पति राम बोले- 370 हटने के पहले मेरी बीवी जिंदा थी, हटने के बाद मार दी गई
कश्मीर में सुपिंदर कौर के घर से रिपोर्ट; केंद्र से नाराज कश्मीरी सिख
जम्मू कश्मीर की राजधानी श्रीनगर के अलोचाबाग में रहने वाली 45 साल की सुपिंदर कौर। पेशा- स्कूल में प्रिंसिपल। दो बच्चे; एक बेटा, एक बेटी। बेटी सातवीं क्लास में और बेटा चौथी क्लास में। पति का नाम- राम राजपाल सिंह, जम्मू कश्मीर बैंक में मुलाजिम। 7 अक्टूबर को सुबह सुपिंदर अपने घर से बच्चों के लिए नाश्ता बनाकर निकलीं और बच्चों से वादा करके गईं कि लौटकर लंच बनाएंगी, लेकिन सुपिंदर घर नहीं लौट सकीं।
ईदगाह के बॉयज हाईस्कूल में आतंकियों ने उनकी हत्या कर दी, उनके साथ एक और शिक्षक दीपक चांद को भी मार दिया गया। वारदात के दो दिन बाद भास्कर रिपोर्टर वैभव पलनीटकर और मुदस्सिर कल्लू सुपिंदर कौर के घर पहुंचे और परिवार के लोगों से बात की।
पढ़िए उनकी ये एक्सक्लूसिव ग्राउंड रिपोर्ट…
घर के आंगन में टेंट लगा हुआ है। जान-पहचान वालों का आना-जाना लगा है। बगीचे में कालीन बिछा हुआ है, जिस पर सुपिंदर के पति राम राजपाल सिंह बैठे हुए हैं, जिन्हें लोगों ने घेरा हुआ है। घर के अंदर का नजारा बदला हुआ और गमगीन है। महिलाएं दुबक-दुबक कर रो रही हैं। एक महिला मीडिया वालों को देख बरसने लगीं, ‘अब यहां क्या करने आए हो, तब कहां थे जब सुपिंदर को आतंकियों ने चुन-चुनकर मार दिया।’
सुपिंदर कौर के घर के बाहर पोस्टर लगे हैं। उनके लिए न्याय की मांग हो रही है। घर पर लोगों का आना-जाना लगा है।
सुपिंदर की 7वीं क्लास में पढ़ने वाली बेटी जसलीन कौर अपने घर के बाहर जगह-जगह पोस्टर चिपका रही है, जिस पर अंग्रेजी में लिखा हुआ है, ‘उन हत्यारों को शर्म आनी चाहिए जिन्होंने महान सुपिंदर कौर की हत्या की। हम सभी चाहते हैं कि सुपिंदर को न्याय मिले।’
हमने सुपिंदर के पति राम राजपाल को ढांढस बंधाने की कोशिश की और बातचीत की शुरुआत की। उन्होंने बताया, ‘सुपिंदर से मेरी शादी 16 साल पहले हुई थी। हमारी अरेंज्ड मैरिज थी। सुपिंदर ने कश्मीर यूनिवर्सिटी से पॉलिटिकल साइंस में MA और BEd किया। उन्हें पढ़ाने का बहुत शौक था। मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि ऐसा कभी होगा। हम यहीं पैदा हुए, पले-बढ़े। कभी कोई धमकी नहीं मिली, आस-पड़ोस के सभी लोगों से अच्छे संबंध हैं। हिंदू, मुस्लिम, सिख सभी एक साथ मिलकर यहां रहते हैं।’
आतंकियों ने किसी मुस्लिम को नहीं मारा, लेकिन मेरी बीवी को मार दिया
जब हमने राम राजपाल से पूछा कि आर्टिकल 370 हटाए जाने के पहले और बाद के माहौल में आपकी जिंदगी में क्या फर्क आया? जवाब में उन्होंने कहा- ‘आर्टिकल 370 के पहले मेरी बीवी जिंदा थी, अब मार दी गई। बस यही फर्क है और कुछ नहीं है। स्कूल में तिरंगा फहराने के लिए मेरी बीवी बलि चढ़ गई। आतंकियों ने किसी मुस्लिम को नहीं मारा, लेकिन मेरी बीवी को मार दिया। मुझे इंटरनेट पर लेटर मिला है कि तिरंगा फहराने की वजह से उसे मार दिया गया।’
एक मुस्लिम अनाथ लड़की ने अपनी सिख दादी को खो दिया
सुपिंदर कौर एक अनाथ मुस्लिम लड़की की पढ़ाई का खर्च उठा रही थीं। उनके घर के बाहर लगे पोस्टर पर इस बात का जिक्र है।
