करोड़ों के नुकसान में जेएनयू, छात्रों पर मेस के करोड़ों बकाया, इसलिए बड़ी है फीस
जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय शिक्षक संघ ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से गठित उच्चाधिकार प्राप्त समिति से मुलाकात कर छात्रावास शुल्क में की गई वृद्धि को पूरी तरह से वापस लेने और कुलपति को हटाने की मांग की। वहीं विश्वविद्यालय ने एक बयान जारी कर कहा कि विश्वविद्यालय 45 करोड़ रुपये से अधिक घाटे में है और शुल्क बढ़ाने के अलावा कोई विकल्प नहीं हैं साथ ही इस मामले पर झूठ फैलाने का अभियान चलाने का आरोप लगाया।
इस बीच, विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रावास के उन छात्रों की सूची जारी की है जिनपर करीब 2.79 करोड़ रुपये का बकाया है। छात्र संघ उपाध्यक्ष साकेत मून ने इसे दबाव बनाने की कोशिश करार दिया है। विवाद को सुलझाने के लिए जारी बातचीत के बीच राष्ट्रीय स्वयं संघ (आरएसएस) से संबद्ध अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने समिति को भंग करने की मांग को लेकर गुरुवार को शास्त्री भवन तक मार्च करने की कोशिश की जहां पर मानव संसाधन विकास मंत्रालय है। एबीवीपी से संबद्ध छात्रों को हालांकि संसद मार्ग पर ही पुलिस ने रोक दिया और 160 लोगों को हिरासत में ले लिया। बाद में इन छात्रों को रिहा कर दिया गया।
तीन सदस्यीय समिति का गठन मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने सोमवार किया था। इसे जेएनयू में सामान्य कार्य बहाल करने और प्रशासन एवं छात्रों के बीच मध्यस्थता करने की जिम्मेदारी दी गई है जो तीन हफ्ते से छात्रावास शुल्क में हुई वृद्धि के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।
वहीं, विश्वविद्यालय ने बयान में कहा कि वह बिजली, पानी के बिल और निविदा कर्मियों के वेतन की वजह से घाटे में है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने छात्रावास में कार्यरत निविदा कर्मियों का वेतन बजट से देने की अनुमति नहीं देता। ऐसे कर्मियों की संख्या करीब 450 है। जेएनयू ने कहा, ‘यूजीसी ने विश्वविद्यालय को साफ निर्देश दिया है कि गैर वेतन खर्चे की व्यवस्था आंतरिक स्रोतों से की जाए। ऐसे में छात्रों से सुविधा शुल्क वसूलने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।’
बयान में कहा गया, संशोधित छात्रावास शुल्क के मुताबिक सामान्य वर्ग के छात्रों को करीब 4,500 रुपये महीने का भुगतान करना होगा। इसमें से 2,300 रुपये खाने का है। शेष 2,200 रुपये का 50 फीसदी भुगतान गरीबी रेखा से नीचे के छात्रों को करना होगा। इस प्रकार गरीबी रेखा से नीचे के छात्रों को प्रति माह करीब 3,400 रुपये देना होगा। इस प्रकार छात्रावास शुल्क में कथित बेतहाशा वृद्धि को लेकर झूठा प्रचार किया जा रहा है।
विश्वविद्यालय ने कहा, ‘वास्तविकता है कि सेवा शुल्क लगाया गया है जो अब तक शून्य था। विश्वविद्यालय बजट बरकरार रहे इसलिए छात्रावास में सेवा शुल्क लगाया गया है। अभी विश्वविद्यालय भारी घाटे में है।’ बयान में कहा गया कि यह झूठा प्रचार किया जा रहा है कि गरीब छात्र इससे बुरी तरह से प्रभावित होंगे। ध्यान देने की बात है कि छात्रावास में रहने वाले करीब 6,000 छात्रों में से 5,371 को फैलोशिप या छात्रवृत्ति के रूप में आर्थिक मदद मिलती है। विश्वविद्यालय ने उस रिपोर्ट को भी खारिज कर दिया कि इस वृद्धि से जेएनयू में देश के अन्य केंद्रीय विश्वविद्यालयों के मुकाबले सबसे अधिक छात्रावास शुल्क है।
वहीं उच्च अधिकार प्राप्त समिति छात्रों के साथ दूसरी बैठक के लिए शुक्रवार को विश्वविद्यालय परिसर का दौरा करेगी। पहली बैठक में समिति जेएनयू छात्र संघ के पदाधिकारियों, छात्र काउंसलर और छात्रावास अध्यक्षों से बुधवार को मिली थी। जुंटा से अलग हुए शिक्षकों ने आरोप लगाया कि ‘जेएनयू शिक्षक संघ प्रदर्शनकारियों के साथ मिला हुआ है।’ उन्होंने आरोप लगाया कि छात्रों ने प्रोफेसर को 24 घंटे तक बंधक बनाए रखा।