किशोर आबादी में निवेश से भारत होगा लाभान्वित: डॉ निशंक
नई दिल्ली, 18 दिसंबर। एक्सप्रेशंस इंडिया और नेशनल बुक ट्रस्ट द्वारा जीवन कौशल, स्वास्थ्य, सुरक्षा एवं विद्यालयों की भलाई पर आयोजित 9वें अंतर्राष्ट्रीय किशोर शिखर सम्मलेन को संबोधित करते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने कहा कि देश के युवाओं को जागरूकता फैलाने के दूत के रूप में, जिम्मेदारी को बढ़ावा देने, मानसिक स्वास्थ्य एवं कल्याण को बढ़ाने के उद्देश्य से आयोजित किया गया यह शिखर सम्मलेन एक प्रशंसनीय पहल है और भारत के 47.3 करोड़ किशोर ही उसकी रीढ़ हैं और इस ऊर्जावान किशोर आबादी की सुरक्षा, स्वास्थ्य व शिक्षा में निवेश होगा तो भारत को सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक रूप से लाभान्वित होने से कोई रोक नहीं सकता.
इस अवसर पर नेशनल बुक ट्रस्ट के अध्यक्ष प्रोफेसर गोविंद प्रसाद शर्मा, एक्सप्रेशंस इंडिया के प्रोग्राम डायरेक्टर डॉ जितेंद्र नागपाल, नेशनल बुक ट्रस्ट के निदेशक श्री युवराज मलिक एवं हज़ारों की संख्या में छात्र-छात्रा और शिक्षक भी जुड़े.
केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा, “किशोरावस्था एक ऐसा समय होता है जब हमारे बच्चे यह समझना शुरू करते हैं कि वह कौन है और क्या बनना चाहते हैं. बच्चे कुछ कर दिखाने के जुनून के साथ अपनी एक पहचान बनाने का प्रयास करते हैं. किशोरावस्था में करियर के विकल्प ढूंढना, सार्थक संबंध बनाने और बनाए रखने के लिए प्रयास, तकनीकी विकास के साथ आगे बढ़ने का कौशल व व्यवहार जैसी अन्य चीजें विकसित होती हैं. इसलिए एक राष्ट्र के रूप में उनकी राय और सिफारिशों को सुनना और समझना हमारा कर्तव्य है.”
उन्होनें आगे कहा कि किशोरों के लिए यह आवश्यक है कि वह 21वीं सदी के कौशल को विकसित करें जिसमें तीन मुख्य कौशल शामिल हो – शिक्षण कौशल यानि नए ज्ञान के अधिग्रहण करने के लिए आवश्यक कौशल, जीवन कौशल यानि रोजमर्रा की जिंदगी को सफलतापूर्वक आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक कौशल व साक्षरता कौशल यानि जो पढ़ने, मीडिया और डिजिटल संसाधनों के नए ज्ञान को बनाने और प्राप्त करने में मदद करता है.
छात्र-छात्रों को प्रेरित करते हुए डॉ निशंक ने कहा, “यह महामारी पूरे समुदाय के लिए एक चुनौतीपूर्ण समय है. जहां एक तरफ छात्र-छात्राएं दूरस्थ शिक्षा के ‘नए सामान्य’ का पालन कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर उनमें चिड़चिड़ापन, बेचैनी और घबराहट भी बढ़ गई है लेकिन मैं आप सभी को यह विश्वास दिलाना चाहता हूं कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में हमारी सरकार भिन्न-भिन्न योजनाएं जैसे ‘बेटी-बचाओ, बेटी-पढ़ाओ’, ‘डिजिटल इंडिया’, ‘फिट इंडिया’ और ‘स्किल इंडिया’ के द्वारा आप सभी के उज्जवल भविष्य के लिए निरंतर प्रयास कर रही है.”
इसके अलावा उन्होनें शिक्षा मंत्रालय द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं जैसे निष्ठा, मनोदर्पण, इत्यादि के बारे में भी सभी को बताते हुए कहा, “मुझे गर्व है कि अंतर्राष्ट्रीय किशोर शिखर सम्मेलन ने इन उद्देश्यों को मनोदर्पण पहल के विस्तार के रूप में शामिल किया है, जो पूरे भारत में छात्रों, शिक्षकों और परिवारों को मनोवैज्ञानिक सहायता प्रदान करने में प्रधानमंत्री जी के आत्मनिर्भर भारत अभियान का एक हिस्सा है. मुझे खुशी है कि यह सामाजिक-भावनात्मक भलाई के तत्वों से भी जुड़ा हुआ है जैसा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 में भी निहित है.”
इसके बाद उन्होनें नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में किशोरों के लिए दिए गए प्रावधानों के बारे सबको बताते हुए कहा, “यह शिक्षा नीति कैपेसिटी बिल्डिंग पर फोकस करती है. कैपेसिटी बिल्डिंग से नेशन बिल्डिंग का फार्मूला ही है जो हमें सशक्त बनाएगा. चाहे छात्रों की कैपेसिटी बिल्डिंग हो या फिर शिक्षकों की या फिर संस्थानों की सभी का साथ लिए बिना व सभी को विस्तार दिए बिना नेशन बिल्डिंग का काम संभव नहीं है.”
डॉ निशंक ने कहा कि मुझे पूरा विश्वास है कि कश्मीर से कन्याकुमारी तक तथा कच्छ से अरुणाचल तक सभी छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलेगी और देश का हर छात्र शिक्षित मानव सम्पदा के रूप में एक ताकत बनकर आत्मनिर्भर, शिक्षित और सशक्त भारत के निर्माण में एक निर्णायक भूमिका निभाएगा. इसके अलावा मुझे यह भी विश्वास है कि आप सभी के सहयोग, समन्वय, सहभागिता और नेतृत्व से हम शिक्षा नीति का सफलतापूर्वक क्रियान्वयन कर पाएंगे और भारत एक वैश्विक ज्ञान की महाशक्ति के रूप में उभरेगा.