सुपिंदर के घर के बाहर एक पोस्टर लगा हुआ है, जिस पर लिखा हुआ है, ‘एक मुस्लिम अनाथ लड़की ने अपनी सिख दादी को खो दिया’। सुपिंदर के पति बताते हैं कि प्रिंसिपल रहते हुए सुपिंदर ने एक गरीब अनाथ मुस्लिम लड़की को पढ़ाई की फीस वगैरह भरने के लिए कुछ हजार रुपए की मदद की थी, वही लड़की ये पोस्टर लगा कर गई है। सुपिंदर ने हमेशा मानवता की सेवा की, लेकिन उनका ये हश्र हुआ।’
सुपिंदर के घर ढांढस बंधाने हिंदू, मुस्लिम, सिख सभी पहुंचे
सुपिंदर की शोकसभा में स्कूल में काम करने वाले साथी टीचर्स का भी आना हुआ, जो दूसरे समुदायों से भी थे। पति राम राजपाल के भी बैंक में काम करने वाले सहकर्मी अपने दोस्त के गम में कंधा देने के लिए डटे हुए थे, इसमें भी सभी समुदाय के लोग थे।
केंद्र सरकार शांति का माहौल बनाने में नाकाम
ये सुपिंदर कौर की बेटी है। 7वीं में पढ़ती है। इसके हाथ में एक पोस्टर है, जिस पर लिखा है-उन हत्यारों को शर्म करनी चाहिए, जिन्होंने महान सुपिंदर कौर की हत्या की।
सुपिंदर के घर गम में शरीक होने आए अवतार सिंह पुलवामा जिले के त्राल के रहने वाले हैं। अवतार सिंह 2014 में BJP के टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़े थे। इसके बाद उन्होंने 2020 में बीडीसी का चुनाव जीता। फिर उन्होंने BJP छोड़कर बतौर निर्दलीय प्रत्याशी DDC का चुनाव भी जीत लिया। अवतार सिंह अब पुलवामा के डांटसरा ब्लॉक से DDC मेंबर हैं।
जब हमने उनसे पूछा कि आर्टिकल 370 के हटने के बाद क्या बदला कि आपने BJP छोड़ दी। इस पर उन्होंने कहा, ‘पहले और अब में कुछ नहीं बदला। विकास और शांति की बड़ी-बड़ी बातें हुईं, पर असल में माहौल बद से बदतर हो गए। अभी जो सिलसिलेवार हत्याएं हुई हैं, उन्होंने हमें हिलाकर रख दिया। ऐसी घटनाओं में हम मिलिटेंट को दोष देते हैं, जो कि सही है, लेकिन केंद्र सरकार भी शांतिप्रिय हालात बनाने में पूरी तरह से नाकाम साबित हुई है। सरकार को अगर अमन चैन कायम करना है तो तानाशाही रुख छोड़ना होगा।’
मेरे जानने वाले कई कश्मीरी पंडित पलायन कर रहे
सुपिंदर कौर को श्रद्धांजलि देने पहुंचे अनंतनाग से DDC मेंबर अवतार सिंह। पहले वे BJP में थे, अब निर्दलीय चुनाव जीते हैं।
श्रीनगर के इकबाल पार्क के सामने मशहूर केमिस्ट शॉप चलाने वाले माखन लाल बिंद्रू की भी हत्या कर दी गई है। बिंद्रू केमिस्ट शॉप से ही 10 मीटर की दूरी पर सिख समुदाय के जगमोहन रैना की गैस एजेंसी शॉप है। रैना साहब ऑल पार्टी सिख कोऑर्डिनेशन कमेटी के प्रमुख हैं। वह बताते हैं, ‘माखन लाल बिंद्रू की हत्या के बाद लोग सहम गए हैं। मेरी जान-पहचान के कई सारे लोग जम्मू की तरफ रवाना हुए हैं, इसमें कश्मीरी पंडित ज्यादा हैं। कुछ लोगों से मेरी बात भी हुई है। कई अमीर कश्मीरी पंडित जिनका यहां होटल का कारोबार है, वो भी यहां से रवाना हुए हैं। मैंने खबर सुनी है कि आज एक सिख डॉक्टर के घर के बाहर फायरिंग हुई है।’
कश्मीर में सिखों के साथ हो रहा भेदभाव
जगमोहन रैना कहते हैं, ‘2 साल से यहां गवर्नर रूल है। सरकार जो भी यहां करने की कोशिश कर रही है वो जमीन पर पूरी तरह से नाकामयाब है। सिख लोग कई सालों से यहां आवाज उठा रहे हैं कि हमें माइनॉरिटी दर्जा दिया जाए, कश्मीरी पंडितों को माइनॉरिटी स्टेटस के लाभ दे दिए गए थे, पर सिखों के साथ काफी सारे भेदभाव हुए हैं। हत्याओं के बाद कश्मीरी पंडितों को सरकारी दफ्तरों से छुट्टी दे दी गई है और उनको सुरक्षा भी दी गई है, लेकिन सिखों को तो कोई रियायत और सुरक्षा नहीं दी जा रही।’
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