अफगानिस्तान की पहली महिला मेयर का दर्द

तालिबान मुझे खोजते हुए घर आए, मेरे पिता को मारा और गार्ड को पीटा; मैं दुनिया को उनकी हकीकत बताऊंगी

अफगानिस्तान पर अब तालिबान का कब्जा है। इससे सबसे ज्यादा खतरा महिलाओं और लड़कियों को है। इनमें भी वो महिलाएं निशाने पर सबसे ज्यादा हैं जो किसी जॉब में हैं या सोशल सेक्टर से ताल्लुक रखती हैं। ऐसी ही एक महिला का नाम है जरीफा गफारी। वे अफगानिस्तान की पहली महिला मेयर हैं। गफारी काबुल के पश्चिम में स्थित मैदान शहर की मेयर रह चुकी हैं। अब वे जर्मनी में रह रही हैं और शरण देने के लिए जर्मन सरकार और वहां के लोगों की शुक्रगुजार हैं।

जरीफा कहती हैं- तालिबान मुझे खोजते हुए घर आए। मेरे पिता को मारा जा चुका था। हमारे हाउस गार्ड को पीटा गया। अब मैं इस तालिबान की सच्चाई दुनिया को बताना चाहती हूं। न्यूज एजेंसी को दिए इंटरव्यू में जरीफा ने कई बातों का खुलासा किया है।

आखिर कितने लोगों की जान लेंगे तालिबान
जरीफा के मुताबिक, अफगानिस्तान के लोगों को रोकना नामुमकिन है, वो डरने वाले नहीं हैं। जरीफा कहती हैं- तालिबान आखिर कितने लोगों का कत्ल करेंगे। अफगान पीछे हटने वाले लोग नहीं हैं। मैंने 20 साल में जो हासिल किया था, वो सब खो दिया है। आज मेरे पास सिर्फ अपने वतन की मिट्टी है, और कुछ नहीं।

जरीफा इन हालात के लिए सबको दोषी ठहराती हैं। उनके मुताबिक- आज अफगानिस्तान में जो कुछ हो रहा है, उसके लिए हर कोई जिम्मेदार है। आम लोग, नेता और दुनिया। स्थानीय लोगों ने एकजुट होकर कभी आतंकवाद या गलत बातों के खिलाफ आवाज नहीं उठाई। अफगानिस्तान का हर बच्चा जानता है कि पाकिस्तान ने क्या किया।

अफगानिस्तान हमेशा हमारा रहेगा
एक सवाल के जवाब में जरीफा ने कहा- अफगानिस्तान हमारा था और हमेशा हमारा ही रहेगा। आज मुझ जैसी महिलाएं वहां नहीं हैं तो इसे ऐसे समझिए कि टाइगर भी पूरी ताकत से हमला करने के पहले दो कदम पीछे हटता है।

जर्मन मीडिया से एक अलग बातचीत में जरीफा ने कहा- मैं यहां उन 99% अफगानियों और महिलाओं की आवाज बनकर यहां हूं, जो न अब काम कर सकेंगी और न ज्यादतियों के खिलाफ बोल सकेंगी। जरीफा पिछले हफ्ते पहले इंस्ताबुल गई थीं। इसके बाद वो जर्मनी पहुंचीं। उनके साथ परिवार भी था। जर्मनी में रिफ्यूजियों को लेकर कई दिक्कतें हैं, लेकिन जरीफा कहती हैं- मैं यहां रिफ्यूजी बनकर नहीं आई।

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