चंद्रयान-2 की खोज
चंद्रमा की सतह के अंदर वाटर-आइस मिलने की संभावना, चट्टानें और ज्वालामुखी की आकृति भी मिली
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने बताया है कि चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर पेलोड के ऑब्जर्वेशन ने डिस्कवरी क्लास की खोज की है। इस यान पर 8 साइंटिफिक पेलोड लगाए गए थे। इस हफ्ते ISRO ने चांद से जुड़े विज्ञान के बारे में अपने वैज्ञानिक डिस्कशन की शुरुआत की।
इसके लिए दो दिन की ल्युनर साइंस वर्कशॉप का आयोजन किया गया, जिसमें चंद्रयान-2 से मिले डेटा को भी रिलीज किया गया। यह वर्कशॉप ऑनलाइन मोड में चंद्रयान-2 के चंद्रमा की कक्षा में 2 साल पूरे करने के मौके पर आयोजित की गई। ISRO चेयरमैन और डिपार्टमेंट ऑफ स्पेस में सचिव के सिवन ने इस वर्कशॉप का उद्घाटन किया और चंद्रयान-2 के नतीजों और डेटा प्रोडक्ट्स के डॉक्युमेंट रिलीज किए।
चंद्रयान-2 की प्रमुख खोजें
चंद्रमा की सतह पर क्रोमियम और मैंगनीज पाया गया। चंद्रयान-2 के इंफ्रा-रेड स्पेक्ट्रोमीटर पेलोड IIRS ने चंद्रमा की सतर पर हाइड्रोक्साइल और वाटर-आइस की मौजूदगी के प्रमाण इकठ्ठा किए हैं। DFSAR इंस्ट्रूमेंट ने चंद्रमा की भीतरी सतह की जांच की जिसमें वाटर-आइस होने की संभावना दिखी। इसके साथ ही इस इंस्ट्रूमेंट ने चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्रों के फीचर की हाई-रिजॉल्यूशन मैपिंग की।
के सिवन ने कहा कि चंद्रयान-2 के ऑब्जर्वेशंस से काफी दिलचस्प वैज्ञानिक नतीजे निकलकर आए हैं। इन्हें जर्नल में पब्लिश कराया जा रहा है और इंटरनेशनल मीटिंग में पेश किया जा रहा है। चंद्रयान-2 ने 100 किमी की दूरी से चंद्रमा की तस्वीरें ली हैं। चंद्रमा पर पहाड़ों और ज्वालामुखी की आकृतियां भी पहचानी गई हैं।
2019 में लॉन्च हुआ था चंद्रयान-2
चंद्रयान-2 चंद्रमा की जांच-पड़ताल के लिए भेजा गया दूसरा भारतीय स्पेसक्राफ्ट था। इसमें चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की जांच-पड़ताल के लिए एक ऑर्बिटर, विक्रम नाम का एक लैंडर और प्रज्ञान नाम का एक रोवर शामिल था। इसे 22 जुलाई 2019 को श्रीहरिकोटा स्पेसपोर्ट से GSLV Mk-III से लॉन्च किया गया था। 20 अगस्त 2019 को यह चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कर गया। यह सात साल तक चंद्रमा को एक्सप्लोर करेगा।