करनाल में 4 दिन बाद इंटरनेट सेवा बहाल
60 करोड़ का कारोबार प्रभावित हुआ, ऑनलाइन क्लास, कोरोना वैक्सीनेशन और नेटबैंकिंग ठप रही; मोबाइल कंपनियों का ट्रैफिक हुआ डबल
हरियाणा के करनाल शहर में इंटरनेट सेवा शुरू हो गई है। किसानों के धरने को देखते हुए प्रदेश सरकार ने पूरे जिले में 4 दिन मोबाइल इंटरनेट और BULK SMS सेवाएं सस्पेंड रखी थीं। इसकी वजह से आम लोग प्रभावित हुए। बच्चों की ऑनलाइन क्लास बंद हो गई तो मोबाइल शॉप्स सूनी पड़ी रहीं। व्यापारी और कारोबारी नेटबैंकिंग से कोई ट्रांजेक्शन नहीं कर पाया। कोरोना वैक्सीनेशन तीन दिन बंद रही। बैंकिंग सेवाओं पर भी असर पड़ा। धरने पर हजारों किसान बैठे हैं। उनके आसपास सुरक्षा प्रबंधों के मद्देनजर पुलिस व पैरामिलिट्री फोर्स के सैकड़ों जवान तैनात हैं।
नए मोबाइल उपभोक्ताओं और इंटरनेट बंद होने के कारण कई गुना बढ़ चुकी वॉयस कॉलिंग से मोबाइल कंपनियों का नेटवर्क चरमरा गया। आलम ये रहा है कि मिनी सचिवालय के आसपास के एरिया में पहली बार में कॉल तक कनेक्ट नहीं हो रही थी।
गौरतलब है कि 28 अगस्त को किसानों का सिर फोड़ने के आदेश देने वाले करनाल के तत्कालीन एसडीएम व IAS अधिकारी आयुष सिन्हा को सस्पेंड करने की मांग करते हुए किसान 7 सितंबर को शहर में मिनी सचिवालय के सामने टेंट गाड़कर पक्का मोर्चा लगा चुके हैं। पुलिस-प्रशासन के भी सैकड़ों कर्मचारी और अधिकारी यहां शिफ्टों में ड्यूटी निभा रहे हैं। इन सबके बीच जिले में इंटरनेट और SMS सेवा बंद पड़ी रही, जो 4 दिन बाद शुक्रवार को खुली।
सचिवालय के आसपास पहली बार में नहीं मिलती कॉल
करनाल मिनी सचिवालय में तकरीबन 40 विभागों के दफ्तर हैं। मिनी सचिवालय के आसपास वाले इलाके में तकरीबन 10 बीमा कंपनियों के अलावा 15 से अधिक बैंक और 40 निजी कंपनियों के दफ्तर हैं। इलाके में हर मोबाइल कंपनी का टावर लगा हुआ है। मोबाइल कंपनियां इलाके में अपने एक्टिव यूजर के अनुसार नेटवर्क की फ्रीक्वेंसी इन्हीं टावरों के जरिए तय करती हैं। किसानों के धरने से पहले यहां हर कंपनी के एक से दो हजार के बीच यूजर थे। टेलीकम्युनिकेशन से जुड़े एक्सपर्ट के अनुसार, किसान आंदोलन में पहुंचे लोगों की वजह से गुरुवार को इन यूजर की संख्या 10 से 20 गुना बढ़ चुकी है। मौजूदा नेटवर्क इस लोड को उठाने में सक्षम नहीं है। स्थिति ये है कि इस एरिया में पहली बार में कॉल कनेक्ट तक नहीं हो पा रही था। मोबाइल पर बात करने के लिए 3 से 4 बार डायल करना पड़ रहा था।
वॉयस कॉलिंग पर निर्भरता से बढ़ी दिक्कत
इंटरनेट बंद होने के कारण व्हाट्सऐप मैसेज, कॉल और वीडियो कॉल भी नहीं हो पा रहा। SMS भी बंद है। ऐसे में किसान, बाहर से आए पुलिसवाले, पैरामिलिट्री फोर्स के जवान और अधिकारी वॉयस कॉलिंग पर डिपेंड हो गए हैं। इसकी वजह से भी नेटवर्क ब्रेक रहा।
मोबाइल ट्रैफिक डबल से ज्यादा, 7 सितंबर को था 4 गुणा
सरकारी क्षेत्र की मोबाइल कंपनी, BSNL के एक अधिकारी ने बताया कि सचिवालय एरिया में सभी कंपनियों ने मिलाकर तकरीबन 10 हजार उपभोक्ताओं के लिए टावर नेटवर्क लगा रखा है, जबकि इस समय यहां मोबाइल ट्रैफिक बढ़कर 20 हजार से भी अधिक हो चुका है। महापंचायत वाले दिन 7 सितंबर को तो यहां मोबाइल ट्रैफिक 40 हजार को पार कर गया था।
न भुगतान हो रहा, न ही पेमेंट आ रही: गर्ग
अखिल भारतीय व्यापार मंडल के राष्ट्रीय मुख्य महासचिव और हरियाणा प्रदेश व्यापार मंडल के प्रांतीय अध्यक्ष बजरंग गर्ग ने कहा कि हरियाणा सरकार ने किसानों की समस्या हल करने की बजाय 4 दिन इंटरनेट सेवाएं सस्पेंड रखीं। इसकी वजह से तीन दिनों में 60 करोड़ रुपए का व्यापार प्रभावित हुआ। क्योंकि हर ट्रेड और उद्योगों में लेनदेन इंटरनेट से ही होता है। इंटरनेट बंद होने से न भुगतान हो रहा है और न पेमेंट आ रही है। यहां तक कि जब कोई वाहन बेचा जाता है, तब भी ऑटो डीलर वाहन कंपनियों को भुगतान ऑनलाइन ही करते हैं। इंटरनेट बंद रहने से सबकुछ ठप हो गया।
ऑनलाइन ही आती है पेमेंट
मिनी सचिवालय के आसपास के ज्यादातर दुकानदारों ने बताया कि आजकल हर कोई ऑनलाइन पेमेंट करता है। 50% लोग तो नकदी लेकर चलते ही नहीं। जिन्हें जानते हैं उन्हें तो उधार सामान दे देते हैं, लेकिन जो ग्राहक जान-पहचान वाला नहीं है, वह खाली लौट जाता है। जिन दफ्तरों-घरों में वाईफाई की सुविधा है, वहीं पर इंटरनेट चल रहा था।
सिर फोड़ने के आदेश पर बढ़ा विवाद
28 अगस्त को करनाल में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने भाजपा की संगठनात्मक मीटिंग ली थी। उसी मीटिंग का विरोध करने की कोशिश कर रहे किसानों की पुलिस से झड़प हो गई थी। जिसमें कई किसान घायल हो गए थे। 29 अगस्त को एक घायल किसान ने दम तोड़ दिया। 28 अगस्त को करनाल में ड्यूटी मजिस्ट्रेट आयुष सिन्हा का किसानों के सिर फोड़ने संबधी बयान सामने आने के बाद मामले ने तूल पकड़ लिया था। किसानों ने 7 सितंबर को करनाल में महापंचायत कर आयुष सिन्हा को सस्पेंड करने की मांग की और ऐसा न होने पर मिनी सचिवालय का घेराव कर दिया।