पहले स्वतंत्रता दिवस पर क्या बोले थे आज़ाद भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू
जवाहर लाल नेहरू ने अपने भाषण में कहा कि कई साल पहले हमने भाग्य को बदलने का प्रयास किया था. आज वो समय आ गया है जब हम अपनी प्रतिज्ञा से मुक्त हो जाएंगे
आज देश को आज़द हुए 75 साल हो गए है लेकिन देश के कोने कोने में आज भी 75 साल पहले देश के पहले प्रधानमंत्री का देश को संबोधन याद किया जाता है , वो कहते है ना की कोई भी पहली चीज़ हमेशा खास होती है और जब बात देश की हो तो वो और खास बन जाती है ।
देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु ने देश को जब पहली बार संबोधित किया था तब उनकी जबान से निकला हर वो शब्द देश के लिए खास था।
जवाहर लाल नेहरू ने अपने भाषण में कहा कि कई साल पहले हमने भाग्य को बदलने का प्रयास किया था. आज वो समय आ गया है जब हम अपनी प्रतिज्ञा से मुक्त हो जाएंगे. पूरी तरह नहीं लेकिन यह महत्वपूर्ण है. जब आधी रात 12 बजे पूरी दुनिया सो रही होगी. इस दौरान भारत स्वतंत्र जीवन के साथ नई शुरुआत करेगा. नेहरू के इस भाषण ने हर भारतीय के अंदर नए भारत के सपने की ललक जगाने का काम किया. नेहरू ने अपने भाषण में कहा- ये ऐसा समय है जो इतिहास में बेहद कम देखने को मिलता है. पुराने से नए की ओर जाना. एक युग का अंत होना. अब सालों से शोषित देश की आत्मा अपनी बात कह सकती है. उन्होंने कहा कि यह संयोग है कि हम पूरे समर्पण के साथ भारत और उसकी जनता की सेवा के लिए प्रतिज्ञा ले रहे हैं. इतिहास की शुरुआत के साथ ही भारत ने अपनी खोज शुरू की और न जाने कितनी सदियां इसकी भव्य सफलताओं और असफलताओं से भरी हुई हैं.
दूसरे युग की भारत खुद को खोज रहा है….
नेहरू ने कहा कि समय अच्छा हो या बुरा, भारत ने कभी अपने आदर्शों को नहीं भुलाया, जिसने हमेशा हमें आगे बढ़ने की शक्ति दी. आज एक युग का अंत हो रहा है. लेकिन दूसरे युग की तरफ भारत खुद को खोज रहा है. जिस उपलब्धि की हम खुशियां मना रहे हैं. वो नए अवसरों के खुलने के लिए केवल एक कदम है. इससे भी बड़ी जीत और उपलब्धियां हमारा इंतजार कर रही हैं. क्योंकि हममें इतनी समझदारी और शक्ति है जो हम इस अवसर को समझें और भविष्य में आने वाली चुनौतियों को स्वीकार करें.
किसी भी आंख में न रहे आंसू….
जवाहर लाल नेहरू ने भारतीयों को संबोधित करते हुए आगे कहा कि भविष्य में चैन से नहीं बैठना है. हम जो बात कह रहे हैं या कर रहे हैं उसे पूरा किए बगैर आराम नहीं करना है. भारत की सेवा का मतलब है करोड़ों पीड़ितों की सेवा करना यानी गरीबी को मिटाना, बीमारियों और अवसर की असमानता को खत्म करना. हमारी पीढ़ी के सबसे महान व्यक्ति की यही इच्छा है कि किसी भी आंख में आंसू न रहें.
नेहरू ने आगे कहा कि लोगों की आंखों में जब तक आंसू हैं वो पीड़ित हैं. तबतक हमारा खाम खत्म नहीं होगा. इसके लिए हमें मेहनत करने की जरूरत है. ये सपने भारत के लिए हैं साथ पूरे विश्व के लिए भी हैं. कोई भी देश अब खुद को अलग नहीं सोच सकता है क्योंकि सभी राष्ट्र और सभी लोग एक दूसरे से बड़ी निकटता से जुड़े हुए हैं. शांति को विभाजित नहीं किया जा सकता है. ऐसे ही स्वतंत्रता को भी विभाजित नहीं किया जा सकता है. हमें ऐसे भारत का निर्माण करना है जहां उसके सारे बच्चे रह सकें.
- एक नए तारा का उदय हुआ, काश यह उम्मीद धूमिल न हो…
नेहरू ने अपने संबोधन में कहा कि अब सही समय आ चुका है जब सालों के संघर्ष के बाद अब भारत जागृत है और खड़ा है. हमारे लिए नया इतिहास शुरू हो चुका है. एक ऐसा इतिहास जिसका निर्माण हम करेंगे. जिसे हम बनाएंगें और जिसके बारे में अन्य लोग लिखेंगे. एक नए तारे का जन्म हुआ है और यह हमारे लिए सौभाग्य की बात है. एक नई उम्मीद का जन्म हुआ है. काश ये तारा कभी अस्त न हो और ये उम्मीद कभी धूमिल न हो. हम हमेशा इस आजादी में खुश रहें, आने वाला भविष्य हमें बुला रहा है.