JPNIC विवाद: Akhilesh का जेपी नारायण की प्रतिमा पर माल्यार्पण
Akhilesh यादव ने जयप्रकाश नारायण की जयंती पर अपने आवास के बाहर उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण किया।
JPNIC विवाद: Akhilesh का जेपी नारायण की प्रतिमा पर माल्यार्पण
समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष Akhilesh यादव ने जयप्रकाश नारायण की जयंती पर अपने आवास के बाहर उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। इस मौके पर उन्होंने भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि “भाजपा ने हर अच्छे काम को रोकने का काम किया है।” यह घटना उस समय हुई जब अखिलेश को जेपी सेंटर में श्रद्धांजलि देने की अनुमति नहीं मिली थी, जिसके चलते विवाद बढ़ गया था।
Akhilesh |जेपी सेंटर का दौरा और प्रशासनिक रुकावट
देर रात, जब Akhilesh को जानकारी मिली कि जेपी सेंटर के बाहर गेट बंद कर दिया गया है, तो उन्होंने तुरंत वहां जाने का निर्णय लिया। हालांकि, प्रशासन ने उन्हें गेट के पास पहुंचने से रोकने के लिए भारी बैरिकेडिंग की व्यवस्था की थी। इस प्रशासनिक कदम से आहत होकर उन्होंने अपने आवास पर जेपी की प्रतिमा पर फूल चढ़ाने का निर्णय लिया। उन्होंने कहा, “आज का दिन लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा का दिन है।”
भाजपा पर गंभीर आरोप
Akhilesh यादव ने भाजपा पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि यह सरकार हमेशा समाजवादी पार्टी के अच्छे कार्यों को बाधित करने में लगी रहती है। उन्होंने कहा, “जेपी नारायण जैसे महान नेता की जयंती पर भी हमें प्रशासन से इस तरह की रुकावटों का सामना करना पड़ा। यह दर्शाता है कि भाजपा सच्चाई और लोकतंत्र से डरती है।” उनका यह बयान राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है।
“Akhilesh Yadav :JP जयंती पर अखिलेश को एंट्री न मिलने पर हुआ विवाद”
श्रद्धांजलि का महत्व
अखिलेश ने आगे कहा कि जेपी नारायण की विचारधारा आज भी प्रासंगिक है और हमें उनके मार्ग पर चलने की आवश्यकता है। उन्होंने जेपी के सिद्धांतों को याद करते हुए कहा कि उन्हें हर परिस्थिति में सामाजिक न्याय और लोकतंत्र के लिए संघर्ष करने का प्रेरणा मिली है। इस मौके पर उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे सच्चाई और न्याय के लिए आवाज उठाते रहें।
भविष्य की संभावनाएँ
इस विवाद ने यूपी की राजनीति में फिर से गर्माहट पैदा कर दी है। सपा और भाजपा के बीच के तनाव को देखते हुए यह स्पष्ट है कि आने वाले चुनावों में इस मुद्दे का उपयोग किया जा सकता है। अखिलेश यादव ने जो कदम उठाया है, वह सपा की रणनीति का हिस्सा है, जिसमें वे भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोलने की कोशिश कर रहे हैं। इस प्रकार, जेपी नारायण की जयंती न केवल एक श्रद्धांजलि का अवसर था, बल्कि राजनीतिक संघर्ष का भी प्रतीक बन गई है।