लखीमपुर का बवाल: दंगल देखने गया था श्यामसुंदर निषाद, जान देकर चुकानी पड़ी गाड़ी में बैठने की कीमत

लखीमपुर खीरी के बनवीरपुर में गांधी जयंती पर हर साल होने वाला अंतर्जनपदीय दंगल देखने के शौकीन जैपरा के युवक श्यामसुंदर को शायद ही यह इलहाम रहा होगा कि वह खुद किसी जानलेवा दंगल में फंस जाएगा। बवाल के बीच प्रदर्शनकारियों ने उसे बेरहमी से पीटा और मौके पर ही मौत हो गई। सिंगाही थाने के सिंगहा कलां गांव का मजदूरीपेशा श्यामसुंदर निषाद (30) हर साल की तरह रविवार को बनवीरपुर में हो रहा दंगल देखने गया था। इसी बीच पता चला कि बनवीरपुर से कुछ गाड़ियां मुख्य अतिथि डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की अगवानी करने जा रही हैं और उनमें एक-दो लोग ही हैं।

इस पर वह एक गाड़ी में चढ़ गया। जब गाड़ी तिकुनियां के पास पहुंची तो भारी भीड़ की वजह से जाम लगी थी। गांव के लोगों ने बताया कि इसी दौरान आगे वाली गाड़ी से कुचलकर कुछ लोग घायल हो गए और दो लोगों की मौत हो गई। फिर क्या था, बेकाबू भीड़ ने पीछे की दोनों गाड़ियों को खंती में पलटकर आग के हवाले कर दिया। भाग रहे श्यामसुंदर को पकड़कर बुरी तरह पीटा गया। 

घरवालों के मुताबिक, तलवारों से उसके गले और चेहरे पर इस तरह वार किए कि उसकी वहीं मौत हो गई। फिर उसकी लाश खेत में फेक दी गई, जिसे पुलिस ने देर शाम बरामद कर पोस्टमार्टम के लिए भेजा। सोमवार सुबह जब लाश गांव पहुंची तो उसकी वीभत्स हालत देखकर ग्रामीणों में रोष पैदा हो गया। वे शव को सिंगाही-बेलरायां हाइवे पर रखकर उसे जाम करने चल दिए। इसकी सूचना पाकर पहुंचे पुलिस अफसरों ने उनको सिंगहा गांव के पास ही रोक लिया। कई घंटे वार्ता के बाद उनको मृतकों के लिए सरकार की तरफ से घोषित सहायता दिलाने के आश्वासन के बाद ही दोपहर करीब डेढ़ बजे शव का अंतिम संस्कार हुआ।

श्यामसुंदर के बड़े भाई संजय ने बताया कि उससे छोटे श्यामसुंदर के बाद इस समय देहरादून में मजदूरी कर रहा उनके सबसे छोटे भाई राजपाल के अलावा बुजुर्ग माता-पिता हैं। इस परिवार में श्यामसुंदर की पत्नी रूबी, चार व डेढ़ साल की बेटियां अंशिका व जैंसी हैं। उनके पिता के नाम महज सात बीघे जमीन है।

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