इस नेता की कुर्सी गई तो क्या बीबी बनेगी CM, जानिए
News Nasha
झारखंड की सियासत के लिए आज का दिन काफी बड़ा है। राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेने (Hemnat Soren) के रातनीतिक भविष्य पर फैसला होने वाला है. सीएम हेमंत सोरेन की कुर्सी बचेगी या जाएगी इस पर आज राज्यपाल रमेश बैस (Ramesh Bais) फैसला लेंगे। दरअसल, खनिज घोटाला मामले में चुनाव आयोग ने सोरेन की सदस्यता रद्द करने की सिफारिश की है।
केंद्रीय चुनाव आयोग ने हेमंत सरकार के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। गौरतलब है कि हेमंत सोरेन को जनप्रतिनिधि कानून 1951 की धारा 9ए उल्लंघन का दोषी माना गया गया है। इसलिए उनकी सदस्यता रद्द करने की सिफारिश की गई है। ऐसे में हेमंत सोरेन की सीएम की कुर्सी पर अब खतरा मंडरा रहा है।
सोरेन की कुर्सी गई तो क्या पत्नी कल्पना बनेंगी नई CM?
झारखंड की सियासत में इस बात की भी चर्चा हो रही है कि अगर आज हेमंत सोरेन को सीएम पद छोड़ना पड़ा तो उनकी जगह कौन लेगा? कहा जा रहा है कि हेमंत की पत्नी कल्पना सोरेन को सीएम की कुर्सी पर काबिज किया जा सकता है। कल्पना सोरेन ओडिशा के मयूरभंज की एक बिजनेसमैन फैमिली से हैं। कल्पना सोरेन का जन्म 1976 में हुआ था और उनके दो भाई-बहन हैं। उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई रांची से की है. साल 2006 में कल्पना की हेमंत सोरेन से शादी हो गई थी। उनके दो बच्चे हैं. कल्पना सोरेन खुद बिजनेसवुमन हैं और एक प्राइवेट स्कूल भी चलाती हैं।
बहरहाल कल्पना सोरेन का नाम तो सीएम पद के लिए सबसे आगे आ रहा है लेकिन इन सबके बीच ये सवाल भी उठ रहे हैं कि राजनीतिक अनुभव के बिना वो झारखंड राज्य की सियासत को कैसे संभालेंगी? हालांकि इसमें भी कोई दो राय नहीं है कि उनके ससुराल में सभी लोग राजनीतिक क्षेत्र में हैं ऐसे में पति हेमंत सोरेन का राजनीतिक अनुभव उनके काम आएगा।
हेमंत सोरेन पर क्या हैं आरोप:
बीजेपी डेलिगेशन ने फरवरी 2022 में आरोप लगाया था कि सोरेन ने रांची के अनगड़ा में अपने नाम से खनन पट्टा लिया है लिहाजा उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द करने की मांग की गई थी। मामला सीएम हेमंत सोरेन से जुड़े खनन लीज और शेल कंपनियों में उनके और उनके करीबियों की हिस्सेदारी से जुड़ा है। आरोप है कि सीएम हेमंत ने अपने पद का दुरुपयोग कर स्टोन क्यूएरी माइंस अपने नाम आवंटित करवा ली थी। सोरेन परिवार पर शेल कंपनी में निवेश कर अकूत संपत्ति अर्जित करने का भी आरोप है। ये मामला सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग में गया और अब चुनाव आयोग का फैसला राजपाल भवन तक पहुंच गया है। इन सबसे बीच जेएमएम का सवाल है कि बंद लिफाफे का फैसला बाहर कैसे आया।