Jagannath Temple: श्रीकृष्ण की अधूरी प्रतिमा का रहस्य और उसकी महिमा

भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा: एक अनूठी कहानी

**भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा: एक अनूठी कहानी**

भारत के पश्चिमी क्षेत्र में उड़ीसा राज्य के पुरी शहर में स्थित जगन्नाथ मंदिर में हर वर्ष भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का उत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह यात्रा भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुबद्रा की विशेष प्रतिमाओं के रथों को मंदिर से अन्य मंदिर तक ले जाने का महान उत्सव है।

इस वर्ष, जगन्नाथ रथ यात्रा की शुरुआत 7 जुलाई को हुई। लाखों भक्त ने इस अद्वितीय अवसर पर जगन्नाथ जी के रथ को खींचने में भाग लिया। इस यात्रा की धारोहर और परंपरा में अनेक महत्वपूर्ण कथाएं छुपी हैं, जो इसे और भी अद्वितीय बनाती हैं।

जगन्नाथ मंदिर का इतिहास विचारशीलों के लिए अद्वितीय है। माना जाता है कि भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा अधूरी है, जिसे स्थापना के दौरान बनाने में कुछ भूल हुई थी। इसका अर्थ यह है कि इस प्रतिमा में कुछ अंश नहीं हैं, लेकिन फिर भी भगवान जगन्नाथ उन्हें सभी भक्तों के द्वारा भक्ति और पूजा के योग्य माने जाते हैं।

रथ यात्रा के दौरान, भक्तों का मानना है कि इस यात्रा का दर्शन मात्र से हर प्रकार के बिगड़े कार्य ठीक हो जाते हैं। यह उनकी आस्था और विश्वास का प्रतीक है। जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान लोग एक-दूसरे के साथ भाईचारे और साझेदारी की भावना से भर जाते हैं, जो इसे और भी विशेष बनाता है।

इस अद्वितीय यात्रा के दौरान, जगन्नाथ जी के रथ की खींचाई का समय सबसे महत्वपूर्ण होता है। भक्तों की भीड़ और उनकी उत्साहित आवाजें इस यात्रा को अद्वितीय बनाती हैं। इस अवसर पर भगवान जगन्नाथ की कृपा और आशीर्वाद के लिए भक्तों की प्रार्थना हमेशा ही सजीव रहती है।

जगन्नाथ मंत्र:

ॐ नमो भगवते जगन्नाथाय॥

(Om Namo Bhagavate Jagannathaya)

यह मंत्र भगवान जगन्नाथ की उपासना में प्रयोग किया जाता है। इस मंत्र का जाप करते समय भक्त भगवान जगन्नाथ की कृपा और आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।

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