जहांगीर: करीना कपूर, सैफ़ अली ख़ान फिर क्यों हुए ट्रोल?
एक्टर सैफ़ अली ख़ान, करीना कपूर एक बार फिर अपनी फ़िल्म की वजह से नहीं, बेटे के नाम की वजह से चर्चा में हैं.
करीना कपूर ख़ान ने इस साल फरवरी में अपने दूसरे बेटे को जन्म दिया था. इस बच्चे का नाम अब तक दुनिया जेह जानती थी.
कुछ ख़बरों में हाल ही में रिलीज़ हुई करीना कपूर की किताब ‘करीना कपूर ख़ान- प्रेग्नेंसी बाइबल’ में जेह का नया नाम सामने आने का दावा किया गया है. इस किताब को फ़िल्म निर्माता करण जौहर के साथ करीना कपूर ने इंस्टाग्राम लाइव के दौरान रिलीज किया.
कई मीडिया रिपोर्ट्स में करीना की किताब में जेह का पूरा नाम जहांगीर लिखे जाने की बात बताई जा रही है. हालांकि करीना या सैफ़ की ओर से इस बारे में कोई प्रतिक्रिया या जानकारी नहीं दी गई है. जहांगीर नाम का मतलब होता है- दुनिया पर राज करने वाला. जहांगीर फ़ारसी भाषा का शब्द है.
बीबीसी ने करीना के पिता रणधीर कपूर से फोन पर बात की. रणधीर कपूर ने कहा, ”हम उन्हें घर पर जेह बुलाते हैं. जहांगीर नाम है या नहीं? इस पर मैं कुछ कह नहीं सकता. बच्चे के माता पिता कुछ दिनों में खुद ही बता देंगे.”
अपने पहले बेटे का नाम तैमूर रखे जाने के बाद अब करीना, सैफ़ दूसरे बेटे के नाम की वजह से कुछ लोगों के निशाने पर हैं. सोशल मीडिया पर कुछ लोगों का लिखना है कि जिस जहांगीर के आदेश पर सिख गुरु अर्जन देव की हत्या की गई, उस जहांगीर के नाम पर बेटे का नाम क्यों रखा गया?
इसी कहानी में हम आपको आगे बताएंगे कि जहांगीर और अर्जन देव के बीच वो क्या पूरा वाक्या था.
किताब में क्या है?
इस किताब में करीना ने अपने दोनों बेटों के जन्म का अनुभव साझा किया है.
किताब के आख़िरी पन्नों में करीना ने अपने बेटों की तस्वीरें भी संजोई हैं. हालांकि सोशल मीडिया पर पोस्ट की जाने वाली तस्वीरों की ही तरह इन तस्वीरों में भी छोटे बेटे का चेहरा नहीं दिख रहा है.
करीना कपूर की इससे पहले एक और किताब आई थी. किताब का नाम था- द स्टाइल डायरी ऑफ ए बॉलीवुड डीवा.
नई किताब में इस बारे में भी जानकारी है कि पांच महीने की प्रेग्नेंसी के दौरान करीना ने आमिर ख़ान के साथ की फ़िल्म लाल सिंह चड्ढा की शूटिंग की थी.
करीना ने कहा, ”तैमूर के समय वक़्त आराम से बीता था लेकिन कोरोना काल में मैं अक्सर डर कर रहती थी. डर रहता था कि कहीं मुझे कोरोना ना हो जाए. मेरे बच्चे को किसी तरह की कोई तकलीफ़ ना हो. ये बार बार सोचती रहती थी. कई तरह के ख़्याल आते थे लेकिन शुक्रगुज़ार हूँ परिवार का, जिन्होंने मुझे हमेशा संभाला.”
करण जौहर से और क्या कुछ कहा?
किताब रिलीज़ के इंस्टाग्राम लाइव कार्यक्रम में करीना ने अपने दोस्त करण से कई बातें साझा की.
करीना ने कहा, ”10 साल पहले मैंने जब शादी का फ़ैसला किया था, तब मुझसे सबने कहा था कि तुम्हारा करियर ख़त्म हो जाएगा, तुम्हें कुछ नहीं मिलेगा. लेकिन मैं यही कहती हूं कि आज सिनेमा बदल रहा है.”
करीना कहती हैं, ”अब शादीशुदा औरतों को भी काम मिल रहा है. मैं बहुत खुश हूँ कि मैं आज के दौर में काम करती हूँ. जहाँ दीपिका और विद्या बालन जैसी अभिनेत्रियां हैं जिन्होंने शादी की और घर परिवार के साथ सिनेमा में भी बेहतरीन काम कर रही हैं.”
तैमूर नाम रखने, उम्र में बड़े और पहले शादी कर चुके सैफ़ अली ख़ान से शादी करने को लेकर करीना कपूर ने काफ़ी आलोचना झेली थी.
करीना बोलती हैं, ”अपनी बात करूँ तो मैं लोगों की बातों पर गौर नहीं देती. मेरा मानना है कि सुनो सबकी करो दिल की. अब तक यही करती आई हूँ और मैं वही करुँगी जो मैं चाहती हूँ. मैं सबसे यही कहूँगी कि हमेशा निडर रहो.”
करीना के मुताबिक़, वो एक कान से सुनती हैं और दूसरे कान से सबकी बातें निकाल देती हैं.
करीना और सैफ़ ने साथ में करीब छह फ़िल्मों में काम कर चुके हैं.
