जातियों की जनगणना क्यूँ नही चाहती सरकार, आख़िर क्या है डर !!
न्यूज़ नशा इन दिनों रोज रात 9:00 बजे देश और प्रदेश से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करता है। जिसमें देश और प्रदेश के अधिकारी वरिष्ठ पत्रकार और नेता शामिल होते हैं। शुक्रवार की रात को न्यूज़ नशा पर चर्चा का मुद्दा था “जातियों की जनगणना क्यूँ नही चाहती सरकार, आख़िर क्या है डर”
आपको बता दें इस चर्चा में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, वरिष्ठ पत्रकार दीपक शर्मा, पूर्व आईएएस अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह, लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रविकांत शामिल हुए थे।
इस दौरान न्यूज़ नशा की एडिटर इन चीफ विनीता यादव ने कई सवाल किए।
न्यूज नशा – जो जातिगत गणना है इसको लेकर अभी संसद में नित्यानंद राय ने जो सामने रखा की गणना में जाति आधार पर नहीं होगी, तो इसके बाद जो चर्चा शुरू हो गई है, नीतीश कुमार चाहते हैं कि गणना हो रामदास अठावले चाहते हैं कि गणना हो कई ऐसे कई राज्य हैं जो चाहते हैं कि गणना हो, महाराष्ट्र और बिहार विधानसभा में प्रस्ताव रखा जा चुका है और पास हो चुका है की गणना हो इसके बावजूद केंद्र इससे पीछे हट रहा है उसकी क्या है बड़ी वजह ऐसी ?
उर्मिलेश– भारत में जनगणना में एससी एसटी की काउंटिंग होती है मगर ओबीसी की काउंटिंग नहीं होती है, अब इस पर दो ओपिनियन है देश में लोगों का एक का कहना है कि अगर अलग से ओबीसी की काउंटिंग करेंगे तो देश में जात पात बढ़ेगा।
दूसरे लोगों का यह कहना है कि जिस आधार पर एससी एसटी की काउंटिंग करते आ रहे हैं जनगणना में वह आधार अब ओबीसी के लिए भी मौजूद है क्योंकि में ओबीसी को रिजर्वेशन मिल गया था देश में जो 3 साल बाद जाकर में 93 में लागू हो पाया, वहीं भारत सरकार के कुछ आयोगों ने भी इस बात की सिफारिश की अगर आप डाटा ही नहीं रखते आंकड़ा ही नही रखेंगे तो समस्या का हल कैसे करेंगे, मगर हैरानी वाली बात यह है की जातियों का परसेंटेज भी पॉलिटिकल लोग निकाल लेते हैं मगर यह समझ नहीं आता है उन्हें यह पता कैसे चला। दर्शल ब्रिटिश पीरियड में जाति जनगणना जो हुई उसी के आधार पर यह अंदाज लगाया जाता है, इसी सरकार में जो तत्कालीन गृह मंत्री थे राजनाथ सिंह उन्होंने पब्लिकली यह कहा कि इस बार जाति जनगणना में हम ओबीसी को शामिल करेंगे यह उनके शब्द है अब उसी मंत्रालय के MOS में कह दिया कि नहीं करेंगे।
2008 और 12 के बीच में कांग्रेस ने कम से कम 6 बार जातीय जनगणना के बारे में कहा है मगर तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने एक कमेटी बना दी और उस कमेटी ने कहा कि जातिगत जनगणना करने की जरूरत नहीं है एक सोशल सर्वे कर लेंगे।
सूर्य प्रताप सिंह– मैं ग्राम विकास विभाग में रहा हूं ग्राम विकास विभाग में जो 2011 में ACC जो डाटा है उसको सर्वे तो नहीं कहेंगे क्योंकि रजिस्ट्रेशन ऑफ इंडिया ने किया था एक्सेस सर्वे ऑफ इंडिया ने नहीं किया उसने अपनी मुहर नहीं लगाई उसकी बेसिस पर आज एससी एसटी का जो मनरेगा कार्यक्रम है आज यूज किया जा रहा है जो गरीबी रेखा से नीचे लोग हैं उसके लिए भी वह डाटा यूज़ किया जा रहा है।
