वर्चुअल सुनवाई के दौरान तकनीकी गड़बड़ी, नाराज जज ने कहा- मैं ऐसे सर्कस का हिस्सा नहीं बन सकता

कलकत्ता उच्च न्यायालय ( Calcutta High Court) के जज सब्यसाची भट्टाचार्य (Judge Sabyasachi Bhattacharya) सुनवाई के दौरान हुई तकनीकी गड़बड़ी के कारण इतने नाराज हो गए कि अधिकारियों की खूब फटकार लगाई और बार-बार आ रही दिक्कतों के लिए शॉ कॉज नोटिस भी जारी कर दिया है।

वर्चुअल सुनवाई के दौरान बार-बार तकनीकी गड़बड़ी की वजह से जज नाराज

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। बंगाल में एक केस की वर्चुअल सुनवाई के दौरान बार-बार तकनीकी गड़बड़ी की वजह से एक जज इतने नाराज़ हो गए कि उन्होंने इस तरह से सुनवाई करने के तरीके को ‘सर्कस’ कह दिया। उन्होंने न सिर्फ अधिकारियों को खूब फटकार लगाई बल्कि बार-बार आ रही दिक्कतों के लिए शॉ कॉज नोटिस भी जारी कर दिया है। कलकत्ता उच्च न्यायालय के जज सब्यसाची भट्टाचार्य ने शुक्रवार को सुनवाई के दौरान तकनीकी गड़बड़ी होने पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा कि ये गड़बड़ी डेली रूटीन बन गयीं हैं और अब मैं इस सर्कस का हिस्सा बना नहीं रह सकता।

जज सब्यसाची भट्टाचार्य ने तकनीकी गड़बड़ियों की वजह से वर्चुअल सुनवाई बाधित होने पर वर्चुअल सुनवाई वाले सेटअप के प्रभारी परियोजना समन्वयक ( सेंट्रल प्रोजेक्ट को-ऑर्डिनेटर) को नोटिस जारी किया है। नोटिस में यह पूछा गया कि प्रशासनिक पक्ष को लेकर प्रोजेक्ट के समन्वयक  और हाईकोर्ट के अधिकारियों के खिलाफ अदालत की अवमानना की कार्यवाही क्यों नहीं की जानी चाहिए। न्यायमूर्ति सब्यसाची भट्टाचार्य ने कहा कि तकनीकी गड़बड़ियां अब रोज का किस्सा हो गईं हैं और यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि यह अदालत उचित रूप से न्याय सुनिश्चित करने के लिए न्यूनतम आभासी सेवाएं और कनेक्टिविटी प्रदान करने में भी असमर्थ है। जज के मुताबिक इन दिक्कतों की वजह से अदालत तब तक बैठने में असमर्थ थी जब तक कि कनेक्टिविटी के मुद्दे पूरी तरह से हल नहीं हो जाते।

हाईकोर्ट की कार्रवाई को मजाक समझ लिया गया है

-न्यायमूर्ति भट्टाचार्य ने अपने आदेश में कहा कि यह यहां रिकॉर्ड भी किया जा सकता है कि तकनीकी गड़बड़ी एक डेली की रूटीन बन गई है और मुझे शर्म आती है कि हमारे सम्मानित उच्च न्यायालय, जिसका एक शानदार इतिहास है, को इस तरह से महत्वहीन किया जा रहा है कि हम केवल कनेक्टिविटी मुद्दों के कारण महत्वपूर्ण फैसले नहीं सुना पा रहे हैं। जज ने आगे कहा कि मैं स्पष्ट रूप से इस तरह के सर्कस का हिस्सा बनने से इनकार करता हूं, क्योंकि मैंने उन वादियों को न्याय देने की शपथ ली है, जो अदालत कक्षों के बाहर हैं, न्यायाधीशों के लिए बने वातानुकूलित (एसी) कमरों की पहुंच से बाहर हैं और धूप व धूल में बाहर मेहनत कर रहे हैं।

जज बोले- मैं खुद को दोषी महसूस करता हूं

-न्यायमूर्ति भट्टाचार्य ने कहा कि मैं व्यक्तिगत रूप से इस अदालत के एक हिस्से के रूप में खुद को दोषी महसूस करता हूं, क्योंकि अदालतों के कामकाज में व्यवधान और हस्तक्षेप, चाहे वह किसी भी रूप में हो, आपराधिक अवमानना के बराबर हो सकता है। मैं इस अदालत को सजाने वाले न्यायाधीशों के शोकेस के एक हिस्से के रूप में ऐसे कार्य का एक पक्ष हूं। इसमें चीफ जस्टिस भी शामिल हैं. उन्होंने अपने आदेश में इस बात को रेखांकित करते हुए कहा कि उन्होंने बार-बार इस प्रोजेक्ट में हो रही समस्याओं को लेकर आगाह किया।

आदेश में कहा गया है कि सेंट्रल प्रोजेक्ट को-ऑर्डिनेटर को लिखित में कारण बताने का निर्देश दिया जाता है कि प्रत्येक मामले में अदालत में वर्चुअल सुनवाई में निरंतर हस्तक्षेप की वजह से बाधा पहुंचने के कारण सेंट्रल प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर सहित उच्च न्यायालय प्रशासन, विशेष रूप से रजिस्ट्रार जनरल के खिलाफ कार्यवाही क्यों न की जाए। यह अदालत तब तक बैठने में असमर्थ है जब तक कि कनेक्टिविटी के मुद्दे पूरी तरह से हल नहीं हो जाते। आभासी सेवाओं में बड़े व्यवधानों के कारण वकीलों के साथ वर्चुअल सुनवाई के दौरान अदालत में बैठना और डम्ब कार्ड्स खेलना अब एक मजाक बन गया है और यह मामलों के निर्णय के समान नहीं है, बल्कि जनता के सामने मात्र सर्कस दिखाने के समान है। न्यायमूर्ति भट्टाचार्य ने यह भी कहा कि उनके आदेश की एक प्रति कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश और उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को भेजी जाए।

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