डिजिटल हाजिरी पर जयंत चौधरी का बयान: शिक्षकों को दी नसीहत, टेक्नोलॉजी को अपनाने की अपील

यंत चौधरी ने कहा, "बच्चे हमारे देश का भविष्य हैं और सरकार को काम करने का मौका मिल रहा है। तरीका भले ही अलग है, लेकिन युवाओं का यह काम भी महत्वपूर्ण है कि वे नौकरी पाने की बजाय नौकरी पैदा करें।"

उत्तर प्रदेश के बेसिक, कंपोजिट और कस्तूरबा स्कूलों में डिजिटल हाजिरी की अनिवार्यता को लेकर शिक्षक विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इस मुद्दे पर केंद्रीय राज्य मंत्री और राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के अध्यक्ष जयंत चौधरी ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। जयंत चौधरी ने शिक्षकों से डिजिटल हाजिरी के विरोध को लेकर कहा कि टेक्नोलॉजी से बचना नहीं चाहिए, क्योंकि इससे पारदर्शिता आती है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकारी नौकरी करने वालों की नैतिक जिम्मेदारी होती है, और उन्हें अपनी शपथ और ड्यूटी का ध्यान रखना चाहिए।

जयंत चौधरी ने कहा, “बच्चे हमारे देश का भविष्य हैं और सरकार को काम करने का मौका मिल रहा है। तरीका भले ही अलग है, लेकिन युवाओं का यह काम भी महत्वपूर्ण है कि वे नौकरी पाने की बजाय नौकरी पैदा करें।”

वहीं, मेरठ के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में आयोजित जन शिक्षण संस्थान (JSS) जोनल कॉन्फ्रेंस में जयंत चौधरी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पूरा ध्यान युवाओं को आगे बढ़ाने पर है। उन्होंने विपक्ष पर कटाक्ष करते हुए कहा कि सत्ता और विपक्ष में फर्क होता है; पहले तलवार और गदा मिलते थे, अब शॉल और पौधा मिलते हैं।

इस कार्यक्रम में कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जयंत चौधरी मुख्य अतिथि थे। उन्होंने कहा कि 15 से 45 वर्ष के युवा JSS संस्था के साथ जुड़े हुए हैं और पंचायत स्तर पर युवाओं को कौशल प्रशिक्षण देना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने लाइफलॉन्ग लर्निंग के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि ग्रामीण युवाओं को अपनी क्षमताओं को पहचानना चाहिए ताकि वे भविष्य में सफल नेतृत्व कर सकें।

कार्यक्रम में यूपी के राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार कपिल देव अग्रवाल, सांसद डॉ. राजकुमार सांगवान, सांसद चंदन चौहान, मंत्री डॉ. सोमेंद्र तोमर, एमएलसी धर्मेंद्र भारद्वाज, एमएलए अमित अग्रवाल, एमएलए गुलाम मोहम्मद और जिला पंचायत अध्यक्ष गौरव चौधरी भी मौजूद थे।

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