जब मंडल आयोग बना था 2006 से 2008 की बात है 51- 52% ओबीसी उन लोगों ने बताया था अब सबसे ज्यादा चिंता की बात यह है कि वह ओबीसी घटकर 31-32 % हो गया है। वह जो डाटा है वह डाटा लिक डाटा है ऐसा नहीं है कि किसी को पता नहीं है वह डांटा सभी राज्यों को भी भेजा गया था।
उस वक्त सुषमा जी ने मांग किया था सदन में इस डाटा को सामने लाना चाहिए वहीं 2015 के आसपास जेटली जी ने भी सभी राज्य के वित्त मंत्रियों को इस डाटा को यूज करने के लिए कहा था मगर पॉलिटिकल दबाव के कारण इस डेटा को रिलीज नहीं किया जा रहा है मगर यह डाटा आज भी इंटरनेट पर है विकिपीडिया पर है।
रविकांत– आरक्षण की बुनियाद में ही जनगणना जरूरी है और जब ओबीसी रिजर्वेशन हो गया और 15 साल यूनिवर्सिटीज में भी रिजर्वेशन हो गया केंद्रीय नौकरियों में रिजर्वेशन हो गया तब बहुत जरूरी था कि जनगणना होती जिसके बाद यह निष्कर्ष निकलता कि जो बैकवार्डनेस थी वो कितनी कम हुई, और जब r.s.s. और भारतीय जनता पार्टी यह आरोप लगाते हैं खासकर यूपी और बिहार को आप देख लीजिए यहां पर रिजर्वेशन है और रिजर्वेशन यहां पर यादव ने ले लिया और sc-st का जाटों ने ले लिया तो अब क्या रह गया है तो आप उसको जाहिर कीजिए कितना रिजर्वेशन था इस पर इतना यादवों का कब्जा हो गया है और इतना जाटों का कब्जा हो गया है और बिहार में तेजस्वी यादव नीतीश कुमार रामदास अठावले ने यह मांग की कि आप आंकड़े जारी कर दीजिए दूध का दूध पानी का पानी हो जाए। मगर लागू ना होने देने का मुद्दा है पॉलिटिकल है क्योंकि उन्हें सिर्फ हिंदू और मुसलमान के बीच में लड़ना है।
दीपक शर्मा– मुझे लगता है कि राजनाथ सिंह ने कहा है अमित शाह ने कहा है और मोदी जी ने कई कार्यक्रमों में कहा है कि मैं ओबीसी हूं फिर यह यू टर्न क्यों, यू टर्न इसलिए है कि आज जो सरकार की स्थिति है बहुमत तो प्रचंड है लेकिन सरकार की जो आर्थिक स्थिति है उसको लगता है कि यह कि नया पंडोरा बॉक्स खुल जाएगा इस वक्त सरकार कमजोर विकेट पर खेल रही है, फिर अलग-अलग जातियां परसेंटेज के हिसाब से आरक्षण लेंगी और लोग मोदी जी के ऊपर चढ़ाई कर देंगे फिर मोदी जी कैसे कहेंगे कि मैं ओबीसी का हूं, प्रधानमंत्री संसद में कहते हैं कि हम पिछड़े समाज से आए हुए मंत्रियों का परिचय कराना चाहते हैं वहीं दूसरी तरफ उनके मंत्री कहते हैं कि इस तरह का जातिगत जनगणना नहीं होनी चाहिए, इससे यह साबित होता है कि सरकार में जो विरोधाभास है वह सामने आया है आज हम इस विषय पर चर्चा कर रहे हैं मगर सरकार नहीं चाहती है कि हम इस विषय पर चर्चा करें और आप दुखती रग पकड़ रहे हैं, इसीलिए मुख्यधारा के मीडिया में आपको यह बहस देखने को नहीं मिलेगी क्योंकि इस बहस से सरकार को खतरा है और सरकार ने वादा किया था और वादा भी कई किया था आज तक बहुत सारे वादे जमीन पर नहीं आ पाएं, शायद उसी तरीके से यह भी वादा गुम हो जाएगा।
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https://youtu.be/RIHs0EXazwQ