कारगिल युद्ध में लगी थी 17 गोलियां, लेकिन डटे रहे कारगिल हीरो परमवीर चक्र विजेता योगेंद्र यादव, जानिए पूरी दास्तां
21वां कारगिल विजय दिवस आज 26 जुलाई के दिन मनाया जा रहा है। वहीं इस मौके पर न्यूज़ नशा कारगिल युद्ध के हीरो और परमवीर चक्र विजेता योगेंद्र यादव से मिला। योगेंद्र यादव की बात करें तो वह कारगिल युद्ध के हीरो हैं और उन्हें परमवीर चक्र भी मिल चुका है। योगेंद्र यादव बुलंदशहर के औरंगाबाद अहीर गांव के रहने वाले हैं।
कारगिल युद्ध के हीरो योगेंद्र यादव ने न्यूज़ नशा को बताया कि कारगिल युद्ध में आखिर क्या हुआ था। योगेंद्र यादव ने बताया कि किस तरह इस सैनिक ने करगिल में दुश्मन के छक्के छुड़ाए और प्राय अमृत अवस्था में दुश्मन पर बमबारी कर फतेह हासिल की।
कारगिल युद्ध के हीरो और परमवीर चक्र विजेता योगेंद्र यादव ने बताया कि युद्ध सैनिक ही नहीं बल्कि देश का हर शख्स लड़ता है। सीमा पर युद्ध जरूर जवान लड़ता है, लेकिन देश का नागरिक मानसिक और आर्थिक रूप से युद्ध लड़ते हैं।
बुलंदशहर के रहने वाले योगेंद्र यादव ने कारगिल युद्ध के मंजर को याद करते हुए बताया कि 18 हज़ार फ़ीट की ऊंचाई पर दुश्मन घात लगाए बैठा था। दुश्मनों ने कभी नहीं सोचा था,की वह यहां से जिंदा बचकर वापस जा पाएंगे। लेकिन वह यह भूल गए की भारत माता की धरती पर शेर और शेरनियां पैदा होती हैं। देश के जवान ऊंची पहाड़ियों को अपने खून से पावन कर ऊपर चढ़ते चले गए और दुश्मन का खात्मा किया। जवानों ने तोरोलिंग, टाइगर हिल, बटालिक और तरफ की चौटियों को फतह करते हुए विजय की गाथा लिखी।
योगेंद्र यादव कहते हैं, कि आज देश की तीनों सेनाएं बहुत मजबूत स्थिति में है और दुश्मनों की आंख निकलने में पूरी तरह सक्षम हैं। अगर देश के सैनिक में एक भी सांस बाकी है, तो वह मरते दम तक मातृभूमि को छोड़ता नहीं हैं। चीन को लेकर योगेंद्र यादव ने कहा कि दुश्मन को हराने के लिए बुलेट के साथ वालेट की भी जरूरी होता है। हालांकि चीन को सबक सिखाने के लिए सरकार को ओर भी कदम उठाने की जरूरत है।
कारगिल युद्ध के मंजर को याद करते हुए योगेंद्र यादव कहते हैं कि टाइगर हिल पर हम सात जवान दुश्मन से लोहा ले रहे थे, मैंने अपने 06 साथियों को अपने सामने खोया है। किसी के सिर में गोली लगी थी तो किसी के शरीर से खून की धार बह रही थी। मेरे शरीर मे भी 17 गोलियां मारी गई थी लेकिन भारत माता को मुझे बचाना था।