कैट ने फ्लिपकार्ट और आदित्य बिरला फैशन एंड रिटेल के बीच डील पर उठाया सवाल
नई दिल्ली। फ्लिपकार्ट और एक फैशन एवं रिटेल के बड़े ब्रांड के बीच पिछले दिनों हुई एक डील पर कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने मंगलवार को सवाल उठाए हैं। इस सौदे में कारोबारी संगठन कैट को एफडीआई नीति के उल्लंघन नजर आ रही है। इसलिए संगठन ने केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल को एक पत्र लिखकर इस सौदे पर हरी झंडी नहीं देने की मांग की है।
फ्लिपकार्ट को 7.8 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की मंजूरी
दरअसल पिछले दिनों ही आदित्य बिड़ला फैशन एंड रिटेल ने वॉलमार्ट के स्वामित्व वाली ई-कॉमर्स कंपनी ने फ्लिपकार्ट को अपनी 7.8 फीसदी हिस्सेदारी बेचने को मंजूरी दी है। कैट ने इसे एफडीआई नीति का उल्लंघन बताया है। इस मसले पर संगठन ने केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पियूष गोयल को एक पत्र भेजकर इस सौदे को अनुमति न देने की मांग की है। कारोबारी संगठन का कहना है कि सरकार इस सौदे की शर्तों को पहले समझे और किस प्रकार से एफडीआई पॉलिसी का उल्लंघन हो रहा है, उसको दूर करके ही कोई इजाजत दे। यदि ठीक है तो अनुमति मिले, अन्यथा इस सौदे को रद्द किया जाए।
बिड़ला परिवार विदेशी कंपनियों से कर रहा गठजोड़
कैट ने खेद व्यक्त करते हुए कहा कि देशभर के व्यापारी बिड़ला परिवार को बेहद सम्मान की दृष्टि से देखते हैं, क्योंकि, बिड़ला परिवार का देश के आर्थिक, व्यापारिक, सामाजिक एवं धार्मिक विकास में बड़ा योगदान है। भारत की आजादी में भी बिड़ला परिवार ने एक बड़ी भूमिका का निर्वाह किया है किन्तु इसी बिड़ला परिवार के वशंज अब उन विदेशी कंपनियों के साथ गठजोड़ कर रहे हैं, जिन्होंने देश के व्यापार को कब्ज़ाने एवं व्यापारियों को प्रताड़ित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।
कैट ने कहा-करार एफडीआई पॉलिसी का उल्लंघन
खंडेलवाल ने बताया कि स्टॉक एक्सचेंज को दिए गए अपने घोषणा वक्तव्य में आदित्य बिड़ला फैशन रिटेल ने बताया है कि वालमार्ट के स्वामित्व वाली कंपनी फ्लिपकार्ट उसकी कंपनी में 7.8 फीसदी हिस्सा खरीद रही है। इस सौदे के बाद फ्लिपकार्ट ई-कॉमर्स प्लेटफार्म पर आदित्य बिड़ला फैशन रिटेल एक प्रेफर्ड सैलर के रूप में काम करेगा। ये सीधे तौर पर एफडीआई पॉलिसी के प्रेस नोट न. 2/2018 के पैरा 5.2.15.2.4(v) का उल्लंघन है। मौजूदा एफडीआई पालिसी किसी भी विदेशी कंपनी को ऐसी किसी भी कंपनी में, जिसमें उसका निवेश हो, को ई-कॉमर्स सहित मल्टी ब्रांड रिटेल ट्रेडिंग में किसी भी प्रकार के गठजोड़ की अनुमति नही देती है।