अब कोरोना काल में कैदियों की रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी जमीयत उलेमा-ए-हिंद
भारत के प्रमुख संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने शनिवार को कहा कि वह कोरोना वायरस की महामारी की पृष्ठभूमि में सात साल से कम की सजा काट रहे और विचाराधीन कैदियों को जमानत या पैरोल देने की मांग को लेकर अगले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने वाला है।
जमीयत प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने कहा है कि, गत 16 मार्च को उच्चतम न्यायालय ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए कहा था कि सभी राज्य सरकारें जेल में बंद कैदियों की जमानत को लेकर एक कमेटी का गठन करे जिससे उन्हें मानवीय आधार पर जमानत या पैरोल दी जा सके।
उन्होंने कहा है की अभी तक किसी भी राज्य सरकार ने इस मुद्दे पर कोई पहल नहीं की। मौजूदा समय में जेल के भीतर सामाजिक दूरी का पालन कर पाना नामुमकिन है क्योंकि उनके पास अपनी निर्धारित क्षमता से अधिक कैदी हैं।
इसलिए अब हम उच्चतम न्यायालय का रुख कर रहे हैं।’
मौलाना मदनी ने कहा कि सात साल से कम जेल की सजा और अन्य योग्य कैदियों के साथ कैदियों को अंतरिम जमानत देने की मांग करने वाली याचिका सोमवार को अधिवक्ता एजाज मकबूल द्वारा शीर्ष अदालत में दायर की जाएगी।
मौलाना मदनी ने कहा कि आर्थर रोड जेल लगभग 800 कैदियों को संभालने में सक्षम है, लेकिन वर्तमान में लगभग 2,600 कैदी जेल में बंद हैं। उन्होंने यह भी कहा कि महाराष्ट्र में उच्च शक्ति समिति ने 11,000 कैदियों को रिहा करने की सिफारिश की थी, लेकिन अभी तक राज्य में केवल 576 कैदियों को अंतरिम जमानत पर रिहा करने की प्रक्रिया शुरू की गई है।