Indian Army : 56 साल बाद घर पहुंचेगा शहीद नारायण सिंह

Indian Army , 56 साल पहले 1968 में एक विमान हादसे में लापता हुए शहीद नारायण सिंह का पार्थिव शरीर अंततः उनके घर पहुंचने वाला है।

Indian Army | 56 साल बाद घर लौटेगा शहीद नारायण सिंह का पार्थिव शरीर

Indian Army , 56 साल पहले 1968 में एक विमान हादसे में लापता हुए शहीद नारायण सिंह का पार्थिव शरीर अंततः उनके घर पहुंचने वाला है। यह हादसा भारतीय वायुसेना के एक विमान के क्रैश होने के कारण हुआ था, जिसमें कुल 102 लोग सवार थे। यह दुर्घटना इतनी गंभीर थी कि इसके बाद लापता हुए लोगों की तलाश लंबे समय तक चलती रही, लेकिन नारायण सिंह सहित कई जवानों का कुछ पता नहीं चल सका।

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विमान हादसा और खोज

यह घटना 1968 में हुई, जब एक वायुसेना का विमान लद्दाख के क्षेत्र में खराब मौसम के चलते दुर्घटनाग्रस्त हो गया। विमान में सवार जवानों में से कई सिख, राजपूत और अन्य समुदायों के थे। यह हादसा पूरे देश के लिए एक गहरा आघात था। परिवारों ने अपने प्रियजनों के लिए सालों-साल इंतजार किया, लेकिन कोई सूचना नहीं मिली।

हाल ही में, भारतीय वायुसेना और सरकार की संयुक्त टीम ने उस क्षेत्र में खोज अभियान चलाया। इस दौरान, दुर्घटना स्थल से कुछ अवशेष और व्यक्तिगत सामान प्राप्त हुए, जिसमें नारायण सिंह का नाम और पहचान पत्र भी शामिल था। इसके बाद, शहीद की पहचान की पुष्टि की गई और उनका पार्थिव शरीर उनके गृह नगर लाया जाने का निर्णय लिया गया।

परिवार की भावना

नारायण सिंह के परिवार ने इस खबर को सुनकर खुशी और दुख दोनों महसूस किया। उनके बेटे ने कहा, “56 साल का लंबा इंतजार खत्म हुआ। मेरे पिता का शरीर हमारे पास लौट रहा है। यह हमारी सच्ची श्रद्धांजलि है।” परिवार के अन्य सदस्य भी इस क्षण का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे, ताकि वे अपने प्रियजन को एक उचित श्रद्धांजलि दे सकें।

अंतिम संस्कार

शहीद नारायण सिंह का पार्थिव शरीर उनके गांव में अंतिम संस्कार के लिए लाया जाएगा, जहां उन्हें राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी जाएगी। इस अवसर पर स्थानीय प्रशासन और वायुसेना के अधिकारियों की मौजूदगी में शहीद को सलामी दी जाएगी।

महत्वपूर्ण संदेश

इस घटना ने यह साबित किया है कि भारतीय सेना के जवानों का बलिदान कभी भुलाया नहीं जाएगा। उनका साहस और समर्पण आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत बने रहेंगे। शहीद नारायण सिंह का घर लौटना केवल उनके परिवार के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए एक भावनात्मक पल है, जो उनकी सेवा और बलिदान की याद दिलाता है।

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