जम्मू-कश्मीर: घाटी छोड़ने को मजबूर प्रवासी मजदूर, सुरक्षा स्थिति को लेकर अधिकारियों ने कही ये बात
श्रीनगर. कश्मीर (Kashmir) में 5 अक्टूबर के बाद से 5 प्रवासियों (Migrants) की हत्या हो चुकी है. इसमें बिहार के 4 रेहड़ी मजदूर और उत्तर प्रदेश के एक मुस्लिम कारपेंटर भी शामिल है. इससे पहले स्थानीय सिख और हिंदू शिक्षक की हत्या कर दी गई थी. घाटी में लगातार हो रही प्रवासी मजूदरों (Migrants Laborers) की हत्या से अब डर का माहौल बना हुआ है. मजदूरों के डर को कम करने और सुरक्षा मुहैया कराने के लिए प्रशासन ने कश्मीर में प्रवासी मजदूरों के आवासी क्षेत्रों में सुरक्षा बढ़ा दी है. प्रशासन का कहना है कि प्रवासी मजदूर कश्मीर के अलग-अलग इलाकों में रहते हैं, जिसके कारण उनकी सुरक्षा करना थोड़ा मुश्किल होता जा रहा है.
कई लोगों ने कहा कि दिहाड़ी मजदूरों को घाटी छोड़ने के लिए कहा जा रहा है. प्रवासी मजदूरों के पलायन से चिंतित प्रशासन ने रविवार को घाटी के अलग-अलग जगहों पर रह रहे प्रवासी मजदूरों को सरकारी स्कूलों और कॉलेजों में कैंप लगाकर रखा था. इनमें से कुछ मंगलवार तक घाटी छोड़ चुके थे या सुरक्षित स्थानों पर काम में लग गए थे. बारामूला की चूरा तहसील के एक दुकान-मालिक ने कहा, पुलिस कुछ दिनों से मजदूरों को जाने के लिए कह रही है, लेकिन कई लोग घाटी छोड़ने को तैयार नहीं थे. उनका कहना था कि उन्हें अभी तक अपनी मजदूरी के पैसे नहीं मिले हैं इसलिए वह यहां से नहीं जाएंगे. रविवार की रात सौ से अधिक मजदूरों को यहां लाकर सरकारी स्कूल में रखा गया है. इनमें काफी लोग सोमवार शाम तक घाटी छोड़कर चले गए.
सोपोर के पुलिस अधीक्षक सुधांशु वर्मा ने इस बात से इनकार किया है कि किसी को भी घाटी से जाने के लिए कहा जा रहा है. हमने सभी को सुरक्षा प्रदान करने की कोशिश की है. हमने उन इलाकों में गश्त बढ़ा दी जहां मजदूर काम कर रहे थे. प्रवासी मजदूरों के रहने वाले इलाकों में पुलिसबल बढ़ा दिया गया है. हमने उन्हें अपने नंबर दिए हैं ताकि आपात स्थिति में वे हमें कॉल कर सकें.
उत्तर प्रदेश के बिजनौर के रहने वाले मोहम्मद सलमान चूड़ा बाजार में सैलून चलाते हैं. सलमान का कहना है कि पुलिस केवल दिहाड़ी मजदूरों को घेर रही है. हम यहां एक दशक से अधिक समय से हैं और यहां अपने परिवारों के साथ रहते हैं. हम यहां से जाने की योजना नहीं बना रहे हैं. लेकिन हां पुलिस ने हमें हत्याओं के कारण शाम 5.30 बजे तक दुकान बंद करने के लिए कहा है.
हर साल तीन से चार लाख मजदूर काम करने कश्मीर जाते हैं
जम्मू-कश्मीर में चल रहे कई विकास परियोजनाओं में करीब 90 फीसदी प्रवासी मजदूर निर्माण कार्यों में लगे हुए हैं. कश्मीर की बात करें तो इस समय घाटी में 5 लाख प्रवासी मजदूर है. एक अनुमान के मुताबिक तीन से चार लाख मजदूर हर साल घाटी जाते हैं. उनमें से अधिकांश सर्दियों की शुरुआत से पहले चले जाते हैं, जबकि कुछ साल भर वहीं रह जाते हैं. बताया जाता है कि लगभग राज्य के हर जिले में बिहार और यूपी से आए मजदूर हैं.