Indian Stock Market Crash : 21 नवंबर 2024 को सेंसेक्स और निफ्टी 1% तक गिरें

Indian Stock Market Crash , कुल मिलाकर, 21 नवंबर को भारतीय शेयर बाजार में 1% की गिरावट वैश्विक संकेतों, बढ़ती बॉंड यील्ड्स, मुद्रास्फीति की चिंताओं, लाभ बुकिंग और घरेलू विकास की चिंताओं का मिश्रण है।

Indian Stock Market Crash 21 नवंबर 2024 को भारतीय शेयर बाजार के प्रमुख सूचकांक, सेंसेक्स और निफ्टी 50, दोनों ने 1% से अधिक की गिरावट दर्ज की। यह गिरावट वैश्विक और घरेलू दोनों कारणों से हुई है, जो बाजार के समग्र दबाव को दर्शाती है। इस एक ही सत्र में, बीएसई सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार पूंजीकरण लगभग ₹6 लाख करोड़ घट गया, जिससे निवेशकों का विश्वास और भी कमजोर हुआ। नीचे 5 प्रमुख कारण दिए गए हैं, जो आज के बाजार गिरावट के लिए जिम्मेदार हैं।

1. वैश्विक बाजारों का कमजोर रुझान

Indian Stock Market Crash ,वैश्विक शेयर बाजारों में एक व्यापक बिकवाली देखी जा रही है, जिसका सीधा असर भारतीय शेयरों पर पड़ा है। अमेरिका, यूरोप और एशिया के बाजारों में वैश्विक आर्थिक वृद्धि, उच्च मुद्रास्फीति और केंद्रीय बैंक की नीतियों को लेकर चिंता बढ़ रही है। फेडरल रिजर्व द्वारा और अधिक ब्याज दरों में वृद्धि की संभावना ने निवेशकों को सुरक्षित संपत्तियों जैसे बॉंड्स की ओर रुख करने को मजबूर किया है, जिससे वैश्विक शेयर बाजारों में गिरावट आई है। यह वैश्विक जोखिम-आधारित भावना भारतीय बाजार में भी फैली है, जिससे सेंसेक्स और निफ्टी ने अंतर्राष्ट्रीय बाजारों की गिरावट का अनुसरण किया।

2. बॉंड यील्ड्स में वृद्धि और मुद्रास्फीति की चिंता

Indian Stock Market Crash ,आज की गिरावट का एक प्रमुख कारण वैश्विक बॉंड यील्ड्स में वृद्धि है, विशेष रूप से अमेरिका में। उच्च बॉंड यील्ड्स शेयरों की तुलना में फिक्स्ड-इनकम संपत्तियों को अधिक आकर्षक बनाती हैं, जिसके परिणामस्वरूप पूंजी शेयर बाजार से बाहर चली जाती है। इसके अलावा, बढ़ती यील्ड कर्व्स यह संकेत देती हैं कि मुद्रास्फीति का दबाव अभी भी जारी है, और केंद्रीय बैंक दरों को उच्च रखने की योजना बना रहे हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था में भी मुद्रास्फीति की चिंता बनी हुई है, जिससे निवेशक कंपनियों के लाभ और आर्थिक वृद्धि के दृष्टिकोण को लेकर सतर्क हो गए हैं, और इससे व्यापक बिकवाली शुरू हो गई है।

3. Indian Stock Market Crash ,लाभ बुकिंग और कमजोर कॉर्पोरेट परिणाम

हाल ही में शेयर बाजार में मजबूत वृद्धि के बाद, कई निवेशक अब मुनाफा बुक करने के लिए निकल पड़े हैं, जो बाजार के कमजोर होने का कारण बन रहा है। यह विशेष रूप से मिड- और स्मॉल-कैप शेयरों के लिए सच है, जो पिछले कुछ महीनों में बड़े शेयरों से बेहतर प्रदर्शन कर रहे थे। आज, इन क्षेत्रों में भारी बिकवाली देखी गई, जिससे समग्र बाजार की नकारात्मक भावना बढ़ी। इसके अलावा, कुछ प्रमुख क्षेत्रों जैसे बैंकिंग, उपभोक्ता वस्त्र और रियल एस्टेट में कमजोर कॉर्पोरेट परिणाम और उम्मीद से धीमी वृद्धि ने भी निवेशकों की उम्मीदों को कम किया है।

4. घरेलू आर्थिक विकास को लेकर चिंताएँ

भारत की घरेलू आर्थिक स्थिति को लेकर भी चिंता बढ़ रही है। जबकि भारतीय अर्थव्यवस्था कई मोर्चों पर लचीलापन दिखा रही है, कुछ हालिया आंकड़े धीमी वृद्धि का संकेत दे रहे हैं। विनिर्माण क्षेत्र में कमजोर मांग देखी जा रही है, जो घरेलू और वैश्विक दोनों स्तरों पर चुनौतीपूर्ण है। प्रमुख वैश्विक बाजारों, जैसे अमेरिका और यूरोप में मंदी के कारण भारतीय निर्यात पर दबाव है। इसके अलावा, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा ब्याज दरों में वृद्धि के बाद घरेलू खपत और व्यापारिक निवेश में मंदी की आशंका है, जो GDP वृद्धि को प्रभावित कर सकती है।

5. मुद्रास्फीति और विदेशी निवेशकों की निकासी

Indian Stock Market Crash ,भारतीय रुपये का अमेरिकी डॉलर के मुकाबले कमजोर होना भी बाजार के गिरने का एक और कारण है। जैसे-जैसे डॉलर वैश्विक स्तर पर मजबूत हो रहा है, उभरते हुए बाजारों की मुद्राएँ, जैसे भारतीय रुपया, कमजोर हो जाती हैं, जिससे भारतीय संपत्तियाँ विदेशी निवेशकों के लिए कम आकर्षक हो जाती हैं। इसके अलावा, विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने पिछले कुछ हफ्तों में भारतीय शेयरों से निकासी की है, जो बाजार पर और दबाव डाल रहा है। विदेशी निवेशकों की निकासी, मजबूत डॉलर और वैश्विक मंदी के डर ने भारतीय शेयर बाजार के लिए नकारात्मक माहौल बना दिया है।

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Indian निवेशकों के लिए चुनौतीपूर्ण दिन

Indian Stock Market Crash , कुल मिलाकर, 21 नवंबर को भारतीय शेयर बाजार में 1% की गिरावट वैश्विक संकेतों, बढ़ती बॉंड यील्ड्स, मुद्रास्फीति की चिंताओं, लाभ बुकिंग और घरेलू विकास की चिंताओं का मिश्रण है। बिकवाली व्यापक रूप से फैली हुई है, जिसमें मिड- और स्मॉल-कैप शेयरों को भी नुकसान हुआ है। निवेशक अब सतर्क हो गए हैं क्योंकि बाजार का दृष्टिकोण अनिश्चित बना हुआ है, और यह दबाव घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों मोर्चों से बढ़ता जा रहा है।

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