किस प्रकार भाजपा ने मुलायम सिंह और कांशीराम से खाई मात
90 के दशक मे उत्तरप्रदेश के आयुधिया मे बाबरी मस्जिद नष्ट होने के बाद राजनीती मे आऐ मुलायम सिंह । खादे मार्च भाजपा मे मुख्य तौर पर देखा जाता था और कांशीराम से बहुत प्रभावित हुए इस कारण से भाजपा से निकाल जाने के बाद कांशीराम ने कोई ओर पार्टी से नहीं जुड़े ।
खादिम ने विधानसभा के साथ नगर निगम के बहुत से चुनाव लड़ चुके है लेकिन उनके साथ असफलता ही मिली तब उन्होंने कोमितफुस कमेटी का आयोजन किया । वह हर समाजी कार्य मे हिस्सा लेते । समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव ने ईटावा के लोगो ने कांशीराम को बहुत बड़े मुकाम पर खड़ा कर दिया था जिसकी कांशीराम को कभी उम्मीद नहीं थी । 1990 के समय ईटावा मे बहुत हिंसा हो रही थी और उस समय चुनाव फिर करवाए गए थे ।
मुलायम सिंह यादव ने कांशीराम की उस समय बहुत मदद की जिसमे कांशीराम को एक लाख चालीस हजार दोसो बीस वोट मिले और भाजपा के लाल सिंह वर्मा को एक लाख इक्कीस हजार वोट प्राप्त हुए थे । कांशीराम ने मुलायम सिंह से अपनी स्रोत के अनुसार अपनी खुद की पार्टी यानी समाजवादी पार्टी गठन कर वाई थी ।