बिहार में तेजस्वी बनाम कन्हैया:कांग्रेस में कन्हैया गए तो युवाओं को लेकर महागठबंधन में टकराव की संभावना
RJD तेजस्वी को स्थापित नेता मानता है, उनसे तुलना को तैयार नहीं
तेजस्वी यादव और कन्हैया कुमार। (फाइल फोटो)
CPI के फायर ब्रांड नेता कन्हैया कुमार के कांग्रेस में जाने की अटकलों के बाद इसके साइड इफेक्ट भी दिखने शुरू हो गए हैं। कांग्रेस से लेकर उसकी सहयोगी पार्टियों में भी इसके रिएक्शन देखने को मिल रहे हैं। कांग्रेस के विधायक दल के नेता अजीत शर्मा ने अपने बयान से काफी कुछ साफ करने की कोशिश जरूर की है। उन्होंने कहा- ‘तेजस्वी यादव यहां के नेता है। वो महागठबंधन के नेता हैं। उनको कन्हैया कुमार से कोई खतरा नहीं है। बिहार में मुख्यमंत्री के बाद तेजस्वी ही नेता प्रतिपक्ष हैं, दोनों की कोई तुलना नहीं है।’
वहीं, कन्हैया को लेकर उनकी सहयोगी पार्टी RJD में खासी प्रतिक्रिया है। हालांकि, RJD के नेता खुलकर कन्हैया के कांग्रेस में जाने का विरोध नहीं कर रहे हैं, लेकिन तेजस्वी यादव के सामने कन्हैया के कद को काफी कम आंक रहे हैं।
कन्हैया से तेजस्वी ने हमेशा बनाई दूरी
तेजस्वी यादव ने कभी कन्हैया कुमार को पसंद नहीं किया है। जब भी मौका मिला तेजस्वी ने अपनी दूरी बनाए रखी। इसका सबसे सटीक उदाहरण बेगूसराय के लोकसभा चुनाव हैं। RJD और CPI का लोकसभा चुनाव में गठबंधन था। पहले से CPI ने कन्हैया कुमार को बेगूसराय लोकसभा का चुनाव लड़ाने का निर्णय ले लिया। वह बेगूसराय का लगातार दौरा भी कर रहे थे, लेकिन तेजस्वी ने बेगूसराय की सीट कन्हैया के लिए नहीं छोड़ी। RJD ने अपने उम्मीदवार तनवीर हसन को उतार कर मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया। परिणाम यह रहा कि कन्हैया कुमार को BJP के फायर ब्रांड नेता गिरिराज सिंह ने 4 लाख 22 हजार वोट के भारी अंतर से हराया। इस हार के बाद CPI में कन्हैया का ग्राफ लगातार गिरता गया। कन्हैया की लगातार उनकी पार्टी में उपेक्षा होने लगी थी।
RJD ने तेजस्वी का कद बड़ा बताया
RJD के प्रदेश प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी कहते हैं- ‘तेजस्वी यादव पूरे महागठबंधन के नेता हैं। वो बिहार के प्रतिपक्ष के नेता हैं। उनके नेतृत्व में महागठबंधन की पार्टियां चुनाव लड़ती है। उनका राजनीतिक कद काफी ऊपर है। उनकी तुलना किसी से नहीं की जा सकती है। तेजस्वी उप मुख्यमंत्री रह चुके हैं। दो-दो बार विधायक रहे हैं। ऐसे में कन्हैया एक बार चुनाव लड़कर हार चुके हैं। उनकी तुलना कन्हैया कुमार से नहीं की जा सकती है। कन्हैया कुमार कांग्रेस जा रहे हैं तो जाएं, सबकी अपनी राजनीति होती है।’
राष्ट्रीय स्तर की है कन्हैया की छवि
वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय बताते हैं- ‘तेजस्वी यादव भले उप मुख्यमंत्री रहे हों, दो-दो बार विधायक रहे हों, प्रतिपक्ष के नेता हो, लेकिन कन्हैया की छवि राष्ट्रीय स्तर की है। कन्हैया में नेतृत्व करने की भी क्षमता है। तेजस्वी और कन्हैया की अलग-अलग राजनीति है। राजनीति में बैकग्राउंड का खासा महत्व है। ऐसे में तेजस्वी यादव से मजबूत बैकग्राउंड किसी के पास नहीं है।
तेजस्वी को लालू यादव की विरासत के रूप में देखा जाता है। कन्हैया के पास JNU के छात्र नेता के रूप में पहचान है। कन्हैया युवाओं के आइकॉन हैं तो तेजस्वी यादव ने अपनी राजनीति स्थापित कर ली है। ऐसे में दोनों जिस वर्ग से आते हैं वो अलग-अलग है। टकराव युवा के नाम पर है, जो तेजस्वी यादव को रास नहीं आ रही है।’