जावेद अख्तर के इन तरानो ने बनाए फ़साने, जानिए !
बॉलीवुड के मशहूर लेखक, कवि व गीतकार जावेद अख्तर अपना 75वा जन्मदिन मना रहे हैं। बॉलीवुड की दिग्गज हस्तियों के साथ साथ उनके प्रशंसक भी उनके जन्मदिन पर उनकी लम्बी उम्र की कामनाएं कर रहे हैं।
जावेद अख्तर का जन्म साल 1945 में हुआ था। जावेद के पिता मशहूर शायर जान निसार अख्तर थे, तो उनकी मां सफिया अख्तर एक अध्यापिका व गायिका थी। लखनऊ में स्कूली पढाई और भोपाल से स्नातक की पढाई करने के बाद जावेद मुंबई आ गए थे। यहाँ आने के बाद जावेद ने फिल्मो के लिए लिखना शुरू किया और लिखते चले गए। अपने करियर के दौरान उनकी जोड़ी सलीम खान के साथ बन गयी। सलीम-जावेद की जोड़ी ने 24 फिल्मो में एक साथ काम किया, जिसमे से 20 फिल्में हिट रही। हालाँकि बाद में दोनों अलग हो गए।
जावेद अख्तर को बेहतरीन गीत-लेखन के लिए 5 बार नेशनल फ़िल्म अवार्ड, और 8 बार फिल्मफेयर अवार्ड से नवाज़ा चुका है। इसके अलावा 1999 में जावेद अख्तर को पद्मश्री, और 2007 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। जावेद अख्तर के लिखे गीत और कविताए लोगों के दिल के तार छेड़ जाते हैं। कई बार उनके अश’आर सामाजिक मुद्दों पर भी बड़ी बात कह जाते हैं। जावेद अख्तर के कुछ ऐसे ही ख़ास गीत और शायरियां ये हैं :
कभी जो ख़्वाब था वो पा लिया है
मगर जो खो गई वो चीज़ क्या थी
ऊँची इमारतों से मकाँ मेरा घिर गया
कुछ लोग मेरे हिस्से का सूरज भी खा गए
ग़लत बातों को ख़ामोशी से सुनना हामी भर लेना
बहुत हैं फ़ाएदे इस में मगर अच्छा नहीं लगता
इस शहर में जीने के अंदाज़ निराले हैं
होंटों पे लतीफ़े हैं आवाज़ में छाले हैं
जावेद अख्तर के कुछ बेहतरीन गाने:
इकतारा (वेक अप सिड)
देखा एक ख्वाब (सिलसिला)
मैं यहाँ हूँ, यहां हूँ (वीर-ज़ारा)
संदेसे आते हैं (बॉर्डर)
एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा (ए लव स्टोरी)
दो पल रुका ख़्वाबों का कारवां (वीर ज़ारा)
कल हो न हो
एक दो तीन (तेज़ाब)
कितनी बातें याद आती है (लक्ष्य)
मैं अगर कहूँ (ओम शांति ओम)
इसके अलावा भी जावेद अख्तर कई फिल्मो के लिए डायलाग और गीत लिख चुके हैं। इनमे येस बॉस, तलाश, लगान, ज़िन्दगी न मिलेगी दोबारा, सिलसिला भी शामिल हैं।