Indian रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले नया निचला स्तर छूता है

Indian रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 84.50 के नए निचले स्तर पर पहुंच गया। अमेरिकी डॉलर की लगातार बढ़ती ताकत, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) द्वारा निरंतर बिकवाली

22 नवंबर को Indian रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 84.50 के नए निचले स्तर पर पहुंच गया। अमेरिकी डॉलर की लगातार बढ़ती ताकत, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) द्वारा निरंतर बिकवाली और बढ़ते भू-राजनीतिक तनावों का असर भारतीय मुद्रा पर देखने को मिला।

डॉलर की मजबूती और FPI की बिकवाली

इस महीने के पहले 22 दिनों में अमेरिकी डॉलर इंडेक्स में 3.10% की बढ़त देखी गई है, जो इसे पिछले दो वर्षों में सबसे ऊंचे स्तर के करीब ले आया है। डॉलर की मजबूती के कारण Indian रुपये पर दबाव बढ़ा है। इसके अलावा, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की ओर से लगातार बिकवाली भी भारतीय मुद्रा को कमजोर करने का एक बड़ा कारण है।

एफपीआई के निवेश में कमी और उनके द्वारा Indian बाजारों से निकासी के कारण भारतीय रुपये पर और दबाव पड़ा है। FPI द्वारा भारतीय शेयर बाजारों में निकासी ने रुपये की स्थिति को कमजोर किया है।

अमेरिकी डॉलर की ताकत और अमेरिकी नीतियाँ

अमेरिकी डॉलर की ताकत का मुख्य कारण अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के बाद की आर्थिक नीतियों के बारे में बढ़ती उम्मीदें हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नए नीतिगत फैसलों से यह उम्मीद की जा रही है कि वह मुद्रास्फीति को बढ़ावा दे सकते हैं, जिससे अमेरिकी केंद्रीय बैंक की नीति में बदलाव हो सकता है। इसके कारण यह संभावना जताई जा रही है कि भविष्य में अमेरिकी ब्याज दरों में कमी की संभावना कम हो सकती है, जो डॉलर को और मजबूत करता है।

भू-राजनीतिक तनावों का प्रभाव

इसके अलावा, वैश्विक भू-राजनीतिक तनाव भी अमेरिकी डॉलर के पक्ष में काम कर रहे हैं। खासकर, भारत और अन्य देशों के बीच तनावपूर्ण स्थिति और व्यापारिक मतभेदों का असर वैश्विक वित्तीय बाजारों पर पड़ा है, जो अमेरिकी डॉलर को सुरक्षित निवेश के रूप में और आकर्षक बना रहे हैं।

Indian रुपये पर दबाव और भारतीय अर्थव्यवस्था

Indian रुपये की इस गिरावट का असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी हो सकता है। आयातित वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी, खासकर कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि, महंगाई को बढ़ा सकती है। इसके साथ ही, रुपये की गिरावट से भारतीय कंपनियों की आयात लागत बढ़ेगी, जो विशेष रूप से ऊर्जा और अन्य महत्वपूर्ण सामानों पर निर्भर हैं।

क्या Indian रुपये की गिरावट जारी रहेगी?

विशेषज्ञों का मानना है कि रुपये पर दबाव अगले कुछ समय तक जारी रह सकता है। अमेरिकी डॉलर की मजबूत स्थिति और वैश्विक परिस्थितियों के कारण रुपये में और गिरावट देखने को मिल सकती है। हालांकि, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और सरकार की नीतियों से भी रुपये को समर्थन मिल सकता है, लेकिन वैश्विक परिस्थितियां और विदेशी निवेश प्रवाह रुपये की दिशा को प्रभावित करेंगे।

Canada ने भारत जाने वाले यात्रियों के लिए अतिरिक्त सुरक्षा जांच हटाई: इसका क्या मतलब है?

Indian रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले लगातार कमजोर हो रहा है और 84.50 के निचले स्तर पर पहुंच गया है। डॉलर की मजबूती, FPI की बिकवाली और वैश्विक भू-राजनीतिक तनावों का असर रुपये पर भारी पड़ रहा है। अब देखना यह है कि क्या भारतीय सरकार और रिजर्व बैंक इस स्थिति को संभालने में सक्षम होंगे, या रुपये में और गिरावट देखने को मिलेगी।

Related Articles

Back to top button