जहांगीर के बारे में कुछ बातें
मुग़ल शासक जहांगीर ने भारत पर 1605 से लेकर 1627 तक राज किया.
जहांगीर अकबर के बेटे थे और आगरा में ताजमहल जैसी कई ऐतिहासिक इमारतें बनवाने वाले शाहजहां के पिता थे.
अगर आपने मुग़ल-ए-आज़म फ़िल्म देखी हो या इतिहास की किताबें पढ़ी होंगी तो आपको याद होगा कि अकबर संतान ना होने को लेकर कितना परेशान थे.
अकबर ने संत ख़्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर मन्नत मांगी, ”अगर आप मुझे एक बेटा दे दें तो मैं आगरा से अजमेर पैदल चल कर आपकी दरगाह पर सिर झुकाउंगा.”
अकबर बाद में मोइनुद्दीन चिश्ती के शिष्य और पीर सलीम चिश्ती के पास जाने लगे. संभवत: दुआएं कुबूल हुईं और अकबर के घर बेटे ने जन्म दिया. नाम रखा गया सलीम, जो बाद में जहांगीर कहलाए.
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गुरु अर्जन देव और जहांगीर
जहाँगीर सिख गुरु अर्जन देव से इस बात पर नाराज़ हो गए थे कि उन्होंने बग़ावत कर रहे उनके बेटे ख़ुसरो की सहायता की थी.
मशहूर इतिहासकार मुनी लाल जहाँगीर की जीवनी में लिखते हैं, “ग़ुस्से में लाल जहाँगीर ने गुरु अर्जन देव से कहा, ‘आप संत हैं और एक पवित्र शख़्स हैं. आप के लिए अमीर और ग़रीब सब बराबर है. तब आपने मेरे दुश्मन ख़ुसरो को क्यों पैसे दिए? गुरु ने कहा, ‘मैंने उसको इसलिए पैसे दिए, क्योंकि वो सफ़र पर जा रहा था, न कि इसलिए कि वो आपका विरोधी था. अगर मैं ऐसा न करता तो सब लोग मुझे धिक्कारते और कहते कि मैंने ऐसा आपके डर की वजह से किया है और मैं सारे संसार में गुरु नानक का शिष्य कहलाए जाने लायक नहीं रह जाता.”
वो लिखते हैं, “गुरु नानक का जिक्र आते ही जहाँगीर नाराज़ हो गए. उन्होंने गुरु अर्जन देव पर 2 लाख रुपयों का जुर्माना किया और कहा कि वो गुरु ग्रंथसाहब से उन हिस्सों को हटा दें, जिनसे हिंदुओं और मुसलमानों की भावनाओं को चोट पहुंचती है.”
इस पर गुरु अर्जन देव ने जवाब दिया, “मेरे पास जो कुछ भी पैसा है वो ग़रीबों के लिए है. अगर आप मुझसे मेरे पैसे मांगे तो वो सब मैं आपको दे सकता हूँ. लेकिन जुर्माने के रूप में मैं आपको एक पैसा भी नहीं दूंगा, क्योंकि जुर्माना तो कपटी और सांसारिक लोगों पर लगाया जाता है, साधुओं और संतों पर नहीं.”
”जहांगीर ने इसका कोई जवाब नहीं दिया. वो दरबार से उठ कर चले गए. दो दिन बाद अर्जन देव को गिरफ़्तार कर एक काल कोठरी में ठूंस दिया गया. तीन दिन बाद उन्हें रावी के तट पर ले जा कर मार डाला गया.”
जहांगीर कैसे शासक थे?
जानकारों के मुताबिक़, जहांगीर का ध्यान सैनिक अभियानों पर न रह कर, कला और जीवन के सुखों और शानो-शौक़त का आनंद उठाने पर ज़्यादा रहता था.
जहाँगीर के बारे में मशहूर था कि वो औरतों और शराब के शौक़ीन थे.
वो अपनी आत्मकथा ‘तुज़ूके-जहाँगीरी’ में लिखते हैं कि एक समय वो दिन में शराब के 20 प्याले पीते थे, 14 दिन में और 6 रात में. बाद में उसे घटा कर वो एक दिन में 6 प्याले पर ले आए थे.
बाबर के बाद जहांगीर ही थे, जिन्होंने अपनी आत्मकथा लिखी थी.
किताब ‘एन इंटिमेट पोर्ट्रेट ऑफ़ अ ग्रेट मुग़ल जहाँगीर’ लिखने वालीं पार्वती शर्मा बताती हैं, “वो ख़ुद ही कहते हैं कि जो जब 18 साल के थे तो वो एक बार वो शिकार पर गए हुए थे. उनको थकान महसूस हुई थी. किसी ने कहा कि आप थोड़ी शराब पीजिए, आपकी थकान चली जाएगी. उन्होंने पी और उन्हें वो बहुत पसंद आई. फिर तो वो रोज़ शराब पीने लगे. जहाँगीर के दोनों भाइयों को भी शराब की लत लग गई और उनकी मौत शराब की वजह से ही हुई.”
अकबर और जहाँगीर के रिश्ते कभी सहज नहीं रहे. उनमें और कटुता तब आ गई जब जहाँगीर ने अकबर के बहुत करीबी और उनके जीवनीकार अबुल फ़ज़ल को ओरछा के राजा बीर सिंह देव के हाथों उस समय कत्ल करवा दिया था, जब वो दक्कन से आगरा की तरफ़ आ रहे थे.