Jharkhand विधानसभा चुनाव: NDA की डबल-इंजन सरकार की रणनीति क्यों हुई नाकाम?
Jharkhand विधानसभा चुनाव 2024 में NDA और खासकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने डबल-इंजन सरकार के विचार को प्रमुखता से प्रचारित किया।
Jharkhand विधानसभा चुनाव 2024 में NDA और खासकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने डबल-इंजन सरकार के विचार को प्रमुखता से प्रचारित किया। असम के मुख्यमंत्री और झारखंड चुनाव के BJP सह-प्रभारी हिमंत बिस्वा सरमा, साथ ही केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने अपने चुनावी दौरों में इस विचार को झारखंड के विकास के लिए अनिवार्य बताया। इसके बावजूद, यह रणनीति मतदाताओं के बीच उम्मीद के मुताबिक प्रभाव नहीं डाल सकी।
डबल-इंजन सरकार: क्या है यह अवधारणा?
डबल-इंजन सरकार का मतलब है कि केंद्र और राज्य में एक ही पार्टी या गठबंधन की सरकार हो। हिमंत बिस्वा सरमा और चिराग पासवान ने चुनाव प्रचार के दौरान इसे Jharkhand के तेज विकास के लिए जरूरी बताया।
प्रमुख दावे:
- बेहतर समन्वय और संसाधनों का प्रभावी उपयोग।
- Jharkhand जैसे आदिवासी बहुल राज्य में तेजी से बुनियादी ढांचे और कल्याणकारी योजनाओं का विस्तार।
- केंद्र सरकार की योजनाओं का राज्य में बेहतर कार्यान्वयन।
चुनावी नतीजे: BJP का डबल-इंजन मॉडल क्यों नहीं चला?
BJP की पूरी रणनीति डबल-इंजन सरकार के विचार पर केंद्रित थी, लेकिन मतदाताओं पर इसका प्रभाव सीमित रहा।
कारण:
- स्थानीय मुद्दों की अनदेखी:
- Jharkhand में आदिवासी समुदाय और किसानों की समस्याएं, जैसे भूमि अधिकार और रोजगार, केंद्रीय मुद्दों की तुलना में अधिक प्रभावी रहीं।
- राज्य की जनता ने केंद्र के बड़े-बड़े वादों के बजाय स्थानीय मुद्दों को प्राथमिकता दी।
- राज्य सरकार की छवि:
- Jharkhand मुक्ति मोर्चा (JMM) और कांग्रेस की गठबंधन सरकार ने जन कल्याणकारी योजनाओं और स्थानीय नेतृत्व को मजबूती दी।
- राज्य सरकार की योजनाओं ने ग्रामीण इलाकों में सकारात्मक प्रभाव डाला।
- डबल-इंजन मॉडल पर विश्वास की कमी:
- लोकनीति-सीएसडीएस के पोस्ट-पोल अध्ययन से पता चला कि झारखंड के मतदाता इस विचार को पूरी तरह से स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं थे।
- राज्य के मतदाताओं ने महसूस किया कि डबल-इंजन सरकार केवल चुनावी नारा है और इससे स्थानीय समस्याओं का समाधान नहीं होगा।
मतदाताओं को क्या प्रभावित किया?
- केंद्रीय बनाम राज्य सरकार का प्रदर्शन:
- Jharkhand के मतदाताओं ने केंद्र सरकार के बड़े वादों को कम और राज्य सरकार के जमीनी काम को ज्यादा प्राथमिकता दी।
- ग्रामीण विकास, स्वास्थ्य, और शिक्षा के क्षेत्र में राज्य सरकार की पहलें अधिक प्रभावी रहीं।
- आदिवासी और स्थानीय भावनाएं:
- आदिवासी समुदायों के बीच यह धारणा मजबूत हुई कि राज्य सरकार उनके अधिकारों की रक्षा करने में अधिक प्रभावी है।
- स्थानीय नेतृत्व ने केंद्र के नेतृत्व की तुलना में ज्यादा विश्वास अर्जित किया।
- आर्थिक और रोजगार मुद्दे:
- झारखंड के युवा मतदाता बेरोजगारी और आर्थिक मुद्दों से सीधे प्रभावित हुए, जिन पर केंद्र सरकार के दावों को कम समर्थन मिला।
BJP की रणनीति में कमियां
- स्थानीय नेतृत्व का अभाव:
- BJP के पास झारखंड में मजबूत और भरोसेमंद स्थानीय चेहरा नहीं था।
- मजबूत विपक्ष का सामना:
- JMM और कांग्रेस गठबंधन ने एक मजबूत और स्थानीय आधार वाली चुनावी रणनीति अपनाई।
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Jharkhand में NDA की डबल-इंजन सरकार का विचार मतदाताओं के बीच अपनी जगह बनाने में विफल रहा। राज्य के स्थानीय मुद्दे, आदिवासी समुदाय की भावनाएं, और राज्य सरकार के काम ने केंद्र सरकार के बड़े दावों को पीछे छोड़ दिया। यह चुनाव इस बात का संकेत है कि स्थानीय मुद्दों और जमीनी कामों को प्राथमिकता देना किसी भी चुनावी रणनीति की सफलता के लिए अनिवार्य है।