कारगिल हीरो परमवीर चक्र विजेता योगेंद्र यादव बुलन्दशहर।
कारगिल हीरो परमवीर चक्र विजेता योगेंद्र यादव बुलन्दशहर।
कारगिल हीरो परमवीर चक्र विजेता योगेंद्र यादव बुलन्दशहर।
देश मे आज मनाया जा रहा है ,23 वां कारगिल दिवस।
एंकर – देश मे आज कारगिल दिवस मनाया जा रहा है। आज 23 वां कारगिल विजय दिवस 26 जुलाई है हम कारगिल युद्ध के हीरो परमवीर चक्र विजेता योगेंद्र यादव के बारे में बता रहे हैं जो कि उत्तरप्रदेश के जनपद बुलन्दशहर के औरंगाबाद अहीर गांव के है। आइये बताते परमवीर चक्र विजेता की कारगिल युद्ध की कहानी , किस तरह इस सैनिक ने करगिल में दुश्मन के छक्के छुड़ाए और प्राय अमृत अवस्था में दुश्मन पर बमबारी कर फतेह हासिल की है कारगिल की कहानी योगेंद्र यादव कारगिल युद्ध के हीरो और परमवीर चक्र विजेता योगेंद्र यादव ने कहा था कि युद्ध सैनिक ही नहीं बल्कि देश का हर शख्स लड़ता है। सीमा पर युद्ध जरूर जवान लड़ता है, लेकिन देश का नागरिक मानसिक और आर्थिक रूप से युद्ध लड़ते हैं।
बुलंदशहर के रहने वाले योगेंद्र यादव ने कारगिल युद्ध के मंजर को याद करते हुए कि 18 हज़ार फ़ीट की ऊंचाई पर दुश्मन घात लगाए बैठा था। दुश्मनों ने कभी नहीं सोचा था,की वह यहां से जिंदा बचकर वापस जा पाएंगे, लेकिन वह यह भूल गए की भारत माता की धरती पर शेर और शेरनियां पैदा होती हैं। देश के जवान ऊंची पहाड़ियों को अपने खून से पावन कर ऊपर चढ़ते चले गए और दुश्मन का खात्मा किया। जवानों ने तोरोलिंग, टाइगर हिल, बटालिक और तरफ की चौटियों को फतह करते हुए विजय की गाथा लिखी। योगेंद्र यादव कहते हैं, कि आज देश की तीनों सेनाएं बहुत मजबूत स्थिति में है और दुश्मनों की आंख निकलने में पूरी तरह सक्षम हैं। अगर देश के सैनिक में एक भी सांस बाकी है, तो वह मरते दम तक मातृभूमि को छोड़ता नहीं हैं। कारगिल युद्ध के मंजर को याद करते हुए योगेंद्र यादव कहते हैं कि टाइगर हिल पर हम सात जवान दुश्मन से लोहा ले रहे थे, मैंने अपने 06 साथियों को अपने सामने खोया है। किसी के सिर में गोली लगी थी तो किसी के शरीर से खून की धार बह रही थी। मेरे शरीर मे भी 17 गोलियां मारी गई थी लेकिन भारत माता को मुझे बचाना था।