बाल लिंगानुपात में राज्य में शीर्ष स्थान पर है झुंझुनू
झुंझुनू, राजस्थान में झुंझुनू जिले में बाल लिंगानुपात में उल्लेखनीय वृद्धि हुई हैं। आधिकारिक जानकारी के अनुसार वर्ष 2011 तक लिंगानुपात में झुंझुनू जिला प्रदेश के फिसड्डी जिलों में शामिल होता था। लेकिन जिला प्रशासन की मेहनत आखिरकार रंग लाई है।
यही वजह है कि अप्रैल 2020 से जनवरी 2021 तक के बाल लिंगानुपात में झुंझुनू जिला प्रदेश में सर्वोच्च स्थान पर है। यहां 0 से 5 वर्ष तक के प्रति 1 हजार बालकों पर 988 बालिकाएं हैं।
इतना ही नहीं पिछले एक वर्ष में भी उल्लेखनीय प्रगति हुई है। 2019-20 वित्तीय वर्ष में जहां बाल लिंगानुपात 950 था, वहीं अब इसमें 38 की बढ़ोतरी हुई है। जिले में अप्रैल 2020 से लेकर जनवरी 2021 तक जन्में कुल 23 हजार 204 शिशुओं में से 11 हजार 671 पुरुष शिशु और 11 हजार 533 महिला शिशु हैं। इनमे मई, अगस्त, दिसंबर और जनवरी के महीनों में तो लाडली यानी फीमेल शिशु की संख्या मेल शिशुओं से ज्यादा रही है।
जिला कलेक्टर उमरदीन खान ने 8 मार्च 2020 को 11 हजार रुपए का चैक सौंपकर जिला स्तर पर लाडो सम्मान निधि की स्थापना की थी जिसके तहत ऐसे दंपत्ति जिनके एकल संतान के रूप में केवल बेटी है, उनको सम्मानित किया जाता है। इस योजना का अच्छा प्रभाव देखने को मिला।
इसके साथ ही कन्या भ्रूण हत्या पर रोक के लिए सीएमएचओ डॉ. छोटेलाल गुर्जर के नेतृत्व में पीसीपीएनडीटी का प्रभावी क्रियान्वयन किया गया। प्रसव पूर्व लिंग परीक्षण करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की गई। लिंग परीक्षण करने वालों में से कुछ आरोपियों को हिस्ट्रीशीटर भी घोषित करवाया गया और प्रभावी विधिक कार्रवाई के चलते कुछ आरोपियों को जेल भी हुई।
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इसके साथ ही चिकित्सा विभाग द्वारा ‘महाशपथ कार्यक्रम’ का भी आयोजन किया गया। नारी चौपाल के तहत महिलाओं की समस्याओं पर महिला जनप्रतिनिधि या गणमान्य महिला अध्यक्षता मे रात्रि चौपाल का आयोजन किया गया। जिले में ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान का प्रभावी क्रियान्वयन किया गया।
नवाचार के तहत हर बेटी के जन्म पर परिजनों को जिला प्रशासन की ओर से ‘बधाई संदेश’ भेजा जाता है। अब तक 15 हजार बालिकाओं के जन्म पर बधाई संदेश भेजा जा चुका है, जिनमें से 400 से अधिक जिला स्तरीय, ब्लॉक स्तरीय अधिकारियों द्वारा परिजनों को दिया गया है। कई परिजनों को खुद जिला कलेक्टर उमरदीन खान ने उनके घर जाकर बधाई संदेश सौपा है। जिले में ‘बालिका सम्मान उद्यान’ स्थापित किया गया, जहां बालिका सम्मान दिवस पर बोर्ड परीक्षाओं में टॉप 10 में शामिल रही बालिकाओं के नाम से वृक्षारोपण करवाया गया।
इंदिरा प्रियदर्शिनी योजना, राजश्री योजना, विभिन्न टॉल फ्री हैल्पलाईन नंबर के प्रभावी मॉनिटरिंग और क्रियान्वयन का भी अहम योगदान रहा। इसके अलावा जिले में बेटी के जन्म पर कूआ पूजन, थाली बजाना, ढूंढ पूजन, बेटियों की शादी पर घोड़ी पर बैठाकर बिन्दौरी निकलवाने जैसी परंपराएं भी शुरु की गई हैं, ताकि बेटियों के प्रति फैली संकीर्ण मानसिकता में बदलाव आए।