समय से पहले पता चलेगी बीमारी:ब्लड टेस्ट से दो साल पहले की जा सकेगी डिमेंशिया की भविष्यवाणी,
खून में खास तरह के मॉलिक्यूल्स बताते हैं इस बीमारी का खतरा कितना
डिमेंशिया यानी याद्दाश्त सोचने-समझने की क्षमता का घटना। इसके मामले बुजुर्गों में सामने आते हैं। जल्द ही डिमेंशिया का पता इसके होने के 2 साल पहले ही लगाया जा सकेगा। एक ब्लड टेस्ट से इसकी जानकारी मिलेगी।
जर्मनी की यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर गोटिंजेन के वैज्ञानिकों ने ब्लड टेस्ट से डिमेंशिया पता लगाने का दावा किया है। वैज्ञानिकों का कहना है, इंसान के ब्लड में ऐसे मॉलिक्यूल्स की पहचान की गई है, जिसकी मदद से 2 साल पहले ही डिमेंशिया की भविष्यवाणी की जा सकेगी। इससे इलाज और बीमारी को कंट्रोल करना आसान हो सकेगा।
समय पहले डिमेंशिया का पता लगाना इसलिए जरूरी
शोधकर्ता एंड्रे फिशर कहते हैं, आमतौर पर मरीज में तब डिमेंशिया के लक्षण दिखना शुरू होते हैं, जब दिमाग का एक हिस्सा काफी डैमेज हो चुका होता है। ज्यादातर मामलों में देरी से इसका पता चलता है। अगर समय से इसकी जानकारी मिलती है तो इसे बढ़ने से रोका जा सकता है।
इसलिए ऐसे ब्लड टेस्ट की जरूरत है जो खतरा बढ़ने से पहले ही अलर्ट कर सके। हम कॉन्फिडेंट हैं कि यह जांच ऐसे मामलों को कंट्रोल करने में मदद करेगी।
इस तरह किया अलर्ट
शोधकर्ताओं ने चूहों और इंसानों पर स्टडी की। स्टडी के दौरान इनमें ऐसे 3 माइक्रो-आरएनए पहचाने गए जो इंसान की मेंटल परफॉर्मेंस से जुड़े हैं। इसे समझने के लिए युवाओं और बुजुर्गों में इन तीनों माइक्रो-आरएनए की तुलना की गई।
रिसर्च रिपोर्ट में सामने आया कि जिनमें इनकी मात्रा कम मिली उनकी मेंटल हेल्थ ज्यादा बेहतर थी। वहीं, जिनमें इसका स्तर अधिक था उनमें अगले दो सालों में 90 फीसदी तक अल्जाइमर्स और डिमेंशिया जैसी बीमारियों का खतरा था।
डिमेंशिया को कैसे रोकें, इसे समझें
6 कप से अधिक कॉफी न पिएं
ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों की नई रिसर्च कहती है, रोजाना 6 कप से अधिक कॉफी पीते हैं तो इसका सीधा असर ब्रेन पर पड़ता है। नतीजा, ऐसे लोगों में याद्दाश्त घटने (डिमेंशिया) का खतरा 58 फीसदी तक रहता है। स्ट्रोक का डर भी बना रहता है।
याद्दाश्त घटने से रोकना है तो सेब खाएं
डिमेंशिया को रोकना है तो रोजाना सेब खाएं। रिसर्च के मुताबिक, सेब में दो ऐसे तत्व भी पाए गए हैं जो याद्दाश्त को घटने से रोकते हैं। ये तत्व अल्जाइमर्स और डिमेंशिया जैसे रोगों का खतरा घटाते हैं। यह दावा जर्मनी के जर्मन सेंटर फॉर न्यूरोडीजेनेरेटिव डिजीज के वैज्ञानिकों ने किया है।
दोपहर में 5 मिनट की झपकी जरूर लें
उम्र के साथ घट रही याददाश्त को कंट्रोल करना चाहते हैं तो दोपहर में 5 मिनट की झपकी जरूर लें। यह दावा चीनी वैज्ञानिकों ने अपनी रिसर्च में किया है। वैज्ञानिकों का कहना है, उम्र के साथ नींद लेने का तरीका बदल जाता है, लेकिन दोपहर में ली जाने वाली कुछ समय की नींद सभी में कॉमन है। यह दिमाग के लिए फायदेमंद है।
रोजाना 6 घंटे से कम सोने पर खतरा बढ़ता है
अमेरिका में हुई एक स्टडी में खुलासा हुआ है कि 50 साल की उम्र तक 6 घंटे या उससे कम सोने पर डिमेंशिया का खतरा बढ़ जाता है। जनरल नेचर कम्युनिकेशन में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, जो लोग पर्याप्त नींद नहीं लेते हैं, उनमें 70 साल की उम्र आने तक याददाश्त कमजोर होने की आशंका बढ़ जाती है।
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