवाल) और नर्गिस (शिवालीका ओबेराय) की 2008 के मंदी के दौर की कहानी है। समीर चौधरी एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर है, जिसकी मुस्लिम समुदाय की लड़की नरगिश से शादी होती है। दोनों मंदी में अपनी नौकरियां गंवा देते है। थक हार कर जॉब एजेंसी चलाने वाले एक एजेंट नदीम ( विपीन शर्मा ) की मदद से नोमान में अपने लिए नौकरी ढूंढते हैं। फ़र्स्ट कॉल नर्गिस को आ जाता है, इसलिए नर्गिस पहले नोमान चली जाती है। नोमान पहुंचते ही वह किडनैप हो जाती है। वह समीर को कॉल कर के बताती है, “यह वह जगह नहीं जहां अप्लाई किया था।यहां मेरे साथ बुरा बर्ताव हो रहा है! मुझे यहाँ से ले जाओं!” इससे पहले कि नर्गिस पूरी बात कर पाती, उसका फ़ोन कट जाता है। बाद में समीर को पता चलता है कि एजेंट नदीम जिस्मफरोशी के धंधे के रैकेट से जुड़ा होता है। समीर यह खबर सुनकर परेशान हो जाता है और अगली फ्लाइट से नोमान जाता है, जहां उसकी मुलाकात पाकिस्तान के टैक्सी ड्राइवर उस्मान भाई (अनु कपूर) से होती है। अजनबी देश में समीर के लिए उस्मान भाई एक फ़रिश्ता साबित होता है।
समीर भारतीय दूतावास से मदद लेता है, लेकिन उसे भरोसे के अलावा कुछ नहीं मिलता है। ऐसे में वह खुद नर्गिस को ढूंढने लगता है।उस्मान भाई की मदद से पता चलता है कि नर्गिस को जिस्मफरोशी के धंधे में डाल दिया गया है। वह नर्गिस तक पहुँच तो जाता है पर उसे निकाल पाने में कामयाब नहीं हो पाता है। नोमान की पुलिस उसको गिरफ़्तार कर लेती है। इसके बाद नोमान की इंटरनल सिक्युरिटी एजेंसी (आईएसए) के फैज (शिव पंडित) और तमीना (अहाना कुमरा) नर्गिस को ढूंढने में मदद करते हैं। अंत में समीर जिस्मफरोसी के धंधे का सरग़ना (नवाब शाह) तक कैसे पहुँचता है? नर्गिस उसे दोबारा मिलती है या नहीं? ऐसे कई सवाल है, जिसके लिए आपको “खुदा हाफिज” देखनी होगी।
खुदा हाफिज फ़िल्म की जान विद्युत जामवाल है। विद्युत ने एक ऐक्शन हीरो की इमेज़ को तोड़ने की भरसक कोशिश की है। इस फिल्म में विद्युत का एक्शन कम, इमोशन ज्यादा देखने को मिला है। फ़िल्म देखने वक़्त विद्युत के साथ-साथ आप भी अपनी उँगलिया चटकाने लगेंगे।
फ़िल्म “ये साली आशिकी” डेब्यू करने वाली शिवालीका ओबेराय के लिए नर्गिस के रोल में ज़्यादा कुछ करने के लिए नहीं था। शिवालीका ओबेराय का किरदार काफ़ी अहम था पर ओमान जाकर जैसे खो गया हो। छोटे रोल के बावजूद अपना अभिनय का छाप छोड़ने में शिवालीका सफल रही है।
इस फ़िल्म के लिए विद्युत के अलावा अगर किसी को याद रखा जाएगा तो वह है अनु कपूर। इस फ़िल्म में अनु कपूर बिल्कुल अपने किरदार में दिखाई दिए है। उस्मान भाई का किरदार जिस तरह से उन्होंने जिया है, शायद दूसरे किसी कलाकार के लिए मुश्किल होता। शिव पंडित और अहाना कुमरा का काम अच्छा है। नवाब शाह छोटे में रोल भी दर्शकों को डराने में सफल रहे है।
फ़िल्म के निर्देशक फारुक कबीर ने ह्यूमन ट्रैफिकिंग के मुद्दे पर काफ़ी विस्तार से फ़िल्म बनाई है। फ़िल्म की धीमी कहानी के बावजूद अंत तक दर्शकों को बांधने में कामयाब रहे है। फ़िल्म की कहानी नई नहीं है, लेकिन फ़िल्माया अच्छे से गया है। अगर फ़िल्म थोड़ी छोटी होती तो बेहतर होता।
फ़िल्म: खुदा हाफिज
कलाकार: विद्युत जामवाल, शिवालिका ओबेरॉय, अन्नू कपूर, आहना कुमरा, शिव पंडित, नवाब शाह विपीन शर्मा और आराध्या मान
निर्देशक: फारूक कबीर
ओटीटी: डिजनी प्लस हॉटस्टार