ISI को मिलेगा नया चीफ, तालिबान से लेकर लादेन तक को शरण देने
और उन्हें बढ़ाने में जिस पाकिस्तान खुफिया एजेंसी का रोल, जानें उसके बारे में सब कुछ
अफगानिस्तान में तालिबान की हुकूमत बनवाने में मदद करने वाले पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) चीफ जनरल फैज हमीद को पद से हटा दिया गया है। फैज को पेशावर में 11वीं कोर का कमांडर नियुक्त किया गया है। उनकी जगह लेफ्टिनेंट जनरल नदीम अंजुम को ISI का नया चीफ बनाया गया है।
पिछले दिनों फैज का काबुल दौरा पूरी दुनिया में विवादों में आ गया था। उनकी काबुल यात्रा से जनरल बाजवा के अलावा अमेरिका भी काफी नाराज था। माना जा रहा है कि इस नाराजगी के बाद ही ये बदलाव किया गया है।
समझते हैं, ISI क्या है? कैसे काम करती है? भारत के खिलाफ क्या-क्या काम करती आई है? ISI का नया चीफ कौन है? सेना में उनका करियर कैसा रहा है? और ISI के नए चीफ के तौर पर उनका पद कितना ताकतवर है…
सबसे पहले ISI के बारे में जान लीजिए
भारत की RAW (रिसर्च एंड एनालिसिस विंग) की तरह ही ISI पाकिस्तान की प्रमुख इंटेलिजेंस एजेंसी है, जिसे 1948 में ब्रिटिश आर्मी ऑफिसर मेजर जनरल विलियम कावथोर्न ने बनाया था। दरअसल, 1947 में पाकिस्तान की कश्मीर पर कब्जे की कोशिश पूरी तरह नाकाम रही। इस युद्ध में पाकिस्तानी आर्मी, एयरफोर्स, नेवी, इंटेलिजेंस ब्यूरो और मिलिट्री इंटेलिजेंस की नाकामी के चलते ISI का गठन हुआ।
सैयद शाहिद हमीद को ISI का पहला डायरेक्टर जनरल बनाया गया। इसका मकसद पाकिस्तान के लिए दुनियाभर से जरूरी सूचनाएं जुटाना है। शुरुआत में ISI पाकिस्तान के इंटरनल इंटेलिजेंस पर फोकस नहीं करती थी, लेकिन जुलाई 1977 में जिया-उल-हक के सत्ता में आने के बाद ISI पाकिस्तान के इंटरनल इंटेलिजेंस पर भी काम करने लगी। दुनियाभर में ISI के हजारों एजेंट्स और जासूस हैं जिनमें से कई रिटायर्ड कर्मचारी तो कई सिविलियन हैं।
कैसे काम करती है ISI?
ISI में सबसे अहम पद डायरेक्टर जनरल का होता है। आमतौर पर पाकिस्तानी आर्मी के लेफ्टिनेंट जनरल में से ही किसी को डायरेक्टर जनरल बनाया जाता है। डायरेक्टर जनरल के नीचे 3 डिप्टी डायरेक्टर होते हैं।
ISI को अलग-अलग विंग में बांटा गया है, जिनमें सबसे कुख्यात S विंग है। S विंग की जिम्मेदारी इस्लामी कट्टरपंथी समूहों के साथ संबंध बनाने की है। C विंग विदेशी खुफिया एजेंसियों के साथ कॉन्टैक्ट मैनेज करता है।
इसके अलावा जॉइंट इंटेलिजेंस, जॉइंट काउंटर इंटेलिजेंस और SS डायरेक्ट्रेट जैसे आधा दर्जन से ज्यादा अलग-अलग डिपार्टमेंट हैं, जिन्हें अलग-अलग जिम्मेदारी दी गई है।
तालिबान से लेकर ओसामा बिन लादेन तक सब ISI की ही देन
80 के दशक में ISI को अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA ने सोवियत संघ से लड़ रहे अफगानी मुजाहिदीन को बढ़ावा देने के लिए करोड़ों डॉलर की मदद की थी। यही लड़ाके आगे चलकर संगठित होकर तालिबान के रूप में दुनिया के सामने आए। हालांकि, ISI हमेशा इन आरोपों का नकारता रहा है।
2011 में जब पाकिस्तान के एबटाबाद में कुख्यात आतंकवादी ओसामा बिन लादेन मारा गया था, तब ISI की दोहरी भूमिका को लेकर सवाल उठे थे। अमेरिकी एजेंसियों ने कहा था कि ISI को लादेन के पाकिस्तान में होने की पूरी जानकारी थी, लेकिन इसे छुपाया गया। यहां तक की कभी ISI को बढ़ावा देने वाले अमेरिका ने 2011 में एक लीक डॉक्युमेंट में ISI को आतंकवादी संगठन कहा था।
जून 2010 में लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स ने तालिबान के फील्ड कमांडर्स के हवाले से कहा था कि ISI के एजेंट तालिबान की सुप्रीम काउंसिल मीटिंग में शामिल होते थे।
भारत में आतंकवाद को बढ़ावा देने में ISI का कितना रोल?
रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल विनोद भाटिया के मुताबिक, भारत में प्रॉक्सी वॉर और आतंकवाद फैलाने में ISI का बड़ा रोल है। ISI आतंकियों को ट्रेनिंग से लेकर, हथियार और पैसे देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इन लड़ाकों को पूरी तरह ट्रेन्ड करने के बाद ISI इन्हें पाकिस्तानी सेना को सौंप देती है। पाकिस्तानी सेना इनका इस्तेमाल LAC पर भारत के खिलाफ करती है। साथ ही जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकवादी गुटों को भी ISI ने ही बनाया है।
भारत के साथ ही अफगानिस्तान और दुनिया के बाकी देशों में भी इसी तरह आतंकवाद को बढ़ावा देती है।
अब ISI के नए चीफ के बारे में भी जान लीजिए
नदीम अंजुम को ISI का नया चीफ बनाया गया है। नदीम अंजुम इससे पहले कराची में V कॉर्प्स में कॉर्प्स कमांडर के तौर पर तैनात थे। पाकिस्तानी आर्मी में वे पंजाब रेजीमेंट से हैं और कमांड और स्टाफ कॉलेज क्वेटा के कमांडेंट के तौर पर भी काम कर चुके हैं।
वे रावलपिंडी के गुजर खान इलाके से हैं और उन्होंने ब्रिटेन के रॉयल कॉलेज ऑफ डिफेंस स्टडीज से ग्रेजुएशन किया है। ISPR ने कहा है कि अंजुम ने किंग्स कॉलेज लंदन से मास्टर्स किया है। उनके पास होनोलूलू के एशिया-पेसिफिक सेंटर फॉर सिक्योरिटी स्टडीज से भी डिग्री है।
लेफ्टिनेंट जनरल नदीम अंजुम को सेना में एक सख्त और शांत स्वभाव वाले अधिकारी के रूप में जाना जाता है।
पाकिस्तान में ISI चीफ का पद कितना ताकतवर?
अपने संगठन में ISI का महानिदेशक सबसे ताकतवर होता है। वो ISI में लोगों को अपॉइंट करने से लेकर उन्हें हटाने और दोबारा सेना में भेजने की शक्ति रखता है।ISI चीफ का पद राजनीतिक लिहाज से भी बेहद महत्वपूर्ण होता है। पाकिस्तान में कई बार सरकार बनाने और गिराने में भी इसकी भूमिका रही है।ISI चीफ प्रधानमंत्री और सेना प्रमुख दोनों के प्रति जवाबदेह होते हैं। हालांकि, ISI चीफ कितना ताकतवर होगा ये इस बात पर भी निर्भर करता है कि प्रधानमंत्री और सेना चीफ के साथ उसके संबंध कैसे हैं।
ISI के पूर्व चीफ फैज हमीद को क्यों हटाया गया?
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद जनरल फैज हमीद चुपचाप काबुल पहुंचे थे। यहां एक फाइव स्टार होटल में तालिबान के आला नेताओं के साथ चाय पीते नजर आए थे। इसी होटल में ब्रिटेन की एक महिला जर्नलिस्ट मौजूद थी। उसने न सिर्फ फैज के फोटो लिए, बल्कि कुछ सवाल भी किए। इसके जवाब में फैज ने सिर्फ इतना कहा- ऑल इज वेल।
बस यहीं से यह खबर आग की तरह फैल गई। जनरल बाजवा और अमेरिका हमीद पर बिफर गए। इमरान पर उन्हें हटाने का दबाव बढ़ता चला गया। माना जा रहा है कि इस मामले में अमेरिकी एंगल भी है। दरअसल, फैज के काबुल दौरे और तालिबान नेताओं से मुलाकात बाइडेन एडमिनिस्ट्रेशन को नागवार गुजरी। व्हाइट हाउस को ऐसा लग रहा था जैसे जनरल फैज तालिबान नेताओं के साथ मिलकर अफगानिस्तान में अमेरिका की हार का जश्न मना रहे थे।
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