One Nation , No Election रख लो – न्यूज़ नशा के डिस्कशन में वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कौशिक ने कहा…

'One Nation , One Election' विधेयक पर चर्चा करते हुए एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की। उनका कहना था,

वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कौशिक ने ‘One Nation , One Election’ विधेयक पर चर्चा करते हुए एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की। उनका कहना था, “अगर खर्च बचाना है तो एक साथ चुनाव कराओ, लेकिन मैंने बिल को पढ़ा है और इसमें कोई खास व्यवस्था नहीं की गई है।” उनका यह बयान इस विधेयक की गंभीर आलोचना करता है, क्योंकि इसमें कई सवाल खड़े हो रहे हैं, जैसे कि क्या इसे लागू करने से खर्च में वास्तव में कोई कमी आएगी और क्या इससे चुनावी प्रक्रिया पर कोई असर पड़ेगा?

‘One Election, One Election’ विधेयक: क्या है इसमें?

‘One Nation , One Election’ विधेयक का उद्देश्य भारत में केंद्र, राज्य, और स्थानीय निकायों के चुनावों को एक साथ आयोजित करने का है। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने यह विधेयक लोकसभा में पेश किया। इसका उद्देश्य चुनावी प्रक्रिया को अधिक प्रभावी बनाना और चुनावों पर होने वाले खर्च को कम करना है। इसके तहत प्रस्तावित है कि सभी चुनाव एक ही समय पर आयोजित किए जाएं, ताकि चुनाव आयोग और अन्य संस्थाओं पर दबाव कम हो सके और प्रशासनिक खर्चों में कमी लाई जा सके।

विधेयक के अनुसार, एक साथ चुनाव कराने से संसाधनों की बचत होगी और चुनावी प्रचार, चुनावी सुरक्षा, मतदान प्रक्रिया, और चुनाव परिणामों की घोषणा में आसानी होगी। हालांकि, इसे लागू करने के लिए संविधान में संशोधन की आवश्यकता होगी और इस विधेयक का प्रभाव पूरी राजनीतिक व्यवस्था पर पड़ सकता है।

विधेयक में क्या लिखा है?

विधेयक में कुछ महत्वपूर्ण बिंदु शामिल हैं:

  1. चुनावों का समन्वय: यह प्रस्तावित किया गया है कि लोकसभा, राज्य विधानसभा, और स्थानीय निकायों के चुनाव एक साथ आयोजित किए जाएं। इसके लिए एक विशेष तंत्र का निर्माण किया जाएगा, जिससे चुनावों की प्रक्रिया अधिक समन्वित और प्रभावी हो।
  2. संविधान संशोधन: विधेयक के अनुसार, इस प्रणाली को लागू करने के लिए संविधान में आवश्यक संशोधन किए जाएंगे। इसमें चुनावों की तिथियों को समायोजित करने और राज्यों की विधानसभाओं के कार्यकाल को समायोजित करने का प्रस्ताव है।
  3. राज्य सरकारों की स्वायत्तता: विधेयक में यह भी कहा गया है कि राज्य सरकारों के चुनावों को एक साथ आयोजित करने से उनके अधिकारों में कोई व्यवधान नहीं होगा, हालांकि विपक्षी दलों का यह कहना है कि इससे राज्यों की स्वायत्तता पर असर पड़ेगा।
  4. चुनाव आयोग का कार्यभार: विधेयक के अनुसार, चुनाव आयोग को हर पांच साल में एक साथ चुनाव कराने का जिम्मा सौंपा जाएगा। यह आयोग चुनाव के समन्वय और उनके आयोजन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
  5. विधानसभा और लोकसभा चुनावों का तालमेल: यह प्रस्तावित किया गया है कि लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने से चुनावी प्रक्रिया में स्थिरता आएगी, और इससे चुनावी दवाब और अस्थिरता में कमी आएगी।

विधेयक के नुकसान और आलोचनाएँ

  1. राज्य की स्वायत्तता पर असर: विधेयक के आलोचकों का कहना है कि इससे राज्यों की स्वायत्तता पर खतरा हो सकता है। राज्यों के चुनावों के समय केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित तिथियों के अनुसार चुनाव करवाए जाएंगे, जिससे राज्यों के अधिकारों में कमी आ सकती है। राज्यों के चुनावों को एक साथ करना राज्यों की राजनीतिक स्वतंत्रता को भी प्रभावित कर सकता है।
  2. राजनीतिक असंतुलन: एक साथ चुनाव कराने से बड़े और संसाधन-सम्पन्न दलों को फायदा हो सकता है, जबकि छोटे और क्षेत्रीय दलों को नुकसान हो सकता है। बड़े दलों के पास अधिक प्रचार सामग्री, धन और संसाधन होते हैं, जबकि छोटे दल अपनी स्थिति बनाए रखने के लिए संघर्ष करते हैं।
  3. संविधान में बदलाव की आवश्यकता: इस विधेयक को लागू करने के लिए संविधान में संशोधन की आवश्यकता होगी, जो कि एक बड़ा संवैधानिक कदम है। इसके लिए लोकसभा और राज्यसभा में दो तिहाई बहुमत से इसे पारित करना होगा, और इसके बाद राष्ट्रपति की स्वीकृति भी जरूरी होगी। यह प्रक्रिया लंबी और जटिल हो सकती है।
  4. चुनावों में असमंजस: यदि किसी राज्य में चुनाव समय पर नहीं हो पाते हैं या चुनाव स्थगित हो जाते हैं, तो यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है। साथ ही, यदि कोई पार्टी सत्ता में नहीं रहती और अगले चुनाव तक कोई अस्थिरता आती है, तो यह जनता के विश्वास को भी प्रभावित कर सकता है।
  5. स्थानीय मुद्दे दब सकते हैं: जब राज्य और स्थानीय निकायों के चुनाव एक साथ होंगे, तो स्थानीय मुद्दे राष्ट्रीय मुद्दों के मुकाबले कम महत्त्व प्राप्त कर सकते हैं। इससे छोटे दलों और क्षेत्रीय समस्याओं के समाधान में बाधा उत्पन्न हो सकती है।

विधेयक का प्रस्तुतिकरण और प्रक्रिया

‘One Nation , One Election’ विधेयक को केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने 2024 में लोकसभा में पेश किया। उन्होंने इसे संसद में चर्चा के लिए पेश किया और कहा कि यह विधेयक चुनावी प्रक्रिया में सुधार और खर्च में कमी लाने के उद्देश्य से प्रस्तुत किया गया है। विधेयक को पेश करते समय मेघवाल ने इसके फायदों और आवश्यकता के बारे में विस्तार से बताया, लेकिन विपक्ष ने इस पर आपत्ति जताई और इसे लोकतांत्रिक प्रणाली के खिलाफ बताया।

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”One Nation , One Election” विधेयक एक विवादास्पद और चुनौतीपूर्ण कदम हो सकता है, जिसका भारतीय राजनीति पर गहरा असर पड़ेगा। जबकि इसके समर्थक इसे संसाधनों की बचत और चुनावों की प्रक्रिया को सरल बनाने का एक उपाय मानते हैं, विपक्षी दलों के अनुसार यह विधेयक राज्यों की स्वायत्तता और छोटे दलों के अस्तित्व के लिए खतरा हो सकता है। विधेयक में कई कमजोरियां और अस्पष्टताएं हैं, जिन्हें सुलझाए बिना इसे लागू करना भारतीय लोकतंत्र के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

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