हाथ मिलाना भी मंजूर नहीं:इमरान खान बोले- भ्रष्ट नेताओं से हाथ मिलाना पसंद नहीं करता,

शरीफ बंधुओं से कोई रंजिश नहीं

इमरान ने कहा है कि शरीफ और जरदारी खानदान ने अरबों रुपए का भ्रष्टाचार किया है। (फाइल)

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा है कि वो भ्रष्ट नेताओं से हाथ मिलाना भी पसंद नहीं करते। इस मामले में उन्होंने नवाज शरीफ परिवार और आसिफ अली जरदारी की फैमिली का नाम लिया। इमरान ने बताया कि कई लोग उनसे अकसर यह सवाल करते हैं कि उन्होंने कभी नवाज के भाई शहबाज शरीफ और आसिफ अली जरदारी से हाथ क्यों नहीं मिलाया। इमरान का यह बयान हास्यास्पद और सच्चाई से कोसों दूर है। इसकी वजह यह है कि उनकी कैबिनेट के ज्यादातर मंत्री पहले नवाज और जरदारी के साथ ही रहे हैं और ज्यादातर पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं।

निजी रंजिश नहीं
इस्लामाबाद में एक एकेडमिक इंस्टीट्यूट में भाषण के दौरान इमरान ने कहा कि मुल्क के सामने कई चैलेंज हैं। इनमें दो सबसे अहम हैं। पहला- करप्शन और दूसरा- मूल्यों या सिद्धांतों में गिरावट।

खान ने कहा- कई बार लोग मुझसे पूछते हैं कि मैं विपक्ष के नेताओं यानी शहबाज शरीफ और जरदारी से हाथ क्यों नहीं मिलाता। यहां मैं साफ कर देना चाहता हूं कि इन दोनों ही नेताओं से मेरी कोई निजी दुश्मनी नहीं है। मेरा और उनका कोई वास्ता नहीं है और कोई संबंध नहीं है। इन लोगों ने अरबों रुपए का भ्रष्टाचार किया है। अगर मैं इनसे हाथ मिलाता हूं तो इसका मतलब ये हुआ कि मैं हमारे समाज में करप्शन को कबूल कर रहा हूं। इसलिए इन दोनों से हाथ नहीं मिलाता।

सच्चाई कुछ और
इमरान खान अकसर पिछली सरकारों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हैं, लेकिन सच्चाई कुछ और है। इमरान की कैबिनेट में विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी और होम मिनिस्टर शेख रशीद समेत 80% मंत्री ऐसे हैं जो किसी न किसी वक्त नवाज शरीफ और जरदारी सरकार में मंत्री रह चुके हैं या इन दोनों की पार्टियों में रह चुके हैं। खुद इमरान खान पर दूसरे देशों से पार्टी फंडिंग लेने के गंभीर आरोप हैं। उनके फाइनेंशियल एडवाइजर शौकत तरीन की 6 कंपनियों के नाम हाल ही में पैंडोरा पेपर्स में सामने आए थे।

इमरान की ज्ञानवाणी
खान ने कहा- एक मुल्क तब ही तबाह होता है जब वो अच्छे और बुरे में फर्क करना छोड़ देता है। हमारे यहां यही हो रहा है। पश्चिमी देशों में भी विधायकों और सांसदों की खरीद-फरोख्त होती है। हमारे यहां भी सीनेट इलेक्शन में यही सब कुछ होता रहा है। अच्छा होगा हमारे यहां के स्कॉलर्स और एजुकेटेड तबका इन बातों की गंभीरता समझे और आवाज उठाए, क्योंकि उसके बिना कुछ सुधार मुमकिन नहीं है। हम नया पाकिस्तान बनाना चाहते हैं और इसके लिए जरूरी है कि युवा वर्ग सबसे पहले आगे आए।

